कुमावत समाज की शादियों में दाढ़ी वाले दूल्हे मंजूर नहीं, बिंदौली में DJ बजाने पर रोक, दुल्हन के गहने भी तय
पाली, 16 जून। शादियों में लोग गहने, कपड़े, सजावट, भोजन व जश्न में खूब रुपए खर्च करते हैं। वहीं, दूल्हा-दुल्हन भी अपने लुक को शानदार बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ते। इस मामले में राजस्थान के पाली जिले के कुमावत समाज ने कई फैसले लिए हैं, जिसमें सात फेरों के लिए पहली शर्त यह है कि दूल्हे की दाढ़ी बढ़ी हुई नहीं हो।
पाली कुमावत समाज अध्यक्ष लक्ष्मी नारायण टांक ने बताया कि गुरुवार को शहर में समाज के ये 19 खेड़ों(गांवों) के गणमान्य लोगों की बैठक हुई है, जिसमें सामाजिक बुराइयों, रस्मों, शादियों में फिजूलखर्ची व पश्चिमी संस्कृति के बढ़ते चलने पर कई फैसले लिए गए हैं।
पाली जिले से कुमावत के लोग बड़ी संख्या में गुजरात, कर्नाटक, महाराष्ट्र आदि में रहते हैं। यदि प्रवासी भी अपने वहां फंक्शन करते हैं तो उन्हें भी समाज के ये नियम मानने होंगे। समाज में नियम की पालना नहीं करने पर जुर्माना देना होगा, जो अभी तय नहीं किया गया है।
बैठक में समाज के लोगों ने कहा कि शादी एक संस्कार है और दूल्हे को इसमें राजा के रूप में देखा जाता है। जबकि फैशन के चक्कर में कई दूल्हे कई प्रकार की दाढ़ी बढ़ाकर रस्में निभाते हैं। समाज के लक्ष्मण टांक व बोहराराम मालवीया ने कहा कि फैशन मंजूर है, लेकिन शादी में इस तरह नहीं।
शादी में दूल्हे की दाढ़ी के अलावा दुल्हन के गहनों की मात्रा, जश्न का तरीका भी तय किया गया है। शादी में डीजे लाकर घर पर लगा सकते हैं, लेकिन डीजे के साथ बिंदौली नहीं निकाली जा सकेगी। सगाई दुस्तूर में दुल्हन के कपड़ों के साथ अधिकतम 2 तोला सोना, चांदी के 2 जोड़ी छड़ा व चांदी का कंदोरा दे सकेंगे। मायरे में भी अधिकतम 5 तोला सोना, आधा किलो चांदी व 51 हजार रुपए नकद दिए जा सकेंगे।
इनके अलावा विवाह, आणा, मृत्युभोज, ढूंढ, सगाई आदि के मौके पर होने वाली समाज की सभा में अफीम व तिजारा पर रोक रहेगी। गंगा प्रसादी में एक ही मिठाई बनाई जाएगी, वह भी सीरा या लापसी में से एक। हल्दी की रस्म पुरानी परंपरानुसार ही निभानी होगी।