पन्ना में रत्नगर्भा ने उगले चार हीरेः मिट्टी खोदते-खोदते बन गए लखपति, जंगल की पगडंडी पर मिल गया हीरा
सागर,
23
सितंबर।
मप्र
के
पन्ना
में
गुरुवार
का
दिन
मजदूरों
के
नाम
रहा।
यहां
पन्ना-अजयगढ़
बायपास
के
पास
जंगल
में
निरूपाल
को
पगडंडी
से
जाते
हुए
हीरा
मिला
तो
पूरन
अहिरवार
को
30
साल
की
मेहनत
के
बाद
हीरा
मिला
है।
इसी
प्रकार
ओमप्रकाश
जोगी
को
कृष्णकल्यानपुर
पट्टी
की
खदान
में
करीब
4
कैरेट
तो
बृजपुर
निवासी
राजेन्द्र
गुप्ता
को
6
साथियों
के
साथ
सिरस्वहा
भरका
खदान
में
डायमंड
मिला
है।
ये
सभी
हीरे
करीब
45
से
50
लाख
रुपए
कीमत
के
बताए
जा
रहे
हैं।
इन्हें
हीरा
कार्यालय
में
जमा
कराया
गया
है।
नीरु पाल जंगल से जा रहा था, पगडंडी पर पड़ा मिल गया हीरा
पन्ना शहर में रहने वाले नीरु पाल को धरती ने निहाल कर दिया। वह बीते रोज पन्ना बायपास के जंगलों से किसी काम से पगड्ंडी से होकर जा रहा था। यहां उसे मिट्टी में एक चमकता पत्थर नजर आया तो उसने उसे उठा लिया और जेब में रख लिया। उसे लगा कि यह हीरा हो सकता है। जब वह पन्ना के जिला मुख्यालय पर हीरा खदान में पहुंचता तो वहां उसकी जौहरी ने परख करते बताया कि यह हीरा है। जिसका वजन 1.30 कैरेट है। इसकी कीमत लाखों में होगी। यह गैर तराशा हीरा है। नीरु ने सरकारी प्रक्रिया पूरी करते हुए हीरे को कार्यालय में जमा कराकर रसीद ले ली है। उसे किस्मत ने राह चलते हुए डायमंड देकर किस्मत को चमका दिया।
पूरन अहिरवार की 30 साल बाद जाग उठी किस्मत
पन्ना ग्रामीण इलाके में रहने वाला पूरन अहिरवार करीब 30 साल पहले से अलग-अलग जगह हीरा खदान का पट्टा लेकर मिट्टी की खुदाई करता रहा है। वह जवान से अधेड़ हो गया। गुरुवार को अचानक उसकी तकदीर पलट गई। दरअसल पूरन ने कृष्णकल्याणपुर पट्टी इलाके में खदान का पन्ना लिया था। उसे यहां 1.10 कैरेट का हीरा हाथ लगा है। हीरे के हाथ में आते ही उसका चेहरा भी डायमंड के जैसे दमक उठा। ईश्वर ने उसकी मुराद पूरी कर दी थी। उसने हीरा कार्यालय आकर हीरा जमा करा दिया है। पूरन ने स्थानीय मीडिया से चर्चा के दौरान अपनी खुशी जाहिर करते हुए बताया कि हीरे की नीलामी में जो भी पैसा उसे मिलेगा उससे वह अपने बच्चों के लिए कोई धन्धा प्रारंभ करेगा।
छह साथियों ने 200 रुपए में खदान का पट्टा बनवाया था, 3.21 कैरेट का हीरा मिला है
पन्ना के बृजपुर इलाके में रहने वाले मजदूर राजेंद्र गुप्ता ने छह मित्रों के साथ मिलकर सिरस्वाहा इलाके भरका में महज 200 रुपए जमा कर हीरा खोदने के लिए पट्टा बनवाया था। उसे करीब डेढ़ महीने बाद सफलता मिली है। राजेंद्र और उसके साथियों को मिट्टी की धुलाई करने के बाद करीब 3.21 कैरेट का हीरा हाथ लगा है। पहले तो उसे व साथियों को यकीन ही नहीं हुआ कि जो चमकीला पत्थर उनके हाथ में है वह हीरा ही है। संशय के बीच जब हीरा कार्यालय पहुंचे तो पता चला कि करीब 15 लाख रुपए से अधिक कीमत का हीरा वे लाए हैं। राजेंद्र और उसके साथियों की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। ईश्वर का धन्यवाद देते हुए वे खुशी-खुशी घर गए हैं।
ओमप्रकाश को खदान ने किया मालामाल 16 लाख से अधिक का हीरा मिल गया
पन्ना के कृष्ण कल्याणपुर पट्टी में ओमप्रकाश जोगी बेहद खरीदी में परिवार की गुजर बसर कर रहे हैं। वे जगह-जगह मजदूरी करते रहे हैं। अब जाकर खदान का पट्टा लिया था। यहां की धरती ने ओमप्रकाश के जीवन में उजाला कर दिया। उसे खदान से करीब 4 कैरेट का हीरा मिला है। गुरुवार को जमा कराए गए हीरों में यह सबसे वजनदार हीरा है। जिसकी कीमत ही 16 लाख से अधिक की आंकी जा रही है। ओमप्रकाश व उसका परिवार काफी लंबे समय से हीरा खदान में मिट्टी खोदकर दिनरात पसीना बहाता रहा है। भगवान ने उसकी मुराद एक झटके में पूरी कर दी है। ओमप्रकाश का कहना है कि भगवान जुगल किशोर ने उसकी मुराद पूरी कर दी, अब उसकी गरीबी के दिन गुजर जाएंगे।
पन्ना में उज्जवल किस्म के हीरे मिलते हैं
पन्ना में अभी तो हीरे मजदूरों को मिलते रहे हैं, उनमें से अधिकांश डायमंड उज्जवल किस्म के हीरे होते हैं। इन हीरों को जब तराशा जाता है तो ये रोशनी में चमक उठते हैं। जेम्स क्वालिटी के हीरों की नीलामी में अच्छी कीमत मिलती है। हीरा कार्यालय में गुरुवार को जमा कराए गए चारों हीरें उज्जवल क्वालिटी के ही हैं। इन सभी को नीलामी में रखा जाएगा। उम्मीद है कि चारों हीरों की कीमत करीब 45 लाख रुपए के आसपास आंकी जाएगी। बहरहाल जो भी राशि सरकारी खजाने में व्यापारियों द्वारा नीलामी के बाद जमा कराई जाएगी। उसमें से टैक्स वगैरह की 12 फीसदी राशि काटकर मजदूरों को आॅनलाइन ट्रांसफर कर दी जाएगी।
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