जम्मू-कश्मीर में PDP-NC के कुछ नेता होंगे BJP में शामिल ? आरक्षण पर अमित शाह के बयान से बढ़ी संभावना
जम्मू, 4 अक्टूबर: केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने जम्मू-कश्मीर में आदिवासियों के आरक्षण पर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा है कि आर्टिकल-370 के रहते यह संभव नहीं था। गौरतलब है कि नेशनल कांफ्रेंस और पीडीपी के कुछ नेताओं की यही शर्त थी कि यदि बीजेपी सरकार पहाड़ी समाज को अनुसूचित जनजाति में शामिल करती है तो वह बीजेपी में शामिल हो सकते हैं। गौरतलब है कि केंद्र शासित प्रदेश में गैर-कश्मीरी भाषी पहाड़ी समाज का पीर पंजाल इलाके में अच्छा-खासा प्रभाव है और भाजपा सरकार यदि उन्हें एसटी का दर्जा देती है तो उसे इसका लाभ मिल सकता है। हालांकि, गुज्जर और बकरवाल समाज ऐसी किसी भी कोशिश का उतना ही ज्यादा विरोध भी कर रहे हैं।
पीडीपी-एनसी के नेताओं ने भाजपा में शामिल होने की रखी शर्त
जम्मू कश्मीर के दो प्रमुख नेताओं ने इस शर्त पर भारतीय जनता पार्टी में शामिल होने की बात कही है, यदि उनके पहाड़ी समुदाय को केंद्र सरकार अनुसूचित जनजाति का दर्जा दे देती है। यह दोनों नेता पीटीपी और नेशनल कांफ्रेंस से जुड़े हैं। न्यूज एजेंसी पीटीआई ने सूत्रों के हवाले से कहा है कि राजौरी के पीडीपी जिलाध्यक्ष तजीम दार और वरिष्ठ नेशनल कांग्रेस नेता शफाकत मीर ने यह भरोसा सोमवार रात को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात के दौरान दिया है। ये दोनों नेता पहाड़ी समाज के उस प्रतिनिधिमंडल में शामिल थे, जिन्होंने गृहमंत्री के तीन या चार दिवसीय दौरे पर जम्मू-कश्मीर पहुंचने के फौरन बाद उनसे जाकर मुलाकात की थी।
कई समाज के प्रतिनिधि मंडल ने से की है अमित शाह से मुलाकात
अमित शाह से मुलाकात करने वालों में कई समाज के प्रतिनिधि शामिल थे, जिनमें गुज्जर और बकरवाल, सिख, डोगरा समाज, युवा राजपूत सभा और अमर क्षत्रीय राजपूत सभा के लोग भी शामिल थे। पहाड़ी समाज चाहता है कि उसे जम्मू-कश्मीर में अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा मिले और इस समाज को स्थानीय भाजपा नेताओं का भी समर्थन प्राप्त है। लेकिन, गुज्जर और बकरवाल खुलेआम इस बात का विरोध कर रहे हैं, क्योंकि उनका दावा है कि संविधान में जो व्यवस्था है, उसके हिसाब से पहाड़ी समाज एसटी के लिए जरूरी मानदंडों को पूरा नहीं करते हैं।
आदिवासियों और पहाड़ियों को उनका अधिकार मिलेगा-अमित शाह
इसके ठीक उलट गुज्जर और बकरवाल प्रतिनिधिमंडल ने गृहमंत्री से मुलाकात करके उनकी चिंताओं को ध्यान में रखने की अपील की है। उन्होंने कहा है कि केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में किसी भी दूसरे वर्ग को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देकर गुज्जरों, बकरवालों, गद्दियों और सिप्पियों की स्थिति में जरा भी बदलाव नहीं किया जाए। लेकिन, मंगलवार को अमित शाह ने राजौरी की सभा में जो कुछ कहा है, उससे लगता है कि केंद्र सरकार आरक्षण पर कोई बड़ा फैसला करने की तैयारी में है। एएनआई के मुताबिक उन्होंने कहा, ' अगर आर्टिकल 370 और 35ए नहीं हटाया गया होता तो क्या कभी भी आदिवासियों का आरक्षण संभव था? अब इसे हटाने के बाद अल्पसंख्यकों, दलितों, आदिवासियों और पहाड़ियों को उनका अधिकार मिलेगा।'
पीर पंजाल क्षेत्र में बीजेपी को मिल सकता है फायदा
पहाड़ियों को अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिए जाने का गुज्जर और बकरवाल विरोध जरूर कर रहे हैं, लेकिन ऐसा करने पर भाजपा को पीर पंजाल इलाके में अपना जनाधार बढ़ाने में मदद मिल सकती है। अमित शाह ना सिर्फ देश के गृहमंत्री हैं, बल्कि वह बीजेपी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष भी रह चुके हैं और उनकी लगातार कोशिश रही है कि प्रदेश में पार्टी का दायरा विस्तार हो। अगर पहाड़ी समाज को जम्मू-कश्मीर में अनुसूचित जनजाति में शामिल किया जाता है तो वह पीर पंजाल घाटी में बीजेपी के काम आ सकते हैं, जहां विधानसभा की 7 सीटें हैं।
गुज्जर नेता को राज्यसभा में दी है जगह
गौरतलब है कि गुज्जर, बकरवाल और पहाड़ी जम्मू-कश्मीर में रहने वाली गैर-कश्मीरी भाषाई आबादी है। जहां पहाड़ी समाज में हिंदू और मुसलमान दोनों हैं, जबकि गुज्जर और बकरवाल प्रमुख तौर पर खानाबदोश जातियां हैं। हाल ही में बीजेपी ने कश्मीरी नेता गुलाम अली खटाना को कश्मीर से राज्यसभा के लिए नामांकित किया है। ये जम्मू-कश्मीर के गुज्जर मुसलमान हैं। इस तरह से भाजपा अगर गुज्जरों का विश्वास जीतने की कोशिश कर रही है, तो पहाड़ी समाज के रास्ते भी विधानसभा में अपना प्रभाव कायम रखना चाहती है।