बीमारियों की चपेट में बिहार, राजनीति में उलझे ज़िम्मेदार
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केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने विशेष अभियान की शुरुआत करने के बाद संवाद्दाताओं से यह बात कही। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री का यह बयान इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि आठ जून को यहां का दौरा करने के बाद मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने केंद्र सरकार व विश्व संगठन से बच्चों को बचाने के लिए मदद लेने की बात कही थी।
डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि यहां के बच्चों की मौत का कारण जानने के लिए और गहराई से रिसर्च की आवश्यकता है। ताकि, पता चल सके कि यह वायरल, टॉक्सिक, मेटाबॉलिक या कुछ और है। इंसेफेलाइटिस है या उससे मिलती-जुलती बीमारी। इसके लिए वे सीडीसी अटलांटा में विशेषज्ञों के साथ 26 व 27 जून को बैठक कर विस्तार से चर्चा करेंगे।
उन्होंने कहा कि एक चिकित्सक होने के नाते वे खुद रिसर्च की मॉनीटरिंग करेंगे। मगर, जबतक कारण का पता नहीं चल जाता पीड़ित बच्चों की जिंदगी बचाने की पूरी कोशिश होनी चाहिए। एपीएचसी व पीएचसी स्तर पर 'इलेक्ट्रोलाइट इंबैलेंस' को नियंत्रित करने की बेहतर व्यवस्था हो। पीड़ित बच्चों का इलाज जितनी जल्दी होगा उसके बचने की संभावनाएं अधिक होगी। उन्होंने बच्चों की जिंदगी बचाने के लिए भी भरोसा जताया कि जो भी प्रयास होगा वे करेंगे।
एम्स की कमी पूरा करेगा एसकेएमसीएच-
एसकेएमसीएच को एम्स का दर्जा दिए जाने के सवाल पर डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि अभी अस्पताल के भवन को नए सिरे से तैयार करना होगा। रिसर्च की सुविधाएं बढ़ानी होंगी। इस दिशा में यहां भवन, वॉयरोलॉजिकल लैब, मल्टीडिसीप्लीनरी रिसर्च सेंटर आदि की सुविधाएं दी जा रही हैं। इसके बाद इस बिंदु पर विचार किया जाएगा।