Sheetal Dugar : वो हाउसवाइफ जो बन गईं फ़ॉर्मूला वुमन रेसर, दौड़ाती हैं ₹ 3.32 Cr की लेम्बोर्गिनी कार
Sheetal Dugar : शादी से पहले साइकिल चलाने से भी डरती थीं शीतल दुग्गड़, अब बन गईं फ़ॉर्मूला वन रेसर, दौड़ाती हैं ₹ 3.32 Cr की लेम्बोर्गिनी कार
चूरू, 27 नवंबर। मिलिए शीतल दुगड़ से। ये कोलकाता की हाउसवाइफ, राजस्थान के चूरू की बेटी और बीकानेर की बहू हैं। इन दिनों इनके नाम के साथ फ़ॉर्मूला वुमन रेसर भी जुड़ गया है। शीतल दुगड़ भारत की उन चंद महिलाओं में से एक हैं, जो 3.32 करोड़ रुपए की लेम्बोर्गिनी कार दौड़ाती हैं।
Sheetal Dugar का इंटरव्यू
वन इंडिया हिंदी से बातचीत में शीतल दुगड़ ने पहली बार फ़ॉर्मूला वुमन रेसिंग में हिस्सा लेने का अनुभव शेयर किया। साथ ही अपने परिवार के बारे में भी बताया। शीतल दुगड़ को 24 नवंबर को गुजरात के वडोदरा में फ़ॉर्मूला वुमन रेसिंग प्रतियोगिता के रिजल्ट का बेसब्री से इंतजार है ताकि इन्हें इंटरनेशनल लेवल पर अपनी प्रतिभा दिखाने का अवसर मिल सके।
23 महिलाओं ने फ़ॉर्मूला वन रेस में हिस्सा लिया
शीतल दुगड़ ने बताया कि भारत में महिलाओं की फ़ॉर्मूला वुमन रेसिंग पहली बार वडोदरा में हुई है, जिसे यूरोप की एक कंपनी ने आयोजित करवाया। टोयोटा कंपनी इसकी स्पोंसर थी। प्रतियोगिता में 23 महिलाओं ने हिस्सा लिया। दिसम्बर में विजेताओं के नाम घोषित किए जाएंगे।
कौन हैं शीतल दुग्गड़?
45 वर्षीय शीतल दुग्गड़ मूलरूप से राजस्थान के चूरू जिला मुख्यालय पर मालजी के कमरा के पास की कॉलोनी निवासी शांतिलाल वैद की बेटी हैं। साल 1996 में शीतल दुग्गड़ की शादी बीकानेर के देशनोक निवासी विनोद कुमार के साथ हुई। शीतल का परिवार अब कोलकाता के बालीगंज में रहता है। इनके पिता शांतिलाल व पति विनोद कुमार का कोलकाता में बिजनेस है। शीतल व विनोद के तीन बेटियां यशस्वी, मनस्वी और सुहासिनी हैं।
कभी साइकिल चलाने से भी लगता था डर
शीतल कहती हैं कि शादी से पहले तक तो मुझे साइकिल भी चलाना नहीं आता था। फिर ड्राइविंग स्कूल से कार चलाना सीखा और साल 2015-16 में 3.32 करोड़ रुपए की कार लेम्बोर्गिनी खरीदी। पांच साल से लेम्बोर्गिनी कार चलाने के साथ-साथ इस बार फ़ॉर्मूला वुमन रेसिंग ग में भी हाथ आजमाया है। 16 अप्रेल 2018 को वुमन आइकन ऑफ इंडिया के अवार्ड भी मिल चुका है।
सामाजिक कार्यों में भी सक्रिय
शीतल दुग्गड़ परिवार की जिम्मेदारी संभालने के साथ सामाजिक कार्यों में भी सक्रिय रहती हैं। ये शीतल दुग्गड़ जैन इंटरनेशनल ट्रेड ओग्रेनाइजेशन की लेडिज विंग की अध्यक्ष भी हैं। पहले ये कोलकाता के एनजीओ के बच्चों को निशुल्क पढ़ाया करती थी। आरबीडी फाउंडेशन टेलेंट हंट के जरिए गरीब बच्चों को आगे बढऩे के अवसर प्रदान करती हैं।
फ़ॉर्मूला वुमन रेसिंग बनना कितना चुनौतिपूर्ण
शीतल दुग्गड़ कहती हैं कि फ़ॉर्मूला वुमन रेसिंग बनना आसान नहीं है। इसके लिए काफी प्रेक्टिस की जरूरत होती है। यह बात तब पला चली जब फ़ॉर्मूला वुमन रेसिंग प्रतियोगिता में हिस्सा लिया। सड़क पर कार चलाना और ट्रेक पर दौड़ना में काफी अंतर है। वहां कई ऐसी रेसर भी थीं, जिन्होंने अकेडमी तक ज्वाइन कर रखी थी।