Rajasthan Congress के प्रभारी होंगे सुखजिंदर सिंह रंधावा, जानिए पंजाब में सीएम की रेस से कैसे बाहर हुए रंधावा
राजस्थान में कांग्रेस ने अजय माकन का इस्तीफा स्वीकार करते हुए सुखजिंदर सिंह रंधावा को पार्टी का प्रभारी बनाया है। प्रदेश में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच सामंजस्य बनाकर रखना उनके लिए चुनौतीपूर्ण होगा।
Congress ने पंजाब के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा को राजस्थान में पार्टी का प्रभारी बनाया है। कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल की ओर से जारी विज्ञप्ति के मुताबिक पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने यह नियुक्तियां की है। रंधावा को अजय माकन की जगह राजस्थान का प्रभारी बनाया गया है। इसके साथ ही हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के पूर्व अध्यक्ष शैलजा को पीएल पूनिया के स्थान पर छत्तीसगढ़ का प्रभारी बनाया गया है।
नए प्रभारी के सामने होगी ये चुनौतियां
माकन को हटाकर रंधावा को प्रभारी बनाए जाने को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट के बीच टकराव से जोड़कर देखा जा रहा है। राजस्थान में पार्टी को एकजुट रखकर विभिन्न विषयों को हल निकालना रंधावा के लिए बड़ी चुनौती होगी। माकन ने सितंबर महीने में जयपुर में कांग्रेस विधायक दल की बैठक से इतर गहलोत के समर्थक विधायकों द्वारा समानांतर बैठक करने से जुड़े घटनाक्रम को लेकर पिछले दिनों प्रभारी का पद छोड़ने की पेशकश की थी। माखन पर सचिन पायलट के पक्ष में विधायकों को लामबंद करने के आरोप भी लगे थे। रंधावा को कांग्रेस संचालन समिति का सदस्य भी बनाया गया है।
अजय माकन को फिलहाल कोई पद नहीं
राजस्थान कांग्रेस प्रभारी के पद से अजय माकन का इस्तीफा मंजूर करते हुए कांग्रेस ने सुखजिंदर सिंह रंधावा को राजस्थान का प्रभारी बना दिया है। अजय माकन को फिलहाल कोई पद नहीं दिया गया है। माकन का लंबे समय से कांग्रेस के महासचिव थे। मलिकार्जुन खड़गे के अध्यक्ष बनते ही सभी पदाधिकारियों ने अपने पदों से इस्तीफा दे दिए थे। अजय माकन ने 8 नवंबर को चिट्ठी लिखकर गहलोत समर्थक तीनों नेताओं के खिलाफ एक्शन नहीं होने पर सवाल उठाते हुए राजस्थान के प्रभार से मुक्त होने की मांग की थी।
रातों-रात सीएम की रेस से बाहर हो गए थे रंधावा
सुखजिंदर सिंह रंधावा पंजाब की सियासत में बड़े नेता हैं। रंधावा डेरा बाबा नानक से चौथी बार विधायक है। वे पंजाब के उपमुख्यमंत्री से लेकर गृहमंत्री जैसे बड़े पदों पर आसीन रहे हैं। उन्हें कैप्टन अमरिंदर सिंह के करीबी नेता माना जाता था। लेकिन बाद में कैप्टन से विवाद होने के बाद रंधावा उनसे अलग हो गए। पंजाब में चरणजीत सिंह चन्नी का नाम आने से पहले वे मुख्यमंत्री पद की रेस में सबसे आगे थे।