Chhath puja 2022: जबलपुर में छठ पूजा आस्था के रंग में रंगे मेयर, जानिए पूजा के चार दिनों में क्या हुआ ख़ास
(Chhath puja 2022) नर्मदा घाट और तालाबों पर बिखरी छठ पूजा की छटा से संस्कारधानी जबलपुर में उत्तर भारतीय संस्कृति के कई रंग देखने को मिले। छठि मईया की धूमधाम से पूजा पाठ की शुरूआत हुई। शहर सभी चिन्हित 18 पूजा स्थल छठि मईया के गीतों से गूंजते रहे। इस मौके पर जबलपुर के मेयर भी छठ पूजा के रंग में रंगे नजर आए। उन्होंने में पूजा में दउरा ले जाने की परंपरा निभाई और सूर्य देव की आराधना में लीन दिखे।
महापौर ने सिर पर रखा दउरा, गूंजे गीत
सोना सट कुनिया, हो दीनानाथ, कांच ही बांस की बहंगिया, बंहगी लचकत जाये छठि मईया के गीतों की धुन से संस्कारधानी जबलपुर भी गूंज रहा है। यहां बड़ी तादात में रहने वाले उत्तर भारतीय छठ पूजा की भक्ति में सराबोर है। महापौर जगत बहादुर सिंह 'अन्नू' इस आस्था के माहौल में छठ पूजा की छटा बिखेरते नजर आए। छठि मईया पूजा की दउरा लेकर नर्मदा तटों के अलावा अन्य पूजा स्थलों पर पहुंचे। इस दौरान विभिन्न घाटों और पूजा स्थलों पर पहुंचकर मेयर ने भगवान सूर्य देव और छठि मईया की पूजा की। साथ ही व्रतधारी और उनके परिवार की खुशहाली, लंबी आयु मनोकामनाओं पूर्ति के लिए प्रार्थना की।
छठ पूजा का पहला दिन- नहाय-खाय
छठ पूजा का पर्व 28 अक्टूबर से प्रारंभ हुआ, जिसमें पहला दिन नहाय खाय के तौर पर मनाया गया। छठ पूजा के पहले दिन पूरे घर की साफ सफाई की गयी। फिर स्नान करके साफ भोजन बनाया गया। भोजन ग्रहण करने के बाद व्रत की शुरुआत की गई। मान्यता के मुताबिक छठ का उपवास करने वाले व्रतधारी कद्दू की सब्जी, चने की दाल और चावल का सेवन करते हैं।
छठ पूजा का दूसरा दिन- खरना
कार्तिक शुक्ल की पंचमी तिथि यानी दूसरे दिन खरना मनाया गया। इस दिन व्रत करने वाले लोगों ने पूरे दिन उपवास रखा फिर शाम को भोजन ग्रहण कर विश्राम किया। खरना के मौके पर प्रसाद के रूप में गन्ने के रस से बनी चावल की खीर, चावल का पिठ्ठा और घी चुपड़ी रोटी बनाई गई, जिसे प्रसाद स्वरूप सभी को वितरित किया गया।
छठ पूजा का तीसरा दिन- संध्या अर्घ्य
छठ पूजा के तीसरे दिन सूर्य देव की पूजा हुई और घाटों पर व्रतधारियों के द्वारा शाम के समय डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया गया। इस दिन प्रसाद में ठेकुआ चढ़ाया गया। शाम को बांस की टोकरी में अर्घ्य का सूप सजाया गया, वहीं सूर्यास्त के समय उपवास रखने वाले नर्मदा नदी, तालाबों के किनारे एकत्र होकर समूह में सूर्य भगवान को अर्घ्य देकर पूजन अर्चन किया गया। सूर्य देव को दूध और जल का अर्घ्य देने के साथ छठी मैया की प्रसाद भरे सूप से पूजा की गई।
छठ पूजा का चौथा दिन- उषा अर्घ्य
सोमवार की सुबह उगते हुए भगवान सूर्य देव को अर्घ्य देकर व्रतधारी छठ पूजा का समापन करेंगी। इस संबंध में व्रतधारियों ने बताया कि सुबह भी, संध्या अर्घ्य की तरह की दोहराई जाती है। सूर्य भगवान को अर्घ्य देकर भगवान से सभी की मनोकामना पूर्ण करने की प्रार्थना के साथ समापन होता है। इसके बाद कच्चे दूध का बना शरबत पीकर उपवास व्रतधारियों के द्वारा खोला जायेगा।