35 साल की उम्र में पाकिस्तान की प्रधानमंत्री बन गई थीं ये बिंदास लड़की, इस तरह हुई हत्या
नई दिल्लीः पाकिस्तान की पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो की मौत को आज दस साल हो गए हैं। चुनावी सभा के दौरान जाने के पहले साल 2007 में रावलपिंडी में एक आतंकी हमले में बेनजीर भुट्टो की मौत हो गई। पाकिस्तानी राजनीति के लिए उनकी मौत बड़ी क्षति थी। वो पाकिस्तान की सबसे युवा प्रधानमंत्री होने के साथ-साथ पहली महिला प्रधानमंत्री भी बनी थी। बेनजीर जब पाकिस्तान की प्रधानमंत्री बनीं तो उनकी उम्र 35 थी।
पाकिस्तान में हुई थी शुरुआती पढ़ाई
बेनजीर की शुरुआती पढ़ाई पाकिस्तान में हुई थी। वो पाकिस्तान के कॉन्वेंट स्कूल में पढ़ती थी। बाद में हायर एयुकेशन के लिए बेनजीर अमेरिका चली गई। पाकिस्तान की राजनीति को करीब से जानने वालों का कहना है कि बेनजीर को विदेश में पढ़ाई के लिए भेजा गया था, क्योंकि पाकिस्तान में उनकी जान को खतरा था।
ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में हुई थी बेनजीर की पढ़ाई
बेनजीर ने अमेरिकी की हार्वर्ड से डिग्री लेने के बाद बेनजीर भुट्टो इंटरनेशनल लॉ एंड डिप्लोमेसी कोर्स के लिए ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी चली गईं। ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में पढ़ाई के दौरान बेनजरी कई फोटो सामने आई। उस दौर में बेनजीर अपनी पार्टीज के लिए बहुत मशहूर थीं। उनके कई किस्से सामने आते हैं, कई बार पाकिस्तान में उनकी पार्टी के लिए उनके बारे सवालों का जवाब देना मुश्किल हो गया।
येलो कलर की एमजी कार से चलती थीं बेनजीर
ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में पढ़ाई के दौरान बेनजीर येलो कलर की एमजी कार से चलती थीं। उस दौर में ये कार होना अपने आप में बड़ी बात है। बेनजरी की उनके घर में उन की पहचान एक वेस्टर्नाइज टीनेजर जैसी थी।
बेनजीर के पिता को दी गई थी फांसी
बेनजीर के पिता जुल्फिकार अली भुट्टो पाकिस्तान के प्रधानमंत्री रह चुके थे। जुल्फिकार को अपने सहयोगियों की हत्या का दोषी मानते हुए फांसी की सजा दी थी। कहा तो ये भी जाता है कि बेनजीर के पिता जुल्फिकार भुट्टो को सैन्य शासक जिया उल हक के कहने पर फांसी की सजा दी गई थी।
1988 में पहली बार बनी थी पाकिस्तान की प्रधानमंत्री
बेनजीर भुट्टो पहली बार साल 1988 में चुनाव जीतकर पाकिस्तान की प्रधानमंत्री बनी थी। लेकिन उनका ये कार्यकाल ज्यादा लंबा नहीं चला और साल 1990 में पाकिस्तान के राष्ट्रपति ने उनकी सरकार को बर्खास्त कर दिया। लेकिन बेनजीर ने हिम्मत नहीं हारी। उन्होंने साल 1993 में फिर से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की।
बेनजीर पर लगे थे भ्रष्टाचार के आरोप
बेनजीर पर भ्रष्टाचार के आरोप भी लगे और उन्हें जेल जाना पड़ा। जेल से मुक्ति मिली तो उन्हें देश छोड़ना पड़ा और उन्होंने देश छोड़कर यूइई में शरण ले ली। साल 2007 में बेनजीर वापस पाकिस्तान लौट आईं। पाकिस्तान में वो चुनाव लड़ना चाह रही थी और इसी दौैरान उन पर गोलियां चलाई गई और उनकी मौत हो गई।
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