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क्या है यूपी में गायत्री प्रजापति होने का मतलब

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लखनऊ। उत्तर प्रदेश की राजनीति में पिछले दिन में मची उठापटक के बीच पार्टी से निष्कासित किए गए गायत्री प्रजापति अब और ताकतवर नेता के रूप में उभरे हैं। प्रजापति को मंत्रालय से बर्खास्त किए जाने के बाद सपा पार्टी दो कुनबे में बंट गई, ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि यूपी की राजनीति में गायत्री प्रजापति की क्या अहमियत है। मंत्रालय से बर्खास्त किए जाने के महज एक हफ्ते के भीतर उन्हें फिर से कैबिनेट मंत्री बनाए जाने की घोषणा हुई, खुद सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव ने उनकी वापसी के लिए मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव से सिफारिश की।

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Why Gayatri Prajapati is important for Samajwadi party in Uttar Pradesh

अखिलेश यादव और चाचा शिवपाल यादव के बीच तनातनी को खत्म करने के लिए जो चार अहम शर्तें रखी गई उनमे से एक थी गायत्री प्रजापति को फिर से कैबिनेट रैंक दिया जाना। सपा के दागी मंत्री गायत्री प्रजापति के लिए जिस तरह से विवाद बढ़ा उसने पार्टी के भीतर और राज्य में उनकी अहमियत को लोगों के सामने लाकर रख दिया।

जिस वक्त गायत्री प्रजापति को उनके पद से हटाया गया माना जा रहा था कि अखिलेश यादव ने यह कदम खनन घोटाले के चलते लिया था। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने खनन घोटाले में सीबीआई जांच के आदेश दिए थे ऐसे में कोर्ट के इस फैसले के महज तीन दिन के बाद अखिलेश यादव के इस फैसले के निहितार्थ यह निकाले जा रहे थे कि उन्होंने आगामी चुनाव को देखते हुए पार्टी की छवि को सुधारने के लिए यह फैसला लिया है।

अखिलेश के सौतेले भाई से नजदीकियां

खनन घोटाले के अलावा जो अन्य तथ्य निकलकर सामने आए वह यह थे कि गायत्री प्रजापति का अखिलेश यादव के सौतेले बेटे प्रतीक यादव के साथ कथित रियल स्टेट के बिजनेस से बढ़ती नजदीकियां थी।

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जमीन हड़पने का आरोप

गायत्री प्रजापति लंबे समय से पार्टी और सरकार के लिए विवाद का मुद्दा रहे हैं। अमेठी से पहली बार विधायक चुने गए प्रजापति पर जमीन हड़पने समेत तमाम आरोप लगे हैं। यहां तक कि उन्हें इन आरोपों के चलते लोकायुक्त तक का सामना करना पड़ा है। यही नहीं एक विधवा ने तो गायत्री प्रजापति के खिलाफ लखनऊ में धरना तक दिया था। महिला ने आरोप लगाया था, इसके अलावा गायत्री प्रजापति पर ग्राम सभा की जमीन हड़पने का भी आरोप लगा था।

बेटी पर कन्या धन लेने का आरोप

इसी साल की शुरुआत में उनपर एक और आरोप लगा था कि उनकी बेटी कन्या धन योजना की गलत लाभ उठा रही है, जोकि सिर्फ गरीबी रेखा से नीचे रहने वालों के लिए है।

अमिताभ ठाकुर प्रकरण में उछला नाम

गायत्री प्रजापति उस वक्त भी सुर्खियों में आए थे जब उनके खिलाफ नूतन ठाकुर व आईपीएस अमिताभ ठाकुर ने आरोप लगाया था कि उन्होंने जान से मरवाने की कोशिश की थी। मुलायम सिंह यादव के कठित फोन कॉल के जरिए अमिताभ ठाकुर ने यह आरोप लगाया था कि मुझे जाने से मरवाने की कोशिश हो सकती है।

हार को बदला जीत में

जब वह पहली बार अमेठी से 2012 में विधायक बने उस वक्त तक वह काफी बार चुनावी मैदान में उतर चुके थे और हार का सामना कर चुके थे। उन्होंने इससे पहले 1993 में चुनाव लड़ा जिसमें उन्हें सिर्फ 1526 वोट मिले। जिसके बाद उन्हें 1996, 2002 में भी हार का सामना करना पड़ा था।

2012 के बाद तेजी से उभरे गायत्री प्रजापति

लेकिन 2012 में अमिता सिंह को हराने के बाद गायत्री प्रजापति ने राजनीति की सीढ़िया काफी तेजी से चढ़ी, पहले वह पार्टी के मुखिया के करीब आए, उसके बाद उन्हें 17 पिछड़ी जातियों का प्रतिनिधित्व करने का जिम्मा दिया गया। यही नहीं 2014 में वह लोकसभा चुनाव के लिए स्टार प्रचार भी रहे। महज एक साल के भीतर उन्हें कैबिनेट मंत्री भी बनाया गया।

मायावती ने कहा दाल में काला है

जिस तरह से गायत्री प्रजापति को घोटालों में कथित रूप से लिप्तता के बावजूद फिर से मंत्री पद पर बहाल किया गया उसपर मायावती ने भी निशाना साधा है। उन्होंने कहा था कि इस प्रकरण से साफ हो गया है कि दाल में कुछ काला है। अगर वह इमानदार हैं तो उन्हें हटाया क्यों गया और अगर वह भ्रष्ट हैं तो क्या वह अन्य मंत्रालय में भ्रष्टाचार नहीं करेंगे।

भाजपा ने बताया सपा का ड्रामा

वहीं भाजपा ने गायत्री प्रजापति के प्रकरण को मेरा ड्रामा करार दिया है। प्रदेश अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्या ने आरोप लगाया कि भष्ट अधिकारियों को मुख्यमंत्री की शह मिली हुई है।

सपा के लिए बाबू सिंह कुशवाहा ना साबित हों गायत्री

कुछ लोगों का मानना है कि अगर गायत्री प्रजापति सपा के लिए बाबू सिंह कुशवाहा साबित हुए तो काफी मुश्किल हो सकती है। कुशवाहा भी खनन मंत्री थे और बसपा की सरकार के दौरान उनपर कई आरोप लगे थे।

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English summary
Why Gayatri Prajapati is important for Samajwadi party in Uttar Pradesh. Why despite so much controversies he managed to get back into the ministry.
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