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Rahul kaswan : मोदी कैबिनेट के संभावित मंत्री चूरू MP राहुल कस्वां ने सड़क पर जीप में क्यों गुजारी थी रात?

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नई दिल्ली, 7 जुलाई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मंत्रिमंडल में बड़ा फेरबदल होने जा रहा है। इस बदलाव के बाद यह मोदी की अब तक की सबसे युवा कैबिनेट होगी। खबर है कि शाम तक नए मंत्री शपथ ले सकते हैं। मोदी कैबिनेट में इस बार राजस्थान से चूरू सांसद राहुल कस्वां व चित्तौड़गढ़ सांसद सीपी जोशी की एंट्री और बीकानेर सांसद व वर्तमान में संसदीय मामलों के राज्यमंत्री अर्जुन मेघवाल का कद बढ़ना लगभग तय माना जा रहा है।

आईए इस मौके पर जानते हैं 37 की उम्र में मंत्री बनने जा रहे राहुल कस्वां के बारे में।

चूरू के गांव कालरी के रहने वाले हैं राहुल कस्वां

चूरू के गांव कालरी के रहने वाले हैं राहुल कस्वां

राजस्थान में भाजपा के सबसे युवा सांसदों में से एक राहुल कस्वां मूलरूप से चूरू जिले के राजगढ़ उपखंड (सादुलपुर) के गांव कालरी के रहने वाले हैं। 20 जनवरी को रामसिंह कस्वां व कमला कस्वां के घर राहुल कस्वां का जन्म हुआ।

 चूरू सांसद राहुल कस्वां की शिक्षा

चूरू सांसद राहुल कस्वां की शिक्षा

राहुल कस्वां की शुरुआती पढ़ाई राजगढ़ के पास स्थित झुंझुनूं जिले के पिलानी में बिड़ला पब्लिक स्कूल से हुई। यहां के छात्रावास में रहकर राहुल कस्वां ने साल 1996 में 12वीं कक्षा उत्तीर्ण की। दिल्ली विवि से वािणज्य संकाय में साल 1999 में स्नातक की डिग्री प्राप्त की। साल 2001 में राहुल कस्वां ने दिल्ली के नेशनल इंस्टीटयूट आफ सेल्स से मैनेजमेन्ट में पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा किया।

 राहुल कस्वां ने जयपुर की नीलू धनखड़ से की शादी

राहुल कस्वां ने जयपुर की नीलू धनखड़ से की शादी

सांसद राहुल कस्वां की शादी जयपुर की नीलू धनखड़ से साल 2000 में हुई। नीलू के पिता कुलदीप धनखड़ जयपुर के जाने माने व्यवसायी हैं। राहुल कस्वां और नीलू के दो बेटे रेवांत व रोनित हैं। नीलू गुडगांव की एक निजी कंपनी में जॉब करती हैं।

राहुल कस्वां का राजनीतिक करियर

राहुल कस्वां का राजनीतिक करियर

चूरू लोकसभा चुनाव 2019

राहुल कस्वां चूरू संसदीय क्षेत्र से दूसरी बार सांसद हैं। लोकसभा चुनाव 2019 में राहुल कस्वां ने भाजपा की टिकट पर कांग्रेस के रफीक मंडेलिया को 3 लाख 34 हजार 402 मतों से हराया था। राहुल कस्वां को 7 लाख 92 हजार 999 और रफीक मंडेलिया को 4 लाख 58 हजार 597 वोट मिले थे।

 चूरू लाेेकसभा चुनाव 2014

चूरू लाेेकसभा चुनाव 2014

लोकसभा चुनाव 2014 में राहुल कस्वां के सामने बसपा के अभिनेष महर्षि को दो लाख 94 हजार 739 मतों से हार का सामना करना पड़ा था। राहुल कस्वां को कुल पांच लाख 95 हजार 756 और अभिनेष म​हर्षि को 3 लाख एक हजार 17 वोट मिले थे।

 पिता की पहली जीत कस्वां का यादगार पल

पिता की पहली जीत कस्वां का यादगार पल

मीडिया से बातचीत में राहुल कस्वां बताते हैं कि पिता रामसिंह कस्वां पहली बार चूरू के सांसद बने वो पल कभी नहीं भूल सकता है। उसी वक्त पूरी रात जीप में गुजारी थी। हुआ यूं था कि लोकसभा चुनाव 1991 में राहुल कस्वां के पिता रामसिंह कस्वां भाजपा की टिकट से मैदान में थे। सामने थे कांग्रेस के जयसिंह राठौड़। दोनों के बीच कांटे का मुकाबला था।

राहुल कस्वां ने लोहिया कॉलेज के सामने इसलिए जीप में रात गुजारी

राहुल कस्वां ने लोहिया कॉलेज के सामने इसलिए जीप में रात गुजारी

कस्वां को 189568 और राठौड़ को 189400 वोट मिले थे। उस वक्त ईवीएम की बजाय मतपत्रों का इस्तेमाल होता था। चूरू जिला मुख्यालय पर राजकीय लोहिया कॉलेज में मतगणना हो रही थी। मतगणना रातभर चली। ऐसे में राहुल कस्वां को अपने समर्थकों के लोहिया कॉलेज के बाहर जीप में ही रात गुजारनी पड़ी थी। सुबह छह बजे चुनाव परिणाम आया। रामसिंह कस्वां 168 मतों से जीतकर पहली बार चूरू के सांसद बने।

​पिता रामसिंह कस्वां एमपी बनने की हैट्रिक लगा चुके हैं

​पिता रामसिंह कस्वां एमपी बनने की हैट्रिक लगा चुके हैं

राहुल कस्वां लगातार दो बार चूरू के सांसद रह चुके हैं जबकि इनके पिता रामसिंह कस्वां को सांसद बनने का गौरव चार प्राप्त हो चुका है। रामसिंह कस्वां तो सांसदी की हैट्रिक लगा चुके हैं। 1991 में पहली बार सांसद बनने के बाद रामसिंह कस्वां लोकसभा चुनाव 1996 और 1998 में कांग्रेस के नरेंद्र बुडानिया के सामने हार चुके हैं। फिर लोकसभा चुनाव 1999, 2004 और 2009 में लगातार तीन बार जीत दर्ज की।

 कस्वां का परिवार साढ़े चार दशक से राजनीति में सक्रिय

कस्वां का परिवार साढ़े चार दशक से राजनीति में सक्रिय

बता दें कि राहुल कस्वां अपने परिवार की राजनीति विरासत संभालने वाली चौथी पीढ़ी है। इनका परिवार साढ़े चार दशक से राजनीति में सक्रिय है। राहुल कस्वां के दादा दीपचन्द कस्वां ने सादुलपुर विधानसभा सीट से पहला चुनाव बतौर निर्दलीय उम्मीदवार लड़ा, लेकिन निर्दलीय प्रत्याशी जयनारायण से हार गए।

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फिर इसी सीट से 1980 में निर्दलीय चुनाव लड़ते हुए निर्दलीय प्रत्याशी नन्दलाल को हराया। वर्ष 1985 के विधानसभा चुनावों में दीपचन्द कस्वां हार गए। फिर साल 1990 में दीपचन्द के पुत्र रामसिंह कस्वां ने सादुलपुर सीट से विधानसभा चुनाव लड़ा, लेकिन ये भी हार गए। राहुल कस्वां की मां कमला कस्वां भी राजगढ़ से विधायक रह चुकी हैं।

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English summary
Rahul Kaswan MP Churu can become a minister in Modi cabinet Know Biography Family & Political Career
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