Jaipur Sthapna Diwas : जयपुर को क्यों कहते हैं गुलाबी नगर, स्थापना दिवस पर जानिए पूरा इतिहास
जयपुर, 18 नवंबर। आज जयपुर का स्थापना है। जयपुरवासी इसका 294वां स्थापना दिवस समारोह मना रहे हैं। आमेर के महाराजा सवाई जयसिंह द्वितीय ने 18 नवंबर 1727 को जयपुर की स्थापना की थी। दुनियाभर में पिंक सिटी, गुलाबी नगर, भारत का पेरिस समेत कई नामों से पहचाने जाने वाला जयपुर बेहद गौरवशाली इतिहास खुद में समेटे हुए है।
जयपुर स्थापना दिवस कब मनाया जाता है?
हर साल 18 नवंबर को जयपुर का स्थापना दिवस मनाया जाता है। इस साल हैरिटेज नगर निगम की ओर से दो दिवसीय आयोजन किए जा रहे हैं। 'जयपुर स्थापना दिवस समारोह 2021' के तहत हवामल 'आपणो जयपुर' कार्यक्रम होगा, जिसका उद्घाटन हैरिटेज महापौर मुनेश गुर्जर और नगर निगम आयुक्त अवधेश मीणा करेंगे।
जयपुर का प्राचीन नाम क्या है?
किसी जमाने में जयपुर का नाम जयनगर हुआ करता था। आमेर के राजा जयसिंह द्वितीय अपनी राजधानी आमेर से स्थानांतरिक करना चाहते थे। इसलिए 1727 में जयपुर बसाया। फिर इसका नाम जयनगर से जयपुर हो गया। स्थानीय भाषा में लोग इसे जैपर कहा करते थे।
जयपुर को भारत का पेरिस क्यों कहा जाता है?
जयपुर शहर तीन तरफ से अरावली पर्वतमाला से घिरा हुआ है। साल 1876 में इंग्लैंड की महारानी एलिजाबेथ और प्रिंस ऑफ वेल्स युवराज अल्बर्ट ने जयपुर का दौरा किया था। तब उनके स्वागत में महाराजा ने जयपुर शहर को गुलाबी रंग से पुतवा दिया था। इसके बाद से ही जयपुर को पिंक सिटी व भारत का पेरिस कहा जाने लगा।
जयपुर क्यों बसाया गया?
कहा जाता है कि महाराज सवाई जयसिंह द्वितीय नाहरगढ़ पहाड़ी के नीचे सौ एकड़ से भरे जंगल काफी प्रिय थे। वे अक्सर शिकार करने जाया करते थे। तब उन्होंने तय किया कि राजधानी आमेर के पास एक ऐसा शहर बसाया जाए जिसकी प्रत्येक इमारत व सड़क करीने से बनी हो। उनकी इसी सोच का नतीजा था जयपुर का निर्माण।
कौन थे जयपुर के वास्तुकार?
बता दें कि जयपुर के वास्तुकार विद्याधर थे। उन्हीं की देखरेख में ब्रह्मांड और समय चक्र के द्योतक वृत्त व पृथ्वी के द्योतक वर्गाकार आकृति पर जयपुर का निर्माण हुआ। जयसिंह ने अपनी प्रिय शिकारभूमि पर तालकटोरा नाम से चौकोर तालाब का निर्माण भी करवाया। जयपुर शहर का निर्माण 1726 में शुरू हुआ जो 1730 तक चला।
जयपुर में सबसे पहले बना गंगापोल
जयपुर के वास्तुकार विद्याधर ने नौ ग्रहों के आधार पर शहर में नौ चौकड़ियां और सूर्य के सात घोड़ों पर सात दरवाजे युक्त परकोटा बनवाया। ज्योतिष विद्वान पंडित जगन्नाथ सम्राट और राजगुरु रत्नाकर पौंड्रिक ने सबसे पहले गंगापोल की नींव रखी। पूर्व से पश्चिम की ओर जाती सड़क पर पूर्व में सूरजपोल और दक्षिण में चंद्र पर चांदपोल बनाया गया।
जयपुर महापौर ने दिया गणेश जी को न्योता
गुलाबी नगरी जयपुर के स्थापना दिवस 2021 पर विभिन्न कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है। जयपुर नगर निगम हैरिटेज और ग्रेटर की ओर से आज गणेश पूजा के साथ कार्यक्रमों का शुभारम्भ किया गया। आज सुबह जयपुर नगर निगम हेरिटेज की महापौर मुनेश गुर्जर और ग्रेटर की महापौर शील धाबाई ने मोतीडूंगरी स्थित गणेश मंदिर में पूजा अर्चना कर न्योता दिया। इस दौरान दोनों नगर निगमों के अधिकारी और पार्षद भी मौजूद रहे।
गोविन्द देवजी मंदिर में दर्शन किये
मोतीडूंगरी गणेश मंदिर में पूजा के बाद गंगापोल दरवाजे पर विराजमान गणेश जी की पूजा की। जिसके बाद गोविन्द देवजी मंदिर में दर्शन किये और गोविन्द देवजी मंदिर में जयपुर के स्थापना दिवस पर आयोजित कथक नृत्य का शुरभारम्भ किया। मंदिर में पंहुचे श्रद्धालुओं ने कथक नृत्य का आनंद लिया।
जयपुर ढूंढाड़ परिषद की ओर से आयोजन
वहीं, गुलाबी नगरी जयपुर के 294वें स्थापना दिवस पर जयपुर ढूंढाड़ परिषद की ओर से स्टेच्यू सर्कल पर केक काटकर स्थापना दिवस मनाया गया। इस दौरान जयपुर शहर सांसद रामचरण बोहरा, जयपुर नगर निगम ग्रेटर का डिप्टी मेयर पुनीत कर्णावत सहित ढूंढाड़ परिसद के पदाधिकारी मौजूद रहे।
जयपुर स्थापना दिवस पर स्टेच्यू सर्कल पर ढोल नगाड़ों पर जयपुर वासियों ने अपने पैर थिरकाए। ढूंढाड़ परिषद के अध्यक्ष विजय पाल कुमावत ने बताया की जयपुर की कला संस्कृति और भाषा को बचाने के लिए ढूंढाड़ परिषद ने लगातार काम किया है। हर साल सवाई जयसिंह की स्टेच्यू पर केक काटकर जयपुर स्थापना दिवस मनाया जाता है।
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