झारखंड में सरकारी नौकरियों की बहार, 50,000 स्कूल टीचरों के पद सृजन की तैयारी
रांची: झारखंड में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की सरकार ने प्राथमिक शिक्षा व्यवस्था में चुस्ती लाने के साथ-साथ शिक्षित बेरोजगारी की दिशा में बड़ा कदम उठाने की तैयारी की है। राज्य के शिक्षा और साक्षरता विभाग ने प्राथमिक स्कूलों में पहली बार सहायक टीचरों की नियुक्ति के लिए सरकार के पास 50,000 पद सृजित करने की सिफारिश की है। इसपर सिर्फ कैबिनेट को फैसला लेना है, जिसकी बैठक बुधवार को होने वाली है। इसके लिए पहले प्रशासकीय पदवर्ग समिति ने इस पद सृजन को लेकर अपनी हरी झंडी दिखाई थी। जिन पदों को इसमें शामिल किया गया है, उनमें इंटरमीडिएट ट्रेंड सहायक आचार्य और ग्रैजुएट ट्रेंड सहायक आचार्यों के पद भी शामिल हैं। इसके लिए नियमावली पहले से ही तैयार की जा चुकी है।
50,000
स्कूल
टीचरों
के
पद
सृजन
की
तैयारी
झारखंड
के
शिक्षा
और
साक्षरता
विभाग
की
ओर
से
50,000
स्कूली
टीचरों
के
पद
सृजन
की
सिफारिश
की
जानकारी
राज्य
के
सूचना
और
जनसंपर्क
विभाग
की
ओर
से
दी
गई
है।
उम्मीद
है
कि
बुधवार
को
इसपर
सीएम
हेमंत
सोरेन
कैबिनेट
की
मुहर
लग
सकती
है।
गौरतलब
है
कि
राज्य
सरकार
की
ओर
से
इन
नियुक्तियों
के
सिलसिले
में
नियम
पहले
ही
निर्धारित
किए
जा
चुके
हैं।
कैबिनेट
से
हरी
झंडी
मिलने
के
बाद
इन
पदों
पर
नियुक्तियों
के
लिए
आगे
की
कार्रवाई
करने
के
लिए
सरकार
की
ओर
से
झारखंड
कर्मचारी
चयन
आयोग
को
लिखा
जाएगा।
वेतनमान
भी
निर्धारित
इंटरमीडिएट
ट्रेंड
सहायक
आचार्यों
का
वेतनमान
अन्य
भत्तों
के
अलावा
25,500
रुपये
और
ग्रैजुएट
ट्रेंड
सहायक
आचार्यों
का
वेतनमान
28,200
रुपये
रखा
गया
है।
वैसे
इन
नियुक्तियों
में
50%
पद
पारा
टीचर,
बीआरपी,
सीआरपी
जैसे
अन्य
कर्मियों
के
लिए
आरक्षित
रखने
का
प्रावधान
किया
जा
रहा
है,
बशर्ते
की
वे
अन्य
जरूरी
योग्यताएं
पूरी
करते
हों।
कुल
मिलाकर
झारखंड
सरकार
की
ओर
से
की
जा
रही
यह
पहल
हजारों
शिक्षित
बेरोजगारों
के
लिए
बहुत
ही
बड़ी
खुशखबरी
है।
नियमावली
में
यह
भी
बताया
गया
है
कि
यदि
सहायक
आचार्यों
को
10
साल
में
प्रमोशन
नहीं
मिलता
है
तो
12
साल
में
सीनियर
और
24
साल
की
सेवा
के
बाद
उन्हें
सेलेक्शन
ग्रेड
जैसी
सेवाओं
का
लाभ
दिया
जाएगा।
लेकिन, यह मामला यहीं खत्म नहीं हो रहा है। राज्य सरकार ने प्राइमरी और मिडिल स्कूलों के प्रधानाध्यापकों के पद सृजन के लिए भी सभी जिला शिक्षा अधीक्षकों से प्रपोजल भेजने को कहा है। ये प्रपोजल मिलते ही इसपर भी आगे की कार्रवाई शुरू की जाएगी। इस बीच झारखंड सरकार अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्गों की मौजूदा आरक्षण की सीमा बढ़ाने का भी प्रयास कर रही है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इसके लिए उपसमिति गठिन करने की भी मंजूरी दे दी है।