57 साल पहले बिछड़े मां-बेटे को कुदरत ने यूं मिलाया, वीडियो कॉल से एक-दूसरे को पहचाना
Barmer News , बाड़मेर। इसे कुदरत का करिश्मा कहें या मां-बेटे की प्यार की ताकत। वजह जो भी हो, मगर यह मामला बेहद रोचक है। इसमें मां-बेटे 57 साल बाद एक-दूसरे से मिले हैं। जब दोनों ने एक-दूसरे को देखा तो भावनाएं उमड़ आई। आंखें नम हो गई और गला रुंध गया। बहते आंसू और लजरते लब सब कुछ बयां कर गए। लगभग छह दशक बाद मां-बेटे का एक-दूसरे से मिलने का यह भावुक पल हर कोई बस देखता ही रह गया। प्रेम, जुदाई एवं ममत्व की यह कहानी राजस्थान के बाड़मेर जिले के सिवाना उपखड़ के मोकलसर गांव की है।
यूं समझें मां-बेटे के जुदा होने व वापस मिलने की कहानी
57 साल पहले कहानी कुछ यूं शुरू होती है कि सुआ देवी के पति चतुर्भुजराम दमामी अक्सर घूमने जाते रहते थे। वे पत्नी सुआ देवी को भी अपने साथ ले जाते थे। एक बार सुआदेवी ने मना कर दिया और तर्क दिया कि उनका अपना बेटा गजराज अभी तीन साल का ही है। इसलिए घूमने नहीं जाना चाहिए।
सुआ देवी की यह बात चतुर्भुजराम को अच्छा नहीं लगी और वे सुआ देवी को किशनगढ़ में छोड़कर गजराज को लेकर चले गए। फिर वहां से सुआ देवी अपने पीहर चली गई। उसे लगा कि पति व बेटे घूमकर लौट आएंगे। काफी दिनों तक वापस नहीं आए तो सुआ देवी की चिंता बढ़ गई। उसने अपने स्तर पर पति व बेटे की तलाश की, मगर कोई सफलता नहीं मिली।
मोकलसर की विमला देवी बनी माँ-बेटे के मिलन की कड़ी
सुआ देवी की यह कहानी आगे बढ़ती है। गजराज भी बड़ा हो जाता है और इस कहानी में अब एक नया पात्र आता है, जिसका नाम विमला देवी है। गांव मोकलसर निवासी विमला देवी कुछ समय पहले बिजुबा पाली अपनी पीहर गई थी। वहां पर गजराज अपनी मां की तलाश करते हुए विमला देवी से मुलाकात हुई।
गजराज
की
मां
को
मिलने
की
तड़प
देखते
हुए
विमला
देवी
ने
मन
में
ठान
लिया
कि
अगर
मुझे
कहीं
पर
इसकी
मां
मिलेगी
तो
मैं
उनको
अपने
पास
रख
लूंगी
और
गजराज
से
उसकी
मुलाकात
करवा
दूंगी।
यही
सोचकर
विमला
ने
गजराज
के
मोबाइल
नम्बर
ले
लिए।
निदान वेलफेयर सोसायटी ने की मदद
कुछ दिन बाद विमला देवी अपने पीहर से ससुराल आ गई एवं निदान वेलफेयर सोसायटी की मदद से इनकी माँ की तलाश में जुट गई लेकिन यह कुदरत करिश्मा ही था कि गजराज की माँ अभी तक जिंदा थी और उसे अपने बेटे गजराज की आज भी तलाश थी।
इत्तेफाक से एक दिन विमला देवी सब्जी लेने के लिए मार्केट गई तो वहां पर बेटे की तलाश करती हुई सुआ देवी की मुलाकात उससे हो गई। बातों ही बातों में पता चला कि सुआ देवी की स्टोरी भी ठीक वैसी ही है जैसी गजराज व उसकी मां की है। ऐसे में उनको लेकर विमला देवी अपने घर पर आ गई। घर पर आकर उन्होंने बिजोबा पाली में मिले गजराज से फोन पर संपर्क किया।
गजराज को भी यकीन नहीं हुआ कि उसकी माँ जिंदा है। विमला देवी ने मां से वीडियो कॉल करवाया तब जाकर यकीन हुआ। पुरानी बातों याद दिलाई। पिता के बारे में बताया। इस पर गजराज बुधवार को मोकलसर आया और 57 साल बाद अपनी मां से मिला। मां-बेटे के इस मिलन से आसपास रहने वाले सभी लोग वह पल देखकर भावुक हो गए।