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Jabalpur News: ‘महज सुसाइड नोट के आधार पर आरोप तय नहीं हो सकते’ हाई कोर्ट का बड़ा फैसला, आरोपी दोषमुक्त

MP हाईकोर्ट ने एक सुसाइड केस में बड़ा आदेश देते हुए तीन आरोपियों को दोषमुक्त कर दिया है। कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए आदेश में लिखा कि गुस्से में बोली गई किसी बात के आधार पर किसी को उकसाने का आरोप उपयुक्त नहीं माना जा सकता।

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Jabalpur High Court's big decision:मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने दमोह के एक सुसाइड केस में बड़ा फैसला सुनाया है। सुसाइड के लिए उकसाने के आरोप में तीन लोगों को आरोपी बनाया गया था। ट्रायल कोर्ट से आरोप भी तय हो गए थे। जिसके खिलाफ आरोपितों की ओर से हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई। अदालत ने मामले की सभी दलीलों को सुनने और साक्ष्यों पर गौर करने के बाद बड़ा फैसला सुनाया। 'गुस्से में कही गई किसी बात को ख़ुदकुशी के लिए उकसाने जिम्मेदार नहीं माना जा सकता, साथ ही सुसाइड नोट के आधार पर आरोप भी तय नहीं किए जा सकते' इस टिप्पणी के साथ कोर्ट ने तीन आरोपियों को दोषमुक्त कर दिया।

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दरअसल एमपी के पथरिया थाने में सुसाइड का एक केस दर्ज हुआ था। जिसमें दमोह के रहने वाले भूपेन्द्र, राजेन्द्र लोधी और भानु लोधी पर आत्म हत्या के लिए उकसाने का आरोप था। मूरत लोधी नाम के व्यक्ति से अभद्रता करने का भी आरोप लगा था। जिसके बाद मूरत ने सुसाइड नोट में तीनों व्यक्तियों के नाम लिखकर ख़ुदकुशी कर ली। यह मामला ट्रायल कोर्ट पहुंचा, जहां से आरोपियों के खिलाफ आरोप तय हुए। इस फैसले से व्यथित आरोपितों ने जबलपुर हाई कोर्ट की शरण ली।

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हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता की ओर पेश की गई दलीलों और पूरे घटनाक्रम के साक्ष्यों पर गौर करने के बाद बड़ा फैसला सुनाया। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले का भी हवाला दिया गया जिसमें किसी को आत्महत्या के लिए उकसाना एक मानसिक प्रक्रिया है। अदालत ने अपने आदेश में लिखा कि गुस्से में कही गई कोई बात या शब्द किसी व्यक्ति या समूह के खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाने का पर्याप्त आधार नहीं माना जा सकता। मौखिक किसी दुर्व्यवहार या धमकी से यदि व्यक्ति आत्महत्या कर लेता है तो महज सुसाइड नोट के आधार पर आरोप तय नहीं किए जा सकते हैं। इस आधार पर कोर्ट ने सभी तीनों आरोपियों को दोष मुक्त कर दिया।

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English summary
Jabalpur High Court's big decision 'Charges cannot be framed merely on basis of end life note, accused acquitted
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