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Mukesh Meena Udaipur : राजस्थान में झोपड़ी से निकला जूडो का नेशनल प्लेयर, मां-बाप हैं दिहाड़ी मजदूर

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उदयपुर। राजस्थान के उदयपुर जिला मुख्यालय से करीब 25 किलोमीटर दूर डोडावली ग्राम पंचायत में एक गांव है पीपलिया। मजदूर दिवस 2020 के मौके जानिए पीपलिया गांव के मजदूर पेमा के बेटे मुकेश मीणा की स्टोरी।

गुजरात में ले रहा है प्रशिक्षण

गुजरात में ले रहा है प्रशिक्षण

आदिवासी परिवार में वर्ष 2006 में पैदा हुआ मुकेश गुदड़ी का लाल है। झोपड़ी से निकला नेशनल खिलाड़ी है और इंटरनेशन लेवल पर छा जाने की तैयारियों में जुटा है। वर्तमान में गुजरात के नडियाद जूडो सेंटर में अंतरराष्ट्रीय प्रशिक्षकों से जूडो की ट्रेनिंग ले रहा है। जूडो में राजस्थान का इकलौता खिलाड़ी है। लॉकडाउन के चलते इन दिनों घर आया हुआ है।

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 टीचर किशन सोनी ने पहचानी प्रतिभा

टीचर किशन सोनी ने पहचानी प्रतिभा

मजदूर के बेटे मुकेश के खिलाड़ी बनने की कहानी शुरू होती है वर्ष 2015 में है। गांव पीपलिया के राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय के टीचर किशन सोनी ने मुकेश की प्रतिभा को पहचाना, निखारा और आगे बढ़ाया। सब कुछ ठीक रहा तो वो दिन दूर नहीं जब मुकेश किसी इंटरनेशनल प्रतियोगिता में खेलता नजर आएगा।

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 शुरुआत में ही कर दिखाया कमाल

शुरुआत में ही कर दिखाया कमाल

शिक्षक किशन सोनी बताते हैं कि वर्ष 2015 में मैं पिपलिया के राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय में कार्यरत था। बच्चों को जूडो सिखाया करता था। मुझे मुकेश मीणा में गजब की ​फुर्ती और जीत के प्रति जुनून दिखा। मैंने उसे बेहतरीन खिलाड़ी बनने का अवसर देने की ठानी और उदयपुर जिला स्तरीय प्रतियोगिता में लाया। अपनी पहली ही प्रतियोगिता में मुकेश ने कमाल कर दिखाया। प्रथम स्थान पर किया। दूसरी प्रतियोगिता कोटा में हुई। यहां भी अव्वल रहा।

 झारखंड से साईं जूडो ट्रेनिंग सेंटर में चयन

झारखंड से साईं जूडो ट्रेनिंग सेंटर में चयन

जिला व राज्य स्तरीय प्रति​योगिता में कमाल दिखाने के बाद बारी थी राष्ट्रीय स्तर की। वर्ष 2019 में रांची (झारखण्ड) में आयोजित स्कूल नेशनल सब जूनियर जूडो प्रतियोगिता में सिल्वर मेडल प्राप्त कर पूरे देश में दूसरा स्थान प्राप्त किया। इसी की बदौलत मुकेश का चयन केंद्र सरकार की खेलो इण्डिया योजना में चयन हुआ है। फिर गुजरात के नडियाद जूडो सेंटर पर प्रवेश मिला। ​अब इसकी पढ़ाई-लिखाई और प्रतिदिन डाइट का लगभग प्रति वर्ष पांच लाख रुपए खर्चा केंद्र सरकार वहन कर रही है।

 मुझे सिर्फ खिलाड़ी से मतलब है

मुझे सिर्फ खिलाड़ी से मतलब है

कोच किशन बताते हैं कि हरियाणा और गुजरात के खिलाड़ियों के सामने अक्सर कई खिलाड़ियों के हौसले टूट जाते हैं। झारखंड में मुकेश ने दूसरा स्थान प्राप्त किया तो खेलो इण्डिया योजना के तहत चयन के समय चयनकर्ताओं ने इससे सवाल कि हरियाणा और गुजरात के खिलाड़ियों से डर नहीं लगता क्या? जवाब मिला कि मुझे किसी स्टेट से क्या लेना। मैं तो बस सामने वाले खिलाड़ी को देखता हूं और अपने दांव पेच लगाता हूं।

 माता-पिता उदयपुर में करते हैं मजदूरी

माता-पिता उदयपुर में करते हैं मजदूरी

किशन सोनी बताते हैं कि मुकेश का गांव पीपलिया उभेश्वरजी की पहाड़ी के पास स्थित है। बेहद पिछड़ा इलाका है। वहां ना मूलभूत सुविधाएं हैं ना ही रोजगार। ऐसे में मुकेश के पिता पेमा गमेठी अपनी पत्नी के साथ उदयपुर में अक्सर दिहाड़ी मजदूरी करते मिल जाते हैं। मुकेश के मजदूर माता-पिता पढ़े-लिखे नहीं हैं, मगर इन्होंने बेटे को पढ़ने और आगे बढ़ने का भरपूर अवसर दिया। नतीजा हम सबके सामने है।

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English summary
udaipur laborer's son Mukesh Meena Became national Player of Judo
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