Rajasthan Politics:अशोक गहलोत के दांव से उलटा पड़ रहा है सचिन पायलट का पासा!
जयपुर, 20 जून: राजस्थान में लगता है कि एकबार फिर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खेमे के खिलाफ सचिन पायलट गुट का पासा पलट गया है। अब निर्दलीय विधायक और बसपा से कांग्रेस में आए विधायक ही पायलट कैंप के खिलाफ सामने आते दिख रहे हैं। इन विधायकों ने 23 जून को एक संयुक्त बैठक बुलाई है, जिसमें कांग्रेस आलाकमान पर उसके पुराने वादे को लेकर दबाव बनाने की तैयारी है। जानकार मानते हैं कि इस सबके पीछे गहलोत का ही खेमा हो सकता है, जो इन विधायकों को आगे करके पायलट गुट के दबाव की दिशा मोड़ने की कोशिश कर रहा है।
उलटा पड़ रहा है सचिन पायलट का पासा!
राजस्थान में सत्ता के सिंघासन के लिए कांग्रेस में मचे घमासान के बीच पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पालयट की बाजी फिर से पलटती दिख रही है। हिंदुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक मुख्यमंत्री अशोक गलोत सरकार को समर्थन दे रहे निर्दलीय विधायक और बसपा से कांग्रेस में शामिल हुए एमएलए ने पायलट कैंप के खिलाफ गोलबंदी कर ली है। सीएम गहलोत के नजदीकी माने जाने वाले एक निर्दलीय एमएलए ने कहा है, 'हम सरकार के साथ खड़े रहे हैं और खड़े रहेंगे। बाकी निर्दलीय विधायकों और कांग्रेस में शामिल हुए 6 बीएसपी विधायकों के साथ बैठक में चर्चा के बाद हम कांग्रेस पार्टी को उनका वादा याद दिलाने के लिए एक प्रस्ताव पारित करेंगे।' ये तमाम निर्दलीय और पूर्व बीएसपी विधायक कैबिनेट विस्तार और प्रदेश में राजनीतिक नियुक्तियों की मांग कर रहे हैं।
निर्दलीय और पूर्व बसपा एमएलए 23 जून को करेंगे बैठक
गौरतलब है कि मायावती के 'हाथी' से उतरकर 2019 के सितंबर में सोनिया गांधी की पार्टी का 'हाथ' थामने वाले 6 बसपा विधायक पहले से ही कांग्रेस आलाकमान पर कैबिनेट में शामिल करने और राजनीतिक नियुक्तियों में जगह लगाने के लिए दबाव बना रहे हैं। उनका कहना है कि पिछले साल अशोक गहलोत सरकार उनके समर्थन की वजह से ही बच पाई थी। अब ये पूर्व बसपाई और कांग्रेस सरकार को समर्थन दे रहे 13 निर्दलीय विधायक 23 जून को अभी नहीं तो कभी नहीं वाले अंदाज में साझा बैठक करके दबाव बढ़ाने की तैयारी कर रहे हैं। दअरसल, इनकी सरगर्मी इस वजह से बढ़ गई है कि बीते शुक्रवार को राजस्थान में कांग्रेस के प्रभारी महासचिव अजय माकन ने बयान दिया था कि केंद्रीय नेतृत्व लगातार पायलट के संपर्क में है। उन्होंने उन्हें पार्टी का स्टार कैंपेनर और पार्टी के लिए संपत्ति भी बताया था।
जो वादा किया गया था उसके हम हकदार- निर्दलीय विधायक
निर्दलीय विधायक ने कहा है कि राजस्थान में डेरा डाने वाले केंद्रीय नेताओं ने उन्हें भरोसा दिया था कि मंत्रिमंडल और राजनीतिक नियुक्तियों में उन्हें जगह मिलेगी। उनका कहना है, ' करीब एक साल होने वाला है, लेकिन कुछ नहीं किया गया है और अब पायलट कैंप के पक्ष में माकन का बयान हम लोगों को दुविधा में डाल दिया है।' जबकि इस बैठक के एजेंडा का समर्थन करने वाले एक और एमएलए ने कहा है,'संकट के समय में हम कांग्रेस के साथ थे और जो वादा किया गया था उसके हम हकदार हैं। लेकिन, मुझे बीएसपी विधायकों को बैठक में बुलाने पर आपत्ति है, क्योंकि वे तो अब कांग्रेस पार्टी के सदस्य हैं।'
निर्दलीयों के पीछे गहलोत का दांव ?
राजस्थान कांग्रेस में यह ताजा उठापटक सचिन पायलट समर्थकों की ओर से कैबिनेट विस्तार और राजनीतिक नियुक्तियों में जगह पाने की मुहिम छेड़ने के साथ शुरू हुई है। इसके बाद उन्होंने सरकार पर फोन टेप करने और जासूसी कराने के आरोप भी लगाए हैं। अजय माकन का दावा है कि पार्टी में सबकुछ ठीक है, लेकिन गहलोत और पायलट खेमे में मीडिया और सोशल मीडिया में बयानबाजी जारी है। इसी बीच निर्दलीयों और बसपा से आए विधायकों ने जो मोर्चा खोला है, उससे पायलट खेमे का दांव उलटा पड़ता नजर आ रहा है और राजनीति गहलोत बनाम पायलट से, पायलट समर्थक बनाम निर्दलीय विधायकों की ओर मुड़ती नजर आ रही है। राजनीतिक विश्लेषक मनीष गोढ़ा का कहना है कि 23 जून को होने वाली बैठक लगता है कि पायलट खेमे की धार को कुंद करने के लिए ही है। क्योंकि, बीएसपी से आए विधायक पहले से ही उनके विरोध में लामबंद थे, अब उनकी संख्या बढ़ गई है। और बड़ी बात ये है कि ज्यादातर निर्दलीय विधायक पूर्व कांग्रेसी हैं और गहलोत के समर्थक माने जाते हैं।