500-1000 रुपए के नोट बंद होने के बाद क्या है बाजार का हाल, पढ़िए आंखों देखी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस निर्णय के बाद बुधवार को जब हम देश की राजधानी दिल्ली के बाजार में पहुंचे तो लोगों ने अपनी कहानी खुद की ही जुबानी सुनाई।
नई दिल्ली। 8 नवंबर, 2016 को देश के नाम संबोधन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जैसे ही ऐलान किया कि 500 और 1000 रुपए के नोट 9 नवंबर, 2016 से बंद हो जाएंगे। वैसे ही देश भर में लोगों के बीच हड़कंप सा मच गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस निर्णय के बाद बुधवार को जब हम देश की राजधानी दिल्ली के बाजार में पहुंचे तो लोगों ने अपनी कहानी खुद की ही जुबानी सुनाई। हिंदी वन इंडिया से बातचीत में लोगों ने इस फैसले के बाद होने वाले असर पर से खुद को रूबरू कराया।
दिल्ली के पटेल नगर इलाके में मेडिकल स्टोर चला रहे स्नेह कुमार ने बताया कि 500-1000 रुपए के नोट बंद होने के बाद दवा खरीदने आ रहे मरीजों को दिक्कत हो रही है। चाहकर भी हम उनके नोट नहीं ले सकते हैं और उनको दवाई नहीं दे सकते हैं। स्नेह कुमार ने बताया कि केंद्र सरकार ने सरकारी मेडिकल कॉलेज में चल रहे मेडिकल स्टोर में 500-1000 रुपए के नोट लिए जाने की सुविधा लोगों को दी है। पर साधरण मेडिकल स्टोर पर यह नोट स्वीकार नहीं किए जा रहे हैं। उन्होंने यह भी बताया कि बाजार में 100 रुपए के नोटों की संख्या पहले से ही कम है। अब 500-1000 रुपए का नोट लाने वाले मरीज को दवाई नहीं दे पा रहे हैं। सिर्फ उन्हीं लोगों को दवाई दे रहे हैं जिन्हें जानते हैं और बाद में पैसे ले सकते हैं।
रतन गुप्ता और जितेंद्र चौहान दोनों ही कारोबारी ही हैं। दोनों ने अपनी समस्या बताते हुए कहा कि आज सुबह से ही लोग खाने-पीने का सामान खरीदने के लिए 500 रुपए का नोट लेकर आना शुरू हो गए। दाल से दूध तक खरीदने के लिए लोग 500 रुपए का नोट दे रहे हैं। साथ ही लोग सरकार के निर्णय को समझ नहीं पा रहे है और हमसे झगड़ रहे हैं। इसके चलते हमने अपनी दुकानों को बंद कर दिया है।
उन्होंने स्वीकार किया कि ये निर्णय इतनी जल्दी हुआ कि लोगों को समझ में ही नहीं आ रहा है कि क्या करें। रतन गुप्ता ने बताया कि हम मजबूर हैं और दुख के साथ कह रहे कि लोगों को आज हम उनकी जरूरत का सामान नहीं दे पा रहे हैं। वहीं जितेंद्र चौहान ने कहा कि बैंक अचानक बंद कर दिए गए हैं। कारोबारियों के लिए अलग करंट एकाउंट होता है। व्यापारियों को होने वाली असुविधा को सरकार को ध्यान में रखना चाहिए। साथ ही इस निर्णय को लागू करने के लिए सबको थोड़ा समय भी देना चाहिए।
जूस कॉर्नर चलाने वाले संत कुमार ने बताया कि आज सुबह से कई लोगों को वापस कर चुका है क्योंकि वो 500 रुपए का नोट लेकर आ रहे हैं। आज कई लोगों को उधार में ही जूस पिलाया है और उनसे बाद में पैसे लूंगा। लोगों को मना करना मजबूरी है, पर यह करना पड़ रहा है। संत कुमार ने बताया कि 1000 रुपए का नोट कम पर 500 रुपए का नोट पहले ही ज्यादा प्रयोग कर रहे थे। ऐसे लोगों को दिक्कत आ रही थी। संत कुमार ने मुस्कुराते हुए कहा कि इस महंगाई के दौर में 500 रुपए का नोट कब खत्म हो जाता है। पता नहीं चलता है।
वहीं दूसरी तरफ बैंकों के एटीएम और बाहर सन्नाटा पसरा हुआ है। बैंकों ने बाकायदा इसके लिए नोटिस जारी कर दिया है। यह नोटिस बैंकों के बाहर चिपका दिए गए हैं।
मेट्रो में 500-1000 रुपए के नोट न लेने की घोषणा के बाद मेट्रो स्टेशन पर भी लोगों को परेशानी का सामना करना पडा। पर बाद में सरकार ने फैसला किया कि मेट्रो स्टेशन पर 500-1000 रुपए के नोट लिए जाएंगे।