पंजाब: डिजिटल चुनावी अभियान में SAD पीछे या फिर फंड की है कमी ? चुनाव आयोग से क्यों की ये अपील
पंजाब विधानसभा चुनाव के दिन नज़दीक आ रहे हैं, इसके साथ ही कोरोना का प्रकोप ही बढ़ता जा रहा है। इसी कड़ी में ज्यादातर राजनीतिक पार्टियां डिजिटल चुनावी अभियान चला रही हैं।
चंडीगढ़,
15
जनवरी
2022।
पंजाब
विधानसभा
चुनाव
के
दिन
नज़दीक
आ
रहे
हैं,
इसके
साथ
ही
कोरोना
का
प्रकोप
ही
बढ़ता
जा
रहा
है।
इसी
कड़ी
में
ज्यादातर
राजनीतिक
पार्टियां
डिजिटल
चुनावी
अभियान
चला
रही
हैं।
वहीं
कुछ
सियासी
दल
डिजिटल
रूप
से
चुनावी
अभियान
चलाने
में
असमर्थ
नज़र
आ
रही
हैं।
शिरोमणि
अकाली
दल
भी
डिजिटल
तौर
चुनाव
प्रसार
में
पिछड़ती
हुई
नज़र
आ
रही
है।
इसी
कड़ी
में
शिअद
ने
चुनाव
आयोग
से
अपील
की
है
कि
प्रत्यक्ष
तौर
पर
रोडशो
और
रैलियां
करने
की
इजाज़त
दी
जाए।
कोविड
के
मद्देनज़र
लगाई
गई
पाबंदियों
पर
चुनाव
आयोग
पुवर्विचार
करे।
शिअद
प्रवक्ता
दलजीत
सिंह
चीमा
ने
कहा
कि
छोटी
सभाओं
को
करने
इजाज़त
दी
जाए
ताकि
समाज
के
सभी
वर्गों
के
साथ
उम्मीदवार
जुड़
सकें।
'डिजिटल तौर पर सभी से जुड़ना मुमकिन नहीं'
शिरोमणि अकाली दल के नेता दलजीत सिंह चीमा ने कोविड के मद्देनज़र लगी पाबंदियों को लेकर चुनाव आयोग को चिट्ठी भी लिखी है। चुनाव आयोग के लिखे पत्र में उन्होंने दावा किया है कि सभी राजनीतिक पार्टियों के उम्मीदवारों प्रतिबंध लगने की वजह से प्रचार-प्रसार करने में परेशानी हो रही है। उन्होंने कहा कि सभी मतदाताओं से डिजिटल तौर पर जुड़ना मुमकिन नही है क्योंकि पंजाब में कई ऐसे इलाके भी हैं जहां इंटरनेट की दुनिया से लोग महरूम हैं। उन्होंने कहा कि कई विधानसभा हलके में ऐसे बुजुर्ग मतदाता भी हैं जो डिजिटल दुनिया से बहुत ही दूर हैं। स्मार्टफोन वगैरह का इस्तेमाल नहीं करते हैं। सिर्फ़ डिजिटल अभियान से समाज के एक बड़े हिस्से तक पहुंच नहीं बनायी जा सकती है। इस मामले में सियासी जानकारों का कहना है कि शिरोमणि अकाली दल से जुड़े मतदाता ग्रामीण इलाके से आते हैं। इसलिए उनका डिजिटल रूप से सभी मतदाताओं से जुड़ पाना मुमकिन नहीं है।
दलजीत चीमा ने लगाए आरोप
चुनाव आयोग से शिरोमणि अकाली दल के नेता दलजीत चीमा ने कहा कि पंजाब में चुनाव लड़ने वाली कई पार्टियां पंजाब, दिल्ली और केंद्र में बैठी हैं। वह सभी सियासी पार्टियां अपने राजनीतिक फ़ायदे लिए सरकारी धन का ग़लत इस्तेमाल कर रही हैं। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि दिल्ली राज्य में आम आदमी पार्टी की सरकार है और पंजाब में रोज़ाना विभिन्न टीवी चैनलों पर पेड न्यूज के तौर पर विकास की कई कहानियां दिखाई जा रहीं हैं। इस पेड न्यूज़ के ज़रिए पंजाब के मतदाताओं को प्रभावित किया जा रहा है। पंजाब में आदर्श आचार संहिता लागू होने का फ़ायदा आम आदमी पार्टी दिल्ली में उठा रही है। दिल्ली राज्य के खजाने की रुपयों का ग़लत इस्तेमाल कर करोड़ों रुपये पेड न्यूज़ विज्ञापनों पर खर्च कर रही है। इससे दूसरी सियासी पार्टियों को नुकसान हो रहा है। वहीं सियासी गलियारों में यह भी चर्चा है कि शिरोमणि अकाली दल के पास फंड की कमी है इस वजह से सही तरीक़े से चुनावी अभियान नहीं चला पा रही है।
ग्रामीण क्षेत्रों में मतदाताओं से जुड़ना मुश्किल
पंजाब विधानसभा चुनाव के प्रचार-प्रसार के मद्देनज़र सियासी जानकारों का मानना है कि सभी सियासी पार्टियों के लिए डिजिटल तौर पर मतदाताओं से जुड़ना काफ़ी मुश्किल है। इससे सभी मतदाताओं तक सियासी पार्टी अपनी बात नहीं पहुंचा पाएंगे और वोटिंग प्रतिशत पर भी इसका असर देखने को मिल सकता है। सरकार को चाहिए की बड़ी रैलियों पर पाबंदी लगाए और कोविड प्रोटोकॉल के तहत छोटी बैठकों की इजाज़त दे दी जाए। इससे सियासी दलों के नेता और कार्यकर्ता ग्रामीण स्तर पर छोटी बैठकें कर मतदाताओं तक अपनी बात पहुंचा सकेंगे। चूंकि शहरों की आबादी डिजिटल तौर पर सियासी दलों की गतिविधियों से अवगत हो सकती है लेकिन ग्रामीण इलाकों में मतदाताओं से डिजिटल तौर पर जुड़ना मुमकिन नही है।
ये भी पढ़़ें: पंजाब: किसानों के सहारे चुनावी जंग फ़तेह करेगी कांग्रेस, निर्मल सिंह सिद्धू ने बनाई ये रणनीति