जैश, लश्कर की आर्थिक मदद नहीं रोक पाया पाकिस्तान, FATF ने डाला ग्रे लिस्ट में
इस्लामाबाद। पाकिस्तान को बुधवार को एक बार फिर से फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) की ग्रे लिस्ट में रखा गया है। संस्था का मानना है कि पाक आतंकी संगठनों जैसे जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा को मिलने वाली आर्थिक मदद रोकने में पूरी तरह से असफल रहा है। पाक को इससे पहले अक्टूबर में ग्रे लिस्ट में डाला गया था। उस समय पाकिस्तान को दो बार चेतावनी भी दी गई थी और उससे कहा गया था कि वह अगर जून तक कोई कदम नहीं उठाएगा तो फिर उसे ब्लैक लिस्ट में डाला जा सकता है।
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चीन है फिलहाल FATF का मुखिया
कोविड-19 के चलते एफएटीएफ की तीसरी और निर्णायक प्लानरी मीटिंग वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए हुई थी। मीटिंग चीन के मुखिया जियांगमिन ल्यू की अध्यक्षता में हूई थी। एफएटीएफ की तरफ से आधिकारिक बयान में कहा गया है, 'एफएटीएफ ने तय किया है कि पाकिस्तान को अगली मीटिंग तक ग्रे लिस्ट में रखा जा जो कि अक्टूबर में होगी।' एफएटीएफ के एक अधिकारी ने कहा कि यह फैसला इसलिए लिया गया है क्योंकि पाकिस्तान आतंकी संगठनों जैसे लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद को मिलने वाली आर्थिक मदद पर रोक लगाने में असफल रहा है। एफएटीएफ ने टेरर फंडिंग रोकने और मनी-लॉन्ड्रिंग के खिलाफ कदम उठाने को लेकर 27 बिंदुओं वाला प्लान बनाया था।
क्या है FATF और क्या है ग्रे लिस्ट
एफएटीएफ टेरर फंडिंग पर नजर रखने वाली संस्था है। दुनिया का कोई भी देश इसकी ग्रे लिस्ट में आने से बचता है। कहते हैं कि इसकी ग्रे लिस्ट में आने का सीधा मतलब है, आफत को दावत देने के बराबर है। एफएटीएफ का गठन साल 1989 में हुआ था और भारत भी इसके सदस्य देशों में शामिल है। यह अपने सदस्य देशों को टेरर फाइनेंसिंग और मनी लॉन्ड्रिंग जैसी गतिविधियों में शामिल होने से रोकता है। जून 2018 में एफएटीएफ ने पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में डाला था और 27 प्वॉइंट का एक्शन प्लान देते हुए एक साल का समय दिया था। पाकिस्तान को इन पर अमल करना था और इससे निकलने के लिए पाकिस्तान को टेरर फाइनेंसिंग और मनी लॉन्ड्रिंग रोकने के लिए जरूरी कदम उठाने थे। ईरान और नॉर्थ कोरिया पहले से इस लिस्ट में हैं।