जेल में IAS को ब्रेकफास्ट में मिला चूड़ा-गुड़, फिर क्या हुआ ?
रांची, 20 मई। झारखंड की निलंबित खनन सचिव पूजा सिंघल जेल में हैं। वे एक आइएएस अधिकारी रही हैं। अब तक उनका जीवन सुख-सुविधा के बीच गुजरा है। लेकिन जेल आने के बाद जिंदगी एकदम से बदल गयी है। अब उनके रात-दिन कांटों की सेज पर गुजर रहे हैं। वे जेल की महिला वार्ड में बंद हैं। सामान्य वार्ड होने के कारण बेड की व्यवस्था नहीं थी। जमीन पर एक छोटा चबूतरा था। उसी पर चादर बिछा कर वे सो गयीं।
मच्छरों की वजह से नींद नहीं आयी। सबेरे जल्द उठ गयीं। कुछ देर तक तक कोठरी में ही टहलती रहीं। सुबह के नाश्ते में उन्हें नियम के मुताबिक चूड़ा और गुड़ मिला। ये देख कर वे नाराज हो गयीं। उन्होंने कहा, ले जाओ इसे, नहीं खाना मुझे। जेल के अंदर गंदगी देख कर वे जेलकर्मियों भड़क गयीं। उन्होंने कहा, तुम लोगों को साफ सफाई का बिल्कुल ख्याल नहीं ? पूजा सिंघल बुधवार की रात करीब दस बजे जेल पहुंची थीं। अधिकतर समय वे गुमसुम ही रहती हैं।
'एक गलती से सारी प्रतिष्ठा पल भर में खत्म'
एक खुशहाल जीवन देखते ही देखते कष्ट की कोठरी में बंद हो गया। पैसा, ये पैसा, है कैसा ? पैसा, ये पैसा, है कैसा ? कोई जाने ना। जब लोग प्रतिष्ठा को तिलांजलि दे कर अनुचित तरीके से पैसा कमाने के जांल में फंस जाते हैं तो उनका जीवन नर्क बन जाता है। वे सोचते हैं, पैसा खुदा तो नहीं लेकिन खुदा कसम, खुदा से कम भी नहीं। झारखंड में पूजा सिंघल समेत पांच आइएएस जेल की हवा खा चुके हैं। आइएएस होना बड़े गर्व की बात है। यह भारत की सर्वोच्च सरकारी सेवा है। इसमें चयन के बाद सामाजिक प्रतिष्ठा कई गुना बढ़ जाती है। लेकिन एक गलती से सारी प्रतिष्ठा पल भर में खत्म हो जाती है।
'बहुत मार्मिक है सजल चक्रवर्ती की कहानी'
सजल चक्रवर्ती (अब दिवंगत) झारखंड के मुख्य सचिव थे। वे चारा घोटाला में जेल गये थे। अशोक कुमार सिंह भी झारखंड के मुख्य सचिव थे। उन्हें बिहार के एक मामले में सत्तर दिनों तक न्यायिक हिरासत में रहना पड़ा था। बाद में सुप्रीम कोर्ट से वे बरी हो गये थे। आइएएस अधिकारी डॉ. प्रदीप कुमार और सियाराम प्रसाद दवा घोटला के आरोप में जेल गये थे। इनमें सजल चक्रवर्ती की कहानी बहुत मार्मिक है। जेल जाने के बाद एक IAS की तन्हा जिंदगी सजल चक्रवर्ती 1980 बैच के आइएएस थे। हाजिर जवाब और मस्तमौला। उन्होंने पत्रकारिता की पढ़ाई की थी। विमान उड़ाने का लाइसेंस भी हासिल किया था। लेकिन शर्त ने उनकी जिंदगी बदल दी।
चारा घोटाला ने मिट्टी में मिला दिया चमकता करियर
वे रांची के अंग्रेजी अखबार न्यू रिपब्लिक से जुड़े थे। उनके मित्रों ने एक दिन मजाक-मजाक में कह दिया कि पत्रकार बन कर कौन सा पहाड़ तोड़ दिया, दम है तो आइएएस बन कर दिखाओ। धुन के पक्के सजल चक्रवर्ती यूपीएससी की परीक्षा में बैठे। खूब तैयारी की। और आत्मबल देखिए कि वे आइएएस के लिए चुन लिये गये। लेकिन चारा घोटाला ने उनके चमकते करियर को मिट्टी में मिला दिया। मोटापे की बीमारी ने उन्हें लाचार बना दिया था। उन्होंने दो शादियां की थीं लेकिन एक भी सफल नहीं रही। दोनों पत्नियों से उनका तलाक हो गया था। अपने आखिरी दिनों में वे बिल्कुल अकेले और असहाय हो गये थे। उनकी कोई संतान नहीं थी। एक बड़े भाई सेना में अधिकारी थे जिनका निधन हो गया था। जब वे जेल से सुनवाई के लिए कोर्ट थे तब उनसे मिलने कोई नहीं आता था। मई 2014 से दिसम्बर 2016 तक वे झारखंड के मुख्य सचिव थे। तब उनका रुतबा देखने लायक था। कितना बेबस हो गया था एक पूर्व मुख्य सचिव सितम्बर 2017 में चारा घोटाला के चाईबासा कोषागार मामले में उन्हें कोर्ट ने 5 साल की सजा सुनायी थी।
बीमारियों ने सजल चक्रवर्ती को बेबस बना दिया
चारा घोटला के अन्य केस में वे 1998 में भी जेल गये थे। लेकिन 2017 में जेल जाने के समय उनकी स्थिति बहुत खराब थी। उनकी वजन 150 किलो हो गया था। कई बीमारियों ने उन्हें लाचार और बेबस बना दिया था। जनवरी 2018 में उन्हें पेशी के लिए जेल से कोर्ट लाया गया था। कोर्ट रूम दूसरी मंजिल पर था। वे किसी तरह सीढ़ियां चढ़ कर कोर्ट में हाजिर तो गये थे लेकिन उतरते वक्त सीढियों पर गिर गये। उनसे चला नहीं जा रहा था। कई सिपाहियों ने उन्हें पकड़ रखा था। लेकिन वे 150 किलो वजनी सजल चक्रवर्ती को संभाल नहीं पाये। कुछ दिन पहले तक वे राज्य के मुख्य सचिव थे। उनसे मिलने के लिए आइएएस औऱ आइपीएस की लाइन लगी रहती थी। लेकिन दो साल बाद हालात क्या से क्या हो गये। सीढियों पर गिरे बैठे सजल चक्रवर्ती की वह तस्वीर दिल को झकझोर देने वाली थी। बाद में उन्हें जमानत मिली। बीमार होने के बाद जब वे अस्पताल में थे तब अक्सर बुदबुदाते रहते थे, मैंने किसी का क्या बिगाड़ा, मेरा कोई दोष नहीं। इलाज के दौरान 2020 में उनका निधन हो गया था। प्रतिष्ठा अर्जित करने में वर्षों लग जाते हैं लेकिन अपमान एक पल में गले पड़ जाता है।
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