Teachers Day Special: पीएम मोदी को गुरु मानते है ये दिव्यांग जुड़वा भाई, जानिए क्यों
मेरठ। 5 सितंबर, दिन शनिवार को पूरे देश में शिक्षक दिवस मनाया जा रहा है। तो आज हम भी आपको शिक्षक दिवस से जुड़ी एक ऐसी कहानी के बारे में बताने जा रहे है, जिसे सुनकार आप भी इन दोनों दिव्यांग जुड़वा भाइयों की तारीफ करे बिना रह नहीं करेंगे। दरअसल, ये कहानी है उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले के ऐसे दो जुड़वा भाइयों की जो बचपन से ही न ठीक से चल सकते हैं और न ही ठीक से उठ बैठ सकते हैं। यहां तक कि इन दोनों जुड़वा भाइयों को बोलने में भी तकलीफ होती है, लेकिन 2014 में मोदी सरकार आने के बाद इन्हें एचआरडी मिनिस्ट्री से सम्मान क्या मिला ये कामयाबी की उड़ान भरने लगे।
दोनों भाई को है सेरब्रल पॉल्सी नाम की बीमारी
दरअसल, ये कहानी मेरठ के दो जुड़वा दिव्यांग भाइयों आयूष और पीय़ूष की है। आयूष और पीयूष को सेरेब्रल पॉल्सी नाम की गंभीर बीमारी है। इस बीमारी की वजह से आयूष और पीयूष बचपन से ही न ठीक से चल सकते हैं न उठ बैठ सकते हैं। यहां तक कि वो ठीक से बोल भी नहीं सकते। लेकिन 2014 में मोदी सरकार बनने के बाद उन्हें एचआरडी मंत्रालय की तरफ से एक चिट्ठी क्या मिली उनके जीवन की धारा ही बदल गई। इस चिट्ठी ने इन दोनों जुड़वा भाइयों को ऐसा मॉटिवेट किया कि आज ये पोस्ट ग्रेजुएट होने की राह पर है।
पीएम नरेंद्र मोदी को मानते है गुरु
इन दोनों जुड़वा भाइयों का कहना है कि उनके जीवन में सिवाय निऱाशा के और कुछ बाकी नहीं रह गया था लेकिन पीएम मोदी के व्यक्तित्व ने उन्हें ऐसा प्रेरित किया कि वो उन्हें अपना गुरु मन ही मन मानने लगे। उन्हीं की बदौलत तमाम कठिन हालातों का मुकाबला करते हुए अपने लक्ष्य को हासिल करने में जुटे हुए हैं। आय़ूष और पीयूष का कहना है कि यूं तो उनके जीवन में आए सभी टीचर्स उनके लिए प्रेरणास्रोत हैं लेकिन पीएम मोदी को वो भगवान की संज्ञा देते हैं।
जिंदगी की जंग में कदम से कदम मिलकर चले दोनों भाई
सेरेब्रल पॉल्सी से जूझते जुड़वा भाई पीयूष और आयुष को माता पिता की शक्ति ने भी ताकतवर बना दिया। जिंदगी की जंग में दोनों भाई कदम मिलाकर चल रहे हैं तो इसके पीछे मां और पिता की ममता है। बलवंतनगर निवासी आयुष और पीयूष अब पोस्ट ग्रेजुएट होने को हैं। वह जब पैदा हुए तो वजन महज 900 ग्राम था। ये शिशु इतने कमजोर थे कि कोई हाथ से उठाने में भी हिचकता था। बड़े हुए तो सेरेब्रल पाल्सी जैसे असाध्य रोग ने बचपन पर शिकंजा कसा। लेकिन इन सब परेशानियों को बचपन मां ने पानी की तरह आसान और शीतल बना दिया।
हर क्षण साथ नजर आई मां
मां रोज फिजियोथेरपी कराने से लेकर स्कूल तक के सफर में हर क्षण साथ नजर आई। अमूमन इसे असाध्य बीमारी मानकर कई बार परिवार भी अपनी जिंदगी में रम जाता है। लेकिन यहां मां ने एक क्षण भी उन्हें नजरों से ओझल नहीं होने दिया। मां ने चेहरा देखकर अपने बच्चों के मन के हलचल को भांपा। दर्द को हरा और उम्मीदों को नई उड़ान दी। आज दोनों भाई अपनी पढ़ाई के साथ-साथ सामाजिक कार्यो में भी भाग लेने लगे हैं। शांतनिकेतन विद्यापीठ में पढ़ने वाले दोनों भाई अपने हुनर और हौसलों से हर जगह सराहे जाते हैं। उनकी मंशा है कि वो जीवन में एक बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिले, जिन्होंने उन्हें कर्म की सीख दी।