Good News: बालाघाट में एक साथ जन्मे 4 बच्चों को नया जीवन, खुशियों में लगा डबल चौका
यह किसी बड़े चमत्कार से कम नहीं कि 29वें हफ़्ते में प्री- मैच्योर डिलिवरी से जन्में बच्चों जिनकी हालत बेहद गंभीर थी, वह अब सबकी आँखों का तारा बनकर अच्छे से घर पहुंचे है।
बालाघाट, 15 जुलाई: "कहते है 'कुछ मिल जाना किस्मत से भी होता है', पर कुछ हासिल तो कोशिशों से ही होता है"...मध्यप्रदेश के बालाघाट जिले के सरकारी अस्पताल ने इन्ही लाइनों को चरितार्थ करके दिखाया हैं। एक महिला से समय से पहले जन्में एक साथ 4 बच्चों के बचने की लोगों ने उम्मीद छोड़ दी थी, लेकिन अच्छी खबर (Good News) ये है कि अस्पताल के स्टाफ की कोशिशों ने नवजात बच्चों को नई जिंदगी दी है। यह किसी बड़े चमत्कार से कम नहीं कि 29वें हफ़्ते में प्री- मैच्योर डिलिवरी से जन्में बच्चों. जिनकी हालत बेहद गंभीर थी, वह अब सबकी आँखों का तारा बनकर अच्छे से घर पहुंचे है। इस मामले ने एक बार फिर सरकारी अस्पताल के डाक्टर्स के प्रति भरोसा बढ़ाने का काम किया है।
53 दिन की कोशिशों से लगा खुशियों का डबल चौका
करीब दो माह पहले मप्र के बालाघाट जिले के सरकारी अस्पताल में 23 मई को प्रीति मेश्राम ने एक साथ 4 बच्चों को जन्म दिया था। प्रीति की झोली में खुशियाँ तो आई लेकिन उनके पूरे रहने पर संदेह था। क्योकि समय से करीब दो महीने डिलिवरी हो गई, और सभी बच्चों का वजन बेहद कम था। बच्चों के साँस लेने में भी कई परेशानियाँ थी। लेकिन अस्पताल के डॉक्टर्स ने बच्चों को इलाज के लिए सिर्फ भर्ती नहीं रखा, बल्कि उनको नई जिंदगी देने की चुनौती को स्वीकार किया। 53 दिनों की कोशिशों के बाद चारों बच्चें अब पूरी तरह स्वस्थ है। उनका पहले के मुकाबले वजन भी बढ़ गया। जिसके बाद विशेषज्ञ डॉक्टर्स की सलाह पर बच्चों को डिस्चार्ज कर घर भेजने की सलाह दी गई।
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डिस्चार्ज का तरीका भी अनूठा
जन्म के बाद से ही बड़े खतरे के बीच झूल रहे चारों नवजात बच्चों को जब नया जीवन मिला, तो अस्पताल प्रबंधन भी इसे भगवान के किसी बड़े चमत्कार से कम नहीं मान रहा। कम ही मामले होते है कि बेहद क्रिटिकल स्थिति से कोई डॉक्टर ऐसे बच्चों को बाहर निकालने में कामयाब हो सकें। यह मामला उन्हीं में से एक है। इसलिए जब बच्चों को अपनी माँ के साथ डिस्चार्ज किया गया, तो अस्पताल के स्टॉफ ने बच्चों की भगवान की तरह पूजा की। तिलक लगाकर बच्चों की आरती उतारी, फिर उन्हें सकुशल घर के लिए विदा किया। सभी ने बच्चों को सीने से लगाकर उनके खुशहाल जीवन की कामना की।
नई जिंदगी के साथ खिलौनों की खुशियाँ
लगभग दो माह के होने वाले इन बच्चों से अस्पताल के स्टॉफ का बेहद लगाव हो गया था। अपने घर-परिवार के किसी बच्चे की तरह देखभाल की जाती थी। जिस वक्त स्टॉफ के जिस सदस्य की ड्यूटी रहती थी, वह पहले ही पहुँच जाता था। इन बच्चों का जीवन बचाने और उनके माता-पिता को खुशियाँ वापस लौटाने वाला यह अस्पताल मिसाल बन गया है। डाक्टर्स और स्टाफ नर्स की इन बच्चों के प्रति मोहब्बत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है, कि डिस्चार्ज के वक्त सभी ने मिलकर बच्चों को खिलौने भी भेंट किए।
थोड़े गम है, पूरी खुशियाँ
बच्चों के सकुशल घर पहुँचने के बाद उनके माता-पिता को पूरी खुशियाँ मिल गई है। पिता नंदलाल मेश्राम मेहनत मजदूरी कर अपनी जीविका चलाता है। लेकिन अब उसके कंधों पर एक साथ चार जिम्मेदारियां है। उसका कहना है कि बच्चे पूरी तरह स्वस्थ होने के बाद, उसे दोगुनी ख़ुशी मिली है। पिता नंदलाल मेश्राम और माँ प्रीति बच्चों के लालन पोषण में कोई कमी रखना नहीं चाहते, लेकिन उन्हें अब शासन से मदद की दरकार है। बच्चों के जन्म के बाद उनकी ख़राब हालत देखकर थोड़े दिन मायूसी भले ही थी, लेकिन अब यह परिवार बेहद खुश है।
अमेरिका में एक महिला ने एक साथ दिया था 8 बच्चों को जन्म
डेली मेल में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक जनवरी 2009 में अमेरिका में रहने वाली नताली सुलेमान ने एक साथ 8 बच्चों को जन्म दिया था। दुनियाभर में ऑक्टोमॉम के नाम से फेमस नताली डिलिवरी के बाद खुद किस्मत रही कि उनके बच्चे स्वस्थ थे। जुड़वाँ बच्चों को ट्विन्स, एक साथ जन्मे तीन बच्चों को ट्रिपलेट्स कहते है। उसी तरह एक साथ आठ बच्चों के जन्म को ऑक्टोप्लेट्स कहते है।
क्या होती है ज्यादा बच्चों के होनी की वजह ?
आमतौर पर डिलिवरी के दौरान एक या जुड़वाँ बच्चों के जन्म को सामान्य मानते है। एक साथ तीन बच्चों के जन्म के मामले भी बढ़े है। लेकिन चार या उससे अधिक बच्चों का एक साथ जन्म देना किसी भी महिला के लिए सामान्य अवस्था नहीं मानी जाती। जुड़वाँ बच्चों के जन्म की दो तरह की प्रवत्ति होती है। पहली प्रवत्ति एक दूसरे से अलग दिखने वाले यानि मैनोजाइगॉटिक, और दूसरी यानि एक से दिखने वाले जुड़वा डायजाइगॉटिक कहलाते है। जुड़वाँ बच्चों की अनुवांशिक संरचना एक तरह की होती है। एक एग से किसी स्पर्म द्वारा फ़र्टिलाइज प्रक्रिया में जब दो एम्ब्रीओ का निर्माण होता है तो मैनोजाइगॉटिक बच्चों का जन्म होता है। इसी प्रकार जब दो अलग स्पर्म दो अलग अलग एग्स को फ़र्टिलाइज करने की क्षमता रखते है, तो डायजाइगॉटिक बच्चों का निर्माण होता है।
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