तालिबान पर हमला करने वाला है चीन? राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने चीनी सैनिकों को दिया बड़ा आदेश
शी जिनपिंग ने कहा कि अफगानिस्तान में तालिबान का शासन स्थापित होने वाला है, लिहाजा पीएलए के सैनिक पूरी मुस्तैदी के साथ सीमा पर सतर्क रहें।
बीजिंग, अगस्त 01: चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने चेतावनी दी है कि अगले कुछ दिनों में अफगानिस्तान पर तालिबान का नियंत्रण स्थापित हो जाएगा, लिहाजा चीन की सेना को पूरी तरह से अलर्ट मोड पर रहना चाहिए। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग का ये बयान इसलिए अहम माना जा रहा है, क्योंकि पिछले हफ्ते तालिबानी नेताओं ने बीजिंग का दौरा किया था, जिसमें तालिबान और चीन के कई कई अहम समझौते किए गये हैं, ऐसे में चीनी राष्ट्रपति का नया बयान अफगानिस्तान को लेकर चीन के डबल गेम की तरफ इशारा करता है। माना जा रहा है कि एक तरह चीन तालिबान पर हमला करने की योजना बना रहा है, लेकिन एक्सपर्ट्स का मानना है कि तालिबान को काफी ज्यादा प्रेशर में डालकर अब चीन उसे ब्लैकमेल करने की कोशिश कर रहा है।
चीनी राष्ट्रपति का बयान
चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने देश की सेना को तालिबान का डर दिखाते हुए हर वक्त अलर्ट रहने को कहा है। शी जिनपिंग ने कहा कि अफगानिस्तान में तालिबान का शासन स्थापित होने वाला है, लिहाजा पीएलए के सैनिक पूरी मुस्तैदी के साथ सीमा पर सतर्क रहें। चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने चीन के सैन्य नेतृत्व से कम्युनिस्ट पार्टी के साथ अपनी एकजुटता को मजबूत करने का आह्वान किया है, क्योंकि उन्होंने अफगानिस्तान के साथ देश की सीमा पर संभावित सशस्त्र संघर्ष और सुरक्षा चिंताओं की चेतावनी दी थी।
अफगानिस्तान में डबल गेम?
शी जिनपिंग ने शुक्रवार को कहा कि चीन को "सैन्य संघर्ष" के लिए तैयार रहना चाहिए क्योंकि अमेरिका अपने तमाम सैनिकों को कुछ दिनों में अफगानिस्तान से निकाल लेगा। शी ने पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के गठन की 94वीं वर्षगांठ से पहले देश की सैन्य शक्ति को मजबूत करने के बारे में यह टिप्पणी की। बीजिंग के अधिकारियों ने महीनों पहले चिंता जताई थी कि अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की वापसी से तालिबान फिर से अफगानिस्तान की सत्ता पर काबिज हो जाएगा, जिससे क्षेत्रीय शांति के सामने गंभीर खतरा पैदा हो जाएगा। लेकिन, सवाल ये उठता है कि क्या चीन, अफगानिस्तान में डबल गेम कर रहा है? क्योंकि इसी हफ्ते तालिबानी नेताओं से चीन ने आश्वासन लिया है कि वो अफगानिस्तान की धरती को चीन के खिलाफ इस्तेमाल नहीं होने देगा, वहीं अफगानिस्तान की धरती पर भी चीन की नजर है।
उइगर मुस्लिमों को लेकर टेंशन
चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने इस हफ्ते कहा था कि अमेरिका के पीछे हटने से उइगर अलगाववादियों के आतंकी अभियानों का आधार मिल सकता है, जिसमें वे शिनजियांग के पश्चिमी क्षेत्र में कम्यूनिस्ट पार्टी ऑफ चायना के खिलाफ हमले कर सकते हैं। इसके साथ ही चीन की पूर्वी सीमाओं पर, ब्रिटिश और अमेरिकी नौसैनिक युद्धपोतों ने दक्षिण चीन सागर में अपनी उपस्थिति बढ़ा दी है और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार जल पर बीजिंग के दावे को चुनौती दी है, लिहाजा चीन के सामने डबल टेंशन उत्पन्न हो गया है।
दूसरी शताब्दी का लक्ष्य
शी जिनपिंग ने शुक्रवार को कहा कि, "एक आधुनिक समाजवादी देश के पूरी तरह से निर्माण और दूसरे शताब्दी के लक्ष्य को साकार करने के रास्ते पर देश आगे बढ़ रहा है, लिहाजा राष्ट्रीय रक्षा और सेना को अधिक महत्वपूर्ण स्थिति में रखा जाना चाहिए और नेशनल सिक्योरिटी को एक मजबूत सेना के जरिए और ज्यादा मजबूत करना चाहिए। इसके साथ ही चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने कहा कि "हमें युद्ध की समग्र योजना को मजबूत करने और सैन्य संघर्ष की तैयारी में बने रहना चाहिए।"
8 साल पहले बने थे पीएलए प्रमुख
आपको बता दें कि शी जिनपिंग ने आठ साल पहले पीएलए के अध्यक्ष के रूप में पदभार संभाला था और लगातार पीएलए को किसी भी स्थिति में युद्ध के लिए तैयार कर रहे हैं। चीनी सेना के आधुनिकीकरण के लिए शी जिनपिंग ने 2015 में देश के सैन्य बलों के बड़े पैमाने पर बदलाव का भी नेतृत्व किया था। शी जिनपिंग ने शुक्रवार को भी यही भावना व्यक्त की, जिसमें सैन्य और पार्टी नेताओं से अपने सशस्त्र बलों के भीतर बड़े पैमाने पर तकनीकी विकास पर जोर देने का आग्रह किया। रिपोर्ट के मुताबिक शी जिनपिंग ने 2027 तक चीन की सेना को विश्व की सबसे विशालकाय, अत्याधुनिक और मजबूत सेना बनाने का आदेश दिया है। वहीं, रिपोर्ट है कि तालिबान को प्रेशर में डालकर चीन अफगानिस्तान की खनिज संपदा पर जल्द से जल्द कब्जा करना चाहता है, लिहाजा वो लगातार तालिबान को युद्ध की चेतावनी दे रहा है।
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