ये हैं दो महिलाएं जिन्होंने झुका दी सऊदी सरकार, लड़ कर लिया ड्राइविंग हक
इस ऐतिहासिक फैसले के पीछे वो कुछ महिलाएं हैं जो सालों से इस पुरुष प्रधान समाज के खिलाफ अकेली लड़ रही हैं।
नई दिल्ली। सऊदी अरब में हाल ही में महिलाओं को ड्राइविंग की इजाजत दी गई है। सालों से लगी इस पाबंदी को अब भले ही हटा दिय गया हो लेकिन इसकी लड़ाई काफी लंबी है। इस ऐतिहासिक फैसले के पीछे वो कुछ महिलाएं हैं जो सालों से इस पुरुष प्रधान समाज के खिलाफ अकेली लड़ रही हैं। इन सालों में न कोई इनकी मदद को आया, न किसी ने इनके काम को सराहा। चारोंतरफ से मिले तो बस तानें लेकिन फिर भी इन्होंने हिम्मत नहीं हारी और अपने हक के लिए लड़ती रहीं। इन महिलाओं के साहस ने आखिर सरकार को इनके सामने झुंकने पर मजबूर कर ही दिया। जानिए इनकी कहानी...
साल 1990 में शुरू हुआ था आंदोलन
सऊदी अरब में वीमेन टू ड्राइव आंदोलन अभी का नहीं, बल्कि दशकों पुराना है। ये आंदोलन साल 1990 में शुरू हुआ था जब कई महिलाओं ने रियाद की सड़कों पर ऊतर गाड़ी चलाई थी। इन महिलाओं को अरेस्ट कर लिया गया था और इनके पासपोर्ट भी जब्त कर लिए गए थे। साल 2007 में वाजेहा अल-हुवाएदर की ड्राइव करते हुए फिल्म ने पूरी दुनिया का ध्यान अपनी ओर खींचा।
ड्राइविंग की इजाजत तो मिली पर सेल्फी और कपड़े ट्रायल करने पर है बैन
इनके कारण ही ड्राइव कर पा रही हैं महिलाएं
साल 2011 में वाजेहा अल-हुवाएदर ने फिर से समाज के कड़े कानूनों को ललकारा। उन्होंने अपनी साथी मनल अल-शरीफ के साथ मिलकर एक बड़े इवेंट का आयोजन किया जिसमें ज्यादा से ज्यादा महिलाएं ड्राइव करें। इसके लिए उन्हें दो बार गिरफ्तार भी किया गया। मनल अल-शरीफ ने फेसबुक पर भी एक कैंपेन चलाया था जिसमें सरकार से महिलाओं के अधिकार मांगे गए थे।
73 दिनों के लिए जेल गईं थीं लुजैन
महिला अधिकारों के हक में बोलने वालीं सामाजिक कार्यकर्ता लुजैन अलतहलुल ने संयुक्त अरब अमीरात से सऊदी अरब में ड्राइव कर आने की कोशिश की, ये जानते हुए कि वहां महिलाओं के ड्राइव करने पर बैन है। लुजैन ने इसके विरोध में ट्वीट भी किया था और एक वीडियो भी शूट किया था। इसके लिए उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया और 73 दिन तक उन्हें जेल की सलाखों के पीछे रहना पड़ा।
वर्जिनिटी ख़त्म न हो जाए, इसलिए थी सऊदी अरब में थी ड्राइविंग पर पाबंदी?