कांग्रेस सेवादल ने आरएसएस को बताया फौजी और अनुशासन वाला संगठन
भोपाल। मध्य प्रदेश कांग्रेस सेवादल ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की तारीफ करते हुए उसे फौजी और अनुशासन वाला संगठन बताया गया है। यही नहीं संघ के संस्थापक डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार को देशभक्त भी बताया गया है। कांग्रेस ने एक प्रेस नोट में यह बातें लिखी हैं। प्रेस नोट के वायरल होने के बाद सेवादल ने इसे फर्जी करार दिया और मामला दर्ज करवाने की बात कही है।
सेवादल के जारी बयान में डॉ. हेडगेवार की खुलकर तारीफ की गई है। उनके 1921 के असहयोग आंदोलन में भाग लेने और जेल जाने का जिक्र भी किया गया है। साथ ही 1928 में साइमन कमीशन के भारत आगमन पर आरएसएस के आंदोलन करने का भी जिक्र प्रेस नोट में है। सेवादल के मुताबिक, आरएसएस ने आजादी की लड़ाई में भाग लिया था। बताया जा रहा है कांग्रेस सेवादल ने भिंड में एक कैंप का आयोजन किया है। इसमें प्रदेश कांग्रेस के दिग्गज नेता दिग्विजय सिंह, ज्योतिरादित्य सिंधिया और कमलनाथ भी भाग लेंगे। ये कैंप सोमवार से शुरू हुआ है और 31 अगस्त तक चलेगा। 28 अगस्त को संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालजी भाई देसाई इस कैंप का शुभारंभ करेंगे।
कांग्रेस में सेवादल को फौजी अनुशासन और जज्बे के लिए जाना जाता है। इसका संगठनात्मक ढांचा और संचालन का तरीका सैन्य रहा है। कभी कांग्रेस में शामिल होने से पहले सेवादल की ट्रेनिंग जरूरी होती थी। जबकि संघ का गठन सेवादल के दो साल बाद किया गया था। डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार और डॉ. नारायण सुब्बाराव हार्डिकर क्लास फेलो थे।
वहीं दूसरी ओर सरकारी बंगला खाली करने के बाद मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और प्रदेश समन्वय समिति के मुखिया दिग्विजय सिंह के नए दफ्तर को लेकर भी विवाद शुरू हो गया है। सरकारी बंगले को खाली करने के बाद दिग्विजय का सामान रिवेरा टाउन में शिफ्ट किया गया था और वहीं किराए के मकान में दफ्तर लगाने की तैयारी की जा रही थी, लेकिन रिवेरा टाउन सोसाइटी ने दफ्तर शुरू करने की अनुमति नहीं दी है। बताया गया है कि सोसाइटी में किसी तरह के दफ्तर को लगाने की अनुमति नहीं है।
गौरतलब है कि पिछले दिनों दिग्विजय सिंह ने राजधानी भोपाल स्थित सरकारी बंगले को खाली कर दिया था। श्यामला हिल्स स्थित बी-वन बंगले से दिग्विजय सिंह का सामान शिफ्ट किया जा चुका है। सामान को तीन ट्रकों में भरकर ले जाया गया। दिग्विजय सिंह के इस बंगले को लेकर बवाल तब मचा था जब उन्हें यह बंगला खाली कराने के आदेश दिए गए थे, जबकि बीजेपी के पूर्व मुख्यमंत्रियों को नियम बनाकर पुराने बंगले में ही रहने की अनुमति दे दी गई थी।