महिलाओं को मर्दों के बराबर आने में लगेंगे 135 साल, भारत में महिलाओं की स्थिति रवांडा से भी खराब
वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की रिपोर्ट के मुताबिक महिलाओं को बराबरी का अधिकार देने में भारत काफी पिछड़ गया है और 156 देशों में किए गये सर्वे में भारत का स्थान 140वें नंबर पर है
नई दिल्ली: ऐसा लगता है कि महिलाओं को बराबरी का अधिकर देने की सिर्फ बात ही हमारे देश में की जाती है, महिलाओं को बराबरी का हक मिले, इसकी कोशिश ना सरकार के स्तर पर हो रही है और ना ही सामाजिक स्तर पर। ऐसा इसलिए क्योंकि, अगर किसी भी स्तर पर ईमानदार कोशिश की गई होती तो हमारा देश भूटान और श्रीलंका जैसे देशों से भी नहीं पिछड़ता और 156 देशों में 140वें पायदान पर नहीं आता।
28 पायदान और गिरा भारत
वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की रिपोर्ट के मुताबिक महिलाओं को बराबरी का अधिकार देने में भारत काफी पिछड़ गया है और 156 देशों में किए गये सर्वे में भारत का स्थान 140वें नंबर पर है। वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम ग्लोबल जेंडर गैप रिपोर्ट 2021 के मुताबिक भारत ने साउथ एशिया में बेहद खराब परफॉर्ममेंस किया है। स्थिति ये है कि भारत की स्थिति अपने पड़ोसी देशों बांग्लादेश, नेपाल, भूटान, श्रीलंका और म्यांमार जैसे देशों से भी पीछा है। भारत का परफॉर्मेंस साउथ एशिया में तीसरा सबसे खराब प्रदर्शन करने वाला देश है। जबकि पिछले साल भारत का स्थान 153 देशों में 112वें स्थान पर था। महिलाओं की आर्थिक भागीदारी में भी कमी दर्ज की गई है और रिपोर्ट के मुताबिक आर्थिक भागीदारी में भी महिलाओं की स्थिति काफी खराब हुई है।
135 साल में खत्म होगा भेदभाव
वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की रिपोर्ट के मुताबिक कोरोना की वजह से महिलाओं की स्थिति में और गिरावट दर्ज की गई है। और इस रिपोर्ट में कहा गया है कि महिलाओं को मर्दों के बराबर आने में अभी 135 साल से ज्यादा का वक्त और लगेगा। रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनियाभर में महिलाओं के उत्थान की बात की जाती है लेकिन वास्तविक समानता आने में अभी 135 साल से ज्यादा का वक्त लगेगा। जबकि पिछले साल की रिपोर्ट में कहा गया था कि महिलाओं और मर्दों को बराबर आने में अभी करीब 100 साल का वक्त और लगेगा, जिसमें इस साल 35 साल का और इजाफा हुआ है।
पड़ोसी देशों की स्थिति
भारत की स्थिति अपने पड़ोसी देशों की तुलना में काफी ज्यादा खराब है। वहीं रिपोर्ट के मुताबिक बांग्लादेश इस सूचि में 65वें स्थान पर तो नेपाल 106वें स्थान पर मौजूद है। वहीं भूटान 130वें स्थान पर तो श्रीलंका 116वें स्थान पर है। साउथ एशिया में भारत से नीचे सिर्फ पाकिस्तान और अफगानिस्तान है।
महिला समानता- विश्व की स्थिति
वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की रिपोर्ट के मुताबिक महिला-पुरूष बराबरी के मामले में आइसलैंड लगातार 12सालों से नंबर वन बना हुआ है। और आइसलैंड में समानता करीब 90 फीसदी से ज्यादा है। रिपोर्ट के मुताबिक पूरी दुनिया में आइसलैंड में ही सबसे कम असमानता है। वहीं, दूसरे नंबर पर फिनलैंड का स्थान है। आपको बता दें कि फिनलैंड वर्ल्ड हैप्पी इंडेक्स में भी पहले स्थान पर है। वहीं, बाकी देशों की बात करें तो तीसरे नंबर पर नार्वे, चौथे नंबर पर न्यूजीलैंड और पांचवें स्थान पर स्वीडन है। वहीं, नामीबिया, रवांडा और लिथुआनिया जैसे देश जो काफी ज्यादा पिछड़े देश माने जाते हैं, महिलाओं की आजादी के मामले में ये देश अमेरिका से भी अच्छ हैं और ये देश टॉप-10 में शामिल हैं।
चार पैमानों पर आंकलन
वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम ने महिलाओं की स्थिति का आंकलन करने के लिए मुख्यत: चार बिंदुओं को आधार बनाया था। जिसमें पहला अर्थव्यवस्था में महिलाओं की हिस्सेदारी और महिलाओं को मिलने वाले मौके थे। दूसरा बिंदू महिलाओं के स्वास्थ्य की स्थिति थी। तीसरा बिंदू महिलाओं की शिक्षा को लेकर थी तो चौथा प्वाइंट राजनीति में महिलाओं की हिस्सेदारी थी। और इस रिपोर्ट को माने तो भारत में जेंडर गैप 62.5 प्रतिशत है। पिछले साल की तुलना में भारतीय राजनीति में महिलाओं की भागीदारी भी काफी कम हुई है। वहीं, संसद में महिलाओं की संख्या पिछले साल जैसा ही है। वहीं, लेबर फोर्स यानि श्रम में महिलाओं की भागीदारी भी भारत में काफी कम है। प्रोफेसनल और टेक्निकल भुमिकाओं में महिलाओं की हिस्सेदारी करीब 29.2 फीसदी है तो भारत में मैनेजरों के पदों पर महिलाओं की हिस्सेदारी 14.6 फीसदी है।