Chhattisgarhia Olympic: सीएम भूपेश बघेल ने किया छत्तीसगढ़िया ओलंपिक खेलों का शुभारंभ, चलाया भौरा,खेले कंचे
छत्तीसगढ़ के पारम्परिक तीज त्यौहार, लोक संस्कृति, लोक कला को बढ़ावा देने के बाद अब छत्तीसगढ़ के पारंपरिक खेलों को भी वैश्विक पहचान दिलाने के लिए छत्तीसगढ़िया ओलंपिक की शुरूआत हो चुकी है। गुरुवार को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने
रायपुर, 06 अक्टूबर। छत्तीसगढ़ के पारम्परिक तीज त्यौहार, लोक संस्कृति, लोक कला को बढ़ावा देने के बाद अब छत्तीसगढ़ के पारंपरिक खेलों को भी वैश्विक पहचान दिलाने के लिए छत्तीसगढ़िया ओलंपिक की शुरूआत हो चुकी है। गुरुवार को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सरदार बलवीर सिंह जुनेजा इनडोर स्टेडियम में इसकी शुरूआत की। मुख्यमंत्री ने दीप प्रज्ज्वलन कर छत्तीसगढ़िया ओलंपिक खेलों की शुरूआत की।इस दौरान सीएम भूपेश बघेल खुद भी खिलाडियों के साथ खेल का आनंद लेते नजर आएं।
6 जनवरी 2023 चलेगा छत्तीसगढिया ओलम्पिक
गौरतलब है कि छ्त्तीसगढ़ की संस्कृति से लोगों को जोड़ कर रखने के लिए स्थानीय खेलकूद को बढ़ावा देने के लिए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की पहल पर छत्तीसगढ़िया ओलंपिक की शुरूआत आज 6 अक्टूबर से की गई है। 6 जनवरी 2023 तक चलने वाले इस ओलंपिक में दलीय एवं एकल श्रेणी में 14 प्रकार के पारंपरिक खेलकूदों को शामिल किया गया है जिसमें 18 वर्ष से कम, 18 से 40 वर्ष एवं 40 वर्ष से अधिक आयु वर्ग के लोग शामिल हो रहे हैं। इससे स्थानीय लोगों को एक तरफ खेल का मंच मिलेगा वहीं उनमें खेलों के प्रति जागरूकता बढ़ेगी और खेल भावना का भी विकास होगा।
ताकि लोग अपनी परम्परा को ना भूलें
खेल आयोजन के आगाज़ पर सीएम भूपेश बघेल ने कहा कि छत्तीसगढ़ की संस्कृति और सभ्यता और विशिष्ट पहचान यहां की ग्रामीण परंपराओं और रीति रीवाजों से है। इसमें पारंपरिक खेलों का विशेष महत्व है। पिछले कुछ वर्षों में छत्तीसगढ़ के इन खेलों को लोग भूलते जा रहे थे। खेलों को चिरस्थायी रखने, आने वाली पीढ़ी से इनको अवगत कराने के लिए छत्तीसगढ़ियां ओलंपिक खेलों की शुरूआत की गई है।
छत्तीसगढ़िया खेलों की बनेगी अलग पहचान
छत्तीसगढ़िया ओलंपिक के शुभारंभ अवसर पर खेल मंत्री उमेश पटेल ने कहा कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल संस्कृति को बढ़ावा देने का काम कर रहे हैं। छत्तीसगढ़ी भाषा, खानपान, लोक कला, संस्कृति, खेलकूद को बढ़ावा देने और उसे छत्तीसगढ़ के बाहर भी पहचान दिलाने के लिए सरकार पूरी तरह से प्रयासरत है। खेल मंत्री ने कहा कि सरकार के प्रयास सफल भी होते दिख रहे हैं। बोरे बासी खाने के अभियान को देश विदेश में पहचान मिली है। अब छत्तीसगढ़िया खेल भी अपनी अलग पहचान बनाएंगे।
हर गांव में होगा आयोजन
सीएम भूपेश ने कहा कि छत्तीसगढ़ के ये खेल मनोरंजक होने के साथ साथ स्वास्थ्य के लिए भी लाभदायक हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में इन खेलों से बच्चे, बुजुर्ग व युवा सभी व्यायाम आदि शारीरिक गतिविधियों से जुड़ते हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ की संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए खेलकूद को भी बढ़ावा दिया जा रहा है। छत्तीसगढ़िया ओलंपिक खेलों से राज्य के हर गांव, हर ब्लाक तथा हर जिले में स्थानीय खेलों का आयोजन होगा।
सीएम भूपेश बने रेफरी
छत्तीसगढ़िया ओलंपिक अपनी तरह का बेहद की खास आयोजन है। प्रदेश के कोने-कोने से आये खिलाडियों का उत्साह बढ़ाने के लिए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल खुद रेफरी की सीटी लेकर महिला कबड्डी खिलाड़ियों के बीच पहुंच गए और मैच में निर्णायक की भूमिका निभाने लगे। इतना ही नहीं मुख्यमंत्री ने लंगड़ी, भौंरा, बाटी (कंचा) और पिट्ठुल जैसे खेलों मे खिलाड़ी के रूप में खुद भी हाथ आजमाया और अन्य खिलाड़ियों के साथ खुद को एक खिलाड़ी के रूप में प्रस्तुत किया और खिलाड़ियों का उत्साह वर्धन किया।