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कोख से एक भी बेटी नहीं जन्मी फिर भी 150 बेटियों की मां हैं लीलाबाई, 30 साल से उठा रहीं सारा खर्च

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बाड़मेर, 9 मई। 150 बेटियों की मां हैं किन्नर लीला। सुनकर बड़ा ताज्जुब होगा, लेकिन यह सच है। भगवान ने भले ही लीलाबाई की कोख से किसी बेटी को जन्म नहीं दिया हो, लेकिन वर्तमान में 150 से अधिक बेटियां ऐसी हैं, जिनके लिए किन्नर लीला सगी मां से भी ज्यादा प्यार बरसाती है।

Kinnar Leelabai Barmer

गरीबी व मुफलिसी में पली इन बेटियों को विदा करने के लिए मां-बाप के पास जब कुछ नहीं होता था तो किन्नर लीला ने आगे आकर एक मां का फर्ज अदा किया। बेटियों को गोद लेने के साथ ही बेटी को दहेज में दिए जाने वाले घर बिक्री के सामान सहित उसके ब्याह का पूरा खर्चा उठाया।

करीब तीस साल पहले अपने पास की ही बस्ती में रहने वाली एक गरीब परिवार की बेटी को गोद लेकर उसकी शादी करवाई तो बाद में जैसे इस कार्य में उन्हें सुकून मिलने लगा। इसके बाद बाड़मेर जिले के बालोतरा शहर सहित जिलेभर में जहां कहीं भी गरीब घर की बेटी के बारे में सुनती तो उनसे मिलकर बेटी की सारी जिम्मेदार लेकर उसके शादी-ब्याह का अधिकांश खर्चा स्वयं करती।

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किन्नर लीला ने बेटियों के लिए मां का फर्ज अदा किया तो बेटियां आज भी उसे जन्म के बाद पालनहार के रूप में देखती है। यही वजह है कि ब्याही गई बेटियां आज भी पीहर आती हैं तो घर जाने से पहले किन्नर लीला के घर पहुंचकर आशीर्वाद लेती हैं। लीलाबाई के तीस साल पहले शुरू हुए इस सफर में अब तक 150 से अधिक बेटियों को गोद लेकर उनकी जरूरत के मुताबिक खर्च उठाकर शादी-विवाह करवाया। इतना ही नहीं लीला ने बताया कि भविष्य में जब तक वह जिंदा है। इसी तरह की बेटियों की मदद करती रहेगी।

Kinnar Leelabai Rajasthan

इसके साथ ही लीला का बड़ा सपना है गाय माता का संरक्षण करना। यजमानों से मिली वाली राशि का एक फिक्स हिस्सा व गो सेवा के लिए निकालती है। वहीं, कच्ची बस्ती में रहने वाली लीलाबाई के आस-पड़ोस में रहने वाले गरीब परिवारों के बच्चों के लिए पाठ्यसामग्री, पोशाक सहित शिक्षण का जिम्मा भी संभाल रही है।

स्कूलों में बच्चों को जरूरत की सामग्री तो गायों के लिए हरा चारा व पानी की जिम्मेदारी संभाल रही है। बालोतरा किन्नर समाज की अध्यक्ष लीलाबाई के घर में आधा दर्जन शिष्य रहते हैं, जिनको लीलाबाई आमजन से जुड़कर उनके सुख-दु:ख में भागीदार बनने की सीख देती हैं।

किन्नर लीला गरीब बेटियों के साथ ही जरूरतमंद की सेवा के लिए हरदम आगे रहती हैं। बेटियों की शादी के अलावा वे अपनी कमाई का चौथा हिस्सा गो सेवा व शिक्षा पर भी खर्च करती है। कच्ची बस्ती में रहने वाली लीला बाई के आस-पड़ोस में अधिकांश दिहाड़ी मजदूर व आर्थिक हालात से कमजोर परिवार रहते हैं, जिनके बच्चों के लिए स्कूल फीस, किताबें, पोशाक व जूते आदि खरीदना बूते से बाहर की बात है।

उन बच्चों के शिक्षण का जिम्मा लीला बाई संभाल रही हैं। इसके अलावा समय-समय पर कच्ची बस्तियों वाले स्कूलों में सर्दी के मौसम में स्वेटर, जूते, पोशाक व पाठ्य सामग्री आदि वितरित करती है। इसके अलावा गायों के चारा-पानी के लिए भी लीलाबाई कमाई का खासा हिस्सा लगा देती है। प्रतिदिन गायों के लिए हरा चारा व पानी की व्यवस्था की जा रही है, जिसकी देखरेख वह स्वयं करती है। यही वजह है कि किन्नर लीलाबाई के नाम के आगे गोभक्त भी लगाया जाता है।

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English summary
Story of Kinnar Leelabai and 150 daughters of Barmer, Rajasthan
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