पन्ना टाइगर रिजर्व: काम नहीं आई विशेषज्ञों की मेहनत, केनकली हथिनी के बच्चे की मौत
सागर, 20 जून। पन्ना टाइगर रिजर्व में बीते 24 मई को केनकली हथिनी से जन्मे नन्हें हाथी की मौत हो गई है। वह मात्र 27 दिन का जीवन जीया। उसके पीछे के पैरों में लकवा जैसी अज्ञात बीमारी थी। पीटीआर प्रबंधन देशभर के वन्य प्राणी विशेषज्ञों से परामर्श कर विशेषज्ञों से इलाज करा रहा था, लेकिन विशेषज्ञों और डॉक्टरों की मेहनत काम नहीं आई।
पन्ना टाइगर रिजर्व में बाघों की सुरक्षा और पर्यटकों को पीटीआर में बाघों का दीदार कराने के लिए हाथी दल रखा गया है। इसमें से एक केनकली नाम की हथिनी है। बीते 24 मई को केनकली ने बच्चे को जन्म दिया था, लेकिन जन्म के तुरंत बाद से ही वह अपने पैरों पर खडा नहीं हो पा रहा था। मां का दूध भी पीने में वह असमर्थ था। लकडी का स्ट्रक्चर बनाकर उसके पीछे के पैरों को सपोर्ट देकर मां का दूध पिलाने का प्रयास किया जा रहा था।
जबलपुर
से
आई
टीम
इलाज
दे
रही
थी
पीटीआर
में
मौजूद
डॉक्टर,
विशेषज्ञ
उसका
इलाज
कर
रहे
थे।
जबलपुर
वन्य
प्राणी
संस्थान
से
भी
विशेषज्ञों
की
टीम
पन्ना
पहुंचकर
हाथी
के
बच्चे
का
इलाज
कर
रहे
थे।
उसकी
फिजियोथेरेपी
भी
चल
रही
थी।
देश
के
अन्य
इलाकों
के
वन्य
प्राणी
विशेषज्ञों
से
उसके
इलाज
को
लेकर
परामर्श
किया
ज
रहा
था,
लेकिन
मेहनत
काम
न
आई।
आखिरकार
बीते
रोज
नन्हे
हाथी
की
सांसे
थम
गईं।
बीते
27
दिनों
से
उसकी
सेवा
में
जुटे
डॉक्टर
और
कर्मचारी
उसकी
मौत
से
काफी
दुखी
हैं।