जम्मू-कश्मीर: फारूक अब्दुल्ला ने फिर की पाकिस्तान से बातचीत की वकालत, बोले- शांति के लिए यह जरूरी
श्रीनगर, 24 अक्टूबर। नेशनल कांफ्रेंस के प्रमुख और जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने रविवार को एक बार फिर पाकिस्तान से बातचीत का आह्वान किया। फारूक अब्दुल्ला का कहना है कि जम्मू-कश्मीर में शांति स्थापित करने के लिए सरकार को पाकिस्तान से बात करनी चाहिए। उन्होंने कहा, जम्मू-कश्मीर में तब तक शांति नहीं हो सकती जब तक पाकिस्तान बातचीत के लिए तैयार नहीं हो जाता। जम्मू-कश्मीर के पूंछ जिले में एक जनसभा को संबोधित करते हुए अब्दुल्ला ने यह बयान दिया। इस दौरान उन्होंने धारा 370 और 35A को लेकर केंद्र सरकार पर निशाना भी साधा।

फारूक अब्दुल्ला ने कहा, 'केंद्र ने जम्मू-कश्मीर के साथ बेईमानी की है। सरकार ने धारा 370 और 35A को खत्म कर दिया और इस क्षेत्र को केंद्र शासित प्रदेश बना दिया। अगर नेकां (जम्मू और कश्मीर नेशनल कांफ्रेंस) सत्ता में आती है तो वह धारा 370 और 35ए को फिर से बहाल कर देगी।' फारूक अब्दुल्ला ने आगे कहा कि अगर पाकिस्तान ने 1947 में मूर्खता नहीं दिखाई होती तो तो रियासत के अंतिम शासक महाराजा हरि सिंह ने जम्मू-कश्मीर को स्वतंत्र रखा होता। अब्दुल्ला ने शनिवार को दावा किया था कि घाटी में माहौल 'कश्मीरी पंडितों की वापसी के लिए अनुकूल' नहीं है।
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जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री ने रविवार को दावा किया कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का जम्मू-कश्मीर में परिसीमन का आश्वासन, उसके बाद चुनाव और राज्य का दर्जा बहाल करना, यह इस बात का सूबत है कि केंद्र कितनी 'हास्यास्पद' है। बता दें कि बीते शनिवार को अपने कश्मीर दौरे के दौरान अमित शाह ने कहा था, 'हमें परिसीमन क्यों रोकना चाहिए? परिसीमन होगा, उसके बाद चुनाव और फिर राज्य का दर्जा बहाल होगा। मैं कश्मीरी युवाओं से दोस्ती करना चाहता हूं।' घाटी से धारा 370 खत्म होने के बाद केंद्र शासित प्रदेश में अमित शाह का यह पहला दौरा था। आपको बता दें कि परिसीमन एक विधानसभा या लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र की सीमाओं का फिर से खींचा जाना है। यह किसी राज्य, केंद्र शासित प्रदेश या राष्ट्रीय स्तर पर जनसांख्यिकीय परिवर्तनों को दर्शाने के लिए किया जाता है। जम्मू-कश्मीर का परिसीमन अभ्यास अगले साल शुरू होने की संभावना है।