जम्मू कश्मीर की सुरक्षा व्यवस्था को लेकर अमित शाह ने की समीक्षा बैठक, स्थानीय पुलिस और सेना को दिए यह निर्देश
नई दिल्ली, मई 17। जम्मू कश्मीर में कश्मीरी पंडित राहुल भट्ट की हत्या और अमरनाथ यात्रा पर आतंकी हमले के साये के बीच गृहमंत्री अमित शाह ने मंगलवार को उपराज्यपाल मनोज सिन्हा और कई अन्य अधिकारियों के साथ सुरक्षा व्यवस्था को लेकर एक समीक्षा बैठक की। यह मीटिंग दिल्ली में ही हुई। इस बैठक में अमित शाह ने पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों को यह निर्देश दिया कि जम्मू-कश्मीर में नए आतंकी संगठनों के नामों का उपयोग करने से परहेज करें, क्योंकि वे केवल पाकिस्तान समर्थित प्रतिबंधित आतंकी संगठनों से ही बने हैं। इनका मकसद भी घाटी में आतंक फैलाना है।
अमित शाह ने इस मीटिंग में कहा कि घाटी में जो नए आतंकी संगठन सामने आ रहे हैं, वो पुराने संगठनों से ही निकले ग्रुप हैं, जो दुनियाभर में फैले हैं और इन्हें रावलपिंडी से ही संचालित किया जा रहा है, जिनका मकसद ही यह है कि घाटी में आतंक फैलाया जाए। अमित शाह के यह निर्देश उन इंटेलिजेंस इनपुट के बाद आए हैं, जिसमें कहा गया है कि पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI चाहती थी कि लश्कर ए तैयबा और जैश ए मोहम्मद जैसे आतंकी संगठन घाटी में आतंक फैलाने की किसी भी घटना की जिम्मेदारी ना लें।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, ISI ने इन आतंकी संगठनों को ऐसा निर्देश इसलिए दिया ताकि दुनिया के सामने यह संदेश जाए कि पाकिस्तान सरकार आतंकी संगठनों पर कार्रवाई कर रही है और ऐसा FATF के दबाव के कारण किया जा रहा है, लेकिन यह सिर्फ दुनिया की आंखों में धूल झोंकने का काम है क्योंकि इन्हीं संगठनों से निकले ग्रुप घाटी में वहीं काम कर रहे हैं।
हिंदुस्तान टाइम्स की खबर के अनुसार, पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI 1990 के दशक के हरकत-उल-मुजाहिदीन (HuM) और हरकत-उल-जिहाद-ए-इस्लामी (HuJI) जैसे आतंकी संगठनों को फिर से एक्टिव करने की कोशिश कर रही है। इन्हीं कोशिशों का असर है कि घाटी में द रेसिस्टेंस फ्रंट, तहरीक-ए-मिल्लत-ए-इस्लामी, अंसार गवत-उल-हिंद और जम्मू-कश्मीर गजनवी फोर्स जैसे नए आतंकी संगठनों का उदय घाटी में देखा गया है। जैश और लश्कर पर दिखावे वाला बैन लगाकर तथाकथित नए संगठनों को इन्हीं का काम आगे बढ़ाने के लिए कहा गया है। यह संगठन इंडियन आर्मी के खिलाफ जिहाद फैलाने की कोशिश कर रहे हैं।
आपको बता दें कि ये संगठन पूर्व के आतंकी तत्वों से ही बनाए गए हैं, जिन्होंने अतीत में पाकिस्तान में आतंकी प्रशिक्षण प्राप्त किया था और जेल की सजा काटने के बाद गिरफ्तार होने और रिहा होने या सुरक्षा एजेंसियों के संपर्क में आने के कारण सक्रिय नहीं थे। नई आतंकी रणनीति का एक हिस्सा 5 किलोग्राम से अधिक की पेलोड क्षमता और तीन किलोमीटर से अधिक की सीमा के साथ लक्ष्य पर सीधे हमले करने के लिए विस्फोटक से भरे ड्रोन का उपयोग है।
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