Jabalpur News: यूक्रेन से लौटे मेडिकल स्टूडेंट्स बने उगाही का हथियार, सरकार ने छोड़ा भगवान भरोसे
यूक्रेन रूस जंग के बीच बड़ी मिन्नतों बाद देश लौटे स्टूडेंट्स के भविष्य को लेकर पहले तो बड़े-बड़े दावे किए गए थे। लेकिन आगे की पढ़ाई के लिए अब दूसरे देश जाना किसी जंग लड़ने से कम नहीं। न तो दूसरे देश का वीजा बनना आसान है और न ही एडमिशन। मप्र के जबलपुर के जबलपुर में भी परेशान ऐसे कई मेडिकल स्टूडेंट है, जिनका आरोप है कि सरकार ने उन्हें भगवान भरोसे छोड़ दिया है। आधे छूटे कोर्स की पढ़ाई के लिए बैंक लोन देने में भी आना-कानी कर रहे है, जिससे उनका भविष्य अधर में है।
कुछ महीने पहले यूक्रेन और रूस के बीच शुरू हुई जंग के दौरान जब तनाव बढ़ा तो भारत से वहां पढ़ाई करने गए स्टूडेंट्स में दहशत बढ़ गई थी। अभिभावकों में भी अपने बच्चों को लेकर चिंता बढ़ गई। सरकार ने भरोसा जताते हुए जंग के धमाकों के बीच फंसे ऐसे स्टूडेंट्स को तो वहां से निकाल लिया और उनके घरों तक पहुँचाया। लेकिन उनके भविष्य को लेकर किए गए दावों को लेकर स्टूडेंट्स परेशान है। मप्र के भी ऐसे की स्टूडेंट्स थे। जबलपुर के पैरेंट्स प्रवीण पाठक और तबस्सुम अंसारी भी उन्ही में से है, जिनके बच्चों मेडिकल पढ़ाई का आधा कोर्स अब अधर में लटका है।
अभिभावकों का कहना है कि सरकार के दावों में सिर्फ इतनी राहत मिल सकी कि मेडिकल की पढ़ाई वाले स्टूडेंट्स की अन्य देश की डिग्री मान्य होगी। अब जिन छात्र-छात्राओं का आधा कोर्स बाकी है, वह अन्य देश पढ़ाई के लिए जाना चाहते है, जिसके लिए उन्हें नए सिरे से वीजा बनवाना पड़ रहा है। लेकिन संबंधित देश उनका वीजा बनाने के लिए कई अड़चने पैदा कर रहा है। साथ ही एडमिशन कराने वाली कंसल्टेंसी कंपनियों ने ऐसे परेशान स्टूडेंट्स को अंधी कमाई का हथियार बना लिया है। मनमाना कमीशन लिया जा रहा है। साथ ही बचे हुए आधे कोर्स की महंगी पढ़ाई के लिए बैंको से लोन भी मिल रहा है। पैरेंट्स ने सरकार से डिमांड की है कि बच्चों के भविष्य को लेकर जो वादे किए गए थे, उन्हें पूरा किया जाए।