Happy Diwali 2019: राजस्थान की कमरूद्दीन शाह दरगाह में हिन्दू मुस्लिम एक साथ मनाते हैं दीपावली
झुंझुनूं। 27 अक्टूबर 2019 को देशभर में दीपावली मनाई जाएगी। हर मुंडेर खुशियों से रोशन होगी। कई जगहों पर कौमी एकता की मिसाल भी देखने को मिलेगी। ऐसी ही एक जगह राजस्थान के झुंझुनूं जिला मुख्यायल पर है। नाम है कमरूद्दीन शाह दरगाह।
कहने को यह भी अन्य दरगाह की तरह ही है, मगर यहां से दीपावली पर साम्प्रदायिक सौहार्द की अनूठी परम्परा जुड़ी हुई है, जिसके तहत हिन्दू और मुस्लिम समुदायक के लोग एक साथ मिलकर दरगाह में दिवाली मनाते हैं। यहां दीप जलाते हैं। आतिशबाजी करते हैं और मिठाई खिलाकर खुशियां मनाते हैं। कमरूद्दीन शाह दरगाह में वर्षों से चली आ रही यह परम्परा वर्तमान में भी बड़ी शिददत से निभाई जा रही है।
दरगाह में दिवाली की परंपरा 250 साल पुरानी
कमरूद्दीन शाह दरगाह के गद्दीनसीन एजाज नबी बताते हैं कि दरगाह में दिवाली मनाने की यह परंपरा करीब 250 साल पुरानी है। इसकी कहानी ये है कि किसी जमाने में सूफी संत कमरूद्दीन शाह हुआ करते थे, जिनकी झुंझुनूं से चचलनाथ टीले के संत चंचलनाथ जी के साथ गहरी मित्रता थी। कहते हैं कि दोनों दोस्तों का एक दूसरे से मिलने का मन होता तो एक दरगाह से और दूसरा संत आश्रम से गुफा से निकलते। दोनों बीच रास्ते में गुदड़ी बाजार में मिलते थे।
दोनों एक-दूसरे के कार्यक्रम में होते शामिल
संत कमरूद्दीन शाह और संत चंचलनाथ उस जमाने में एक दूसरे के यहां होने वाले विशेष कार्याक्रमों में शामिल होते थे। उन्हीं की परंपरा को आगे बढ़ाते हुए अब दरगाह में न केवल दिवाली मनाई जाती है बल्कि चंचलनाथ टीले के कार्यक्रम में भजन के साथ-साथ कव्वाली भी गूंजती है। दोनों संतों ने यह परंपरा लोगों सांप्रदायिक सौहार्द और कौमी एकता का संदेश देने के लिए शुरू की थी, जो आज भी जारी है।
पहले इंसानियत फिर धर्म
जिला कांग्रेस कमेटी के उपाध्यक्ष एमडी चोपदार बताते हैं कि मैं खुद को खुशनसीब समझता हूं मेरा ताल्लुक ऐसे शहर से है दोनों धर्मों का आदर और सम्मान किया जाता है। हमारे यहां संत कमरूद्दीन शाह में दिवाली मनाई जाती है तो चंचलनाथ आश्रम में भजनों के साथ-साथ कव्वाली भी गूंजती हैं। वैसे भी सूफिज्म की खासियत है कि पहले इंसानियत और बाद में धर्म।
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