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कौन थे विंस्टन चर्चिल जो Rishi Sunak के ब्रिटिश पीएम बनने के बाद से चर्चा में हैं?

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Winston Churchill Rishi Sunak: ऋषि सुनक के ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बनने के साथ ही एक और पूर्व ब्रिटिश पीएम विंस्टन चर्चिल चर्चा में आ गए हैं। वह पहली बार आज से 82 साल पहले तब यूनाइटेड किंगडम के प्रधानमंत्री बने थे, जब भारत अपनी आजादी की अंतिम लड़ाई के लिए तैयार हो रहा था। वह ऐसा जमाना था, जिसके बारे में कहा जाता है कि तब ब्रिटिश सत्ता का सूर्य कभी अस्त नहीं होता था। खुद चर्चिल ब्रिटेन के एकमात्र ऐसे नेता थे, जो एक समय भारत की स्वतंत्रता के सबसे बड़े दुश्मन थे। लेकिन, समय का पहिया ऐसे घूमा है कि आज एक भारतवंशी खुद उन्हीं की कुर्सी का उत्तराधिकारी बना है और भारतीय अर्थव्यवस्था अंग्रेजी शासन की अर्थव्यस्था को पीछे छोड़ चुकी है। जानिए विंस्टन चर्चिल कौन थे ?

विंस्टन चर्चिल कौन थे

विंस्टन चर्चिल कौन थे

ऋषि सुनक के ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बनने के बाद पूर्व ब्रिटेश पीएम विंस्टन चर्चिल भी सुर्खियों में हैं। जहां तक यूनाइटेड किंगडम की बात है तो वहां आधिकारिक रूप से विंस्टन चर्चिल को उस नेता के रूप में शोहरत मिली हुई है, जिसने दूसरे विश्व युद्ध में ब्रिटेन की जीत की अगुवाई की थी। वहां उनकी प्रेरणादायक राजनेता, एक प्रसिद्ध लेखक और अच्छे वक्ता के रूप में भी प्रतिष्ठा मिली हुई है। वे ब्रिटेन की कंजर्वेटिव पार्टी के नेता थे, जिन्हें दो-दो बार ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बनने का मौका मिला था और उसमें से उनका पहला कार्यकाल उस समय था, जब भारत ने अंग्रेजी शासन के खिलाफ अंतिम और निर्याणक लड़ाई छेड़ दी थी और जिसके चलते ब्रिटिश साम्राज्य को भारतीयों के मजबूत इरादे के सामने अंत में घुटने टेकने को मजबूर होना पड़ गया था। अलबत्ता ब्रिटेन विभाजन की आग लगाने में जरूर कामयाब हो गया था।

विंस्टन चर्चिल के कार्यकाल में हुआ: 'भारत छोड़ो आंदोलन'

विंस्टन चर्चिल के कार्यकाल में हुआ: 'भारत छोड़ो आंदोलन'

30 नवंबर, 1874 को ऑक्सफोर्डशायर के ब्लेनहेम पैलेस में जन्मे विंस्टन चर्चिल अमीर और कुलीन परिवार से ताल्लुक रखते थे। वे 1940 से 1945 तक और फिर 1951 से लेकर 1955 तक ब्रिटिश प्रधानमंत्री रहे। इसमें उनके पहले कार्यकाल में ही दूसरा विश्व युद्ध समाप्त हुआ और भारत ने अंग्रेजों के खिलाफ 1942 का निर्याणक 'भारत छोड़ो आंदोलन' शुरू किया था। एक तरह से भारत की आजादी (जो बाद में खंडित रूप में प्राप्त हुई) की बुनियाद चर्चिल के कार्यकाल में ही तैयार होने लगी थी। स्कूल की पढ़ाई में बहुत ही कमजोर होने के बावजूद 1895 में उन्हें ब्रिटेन की राजशाही घुड़सवार सेना में शामिल होने का मौका मिल गया। वे सैनिक भी थे और उन्होंने पार्ट-टाइम पत्रकारिता भी की।

भारत की आजादी के सख्त विरोधी थे विंस्टन चर्चिल

भारत की आजादी के सख्त विरोधी थे विंस्टन चर्चिल

वे रॉयल ब्रिटिश नेवी के पहले लॉर्ड ऑफ द ऐड्मारेल्टी (रॉयल नेवी के राजनीतिक प्रमुख) थे। वैसे तो चर्चिल ने ज्यादातर समय कंजर्वेटिव पार्टी में ही गुजारा, लेकिन बीच में कई वर्षों तक लिबरल पार्टी में भी राजनीति की। 1930 के दशक में जब भारत अपनी स्वतंत्रता के लिए पूरजोर संघर्ष में जुटा हुआ था, ब्रिटेन के यह अकेला राजनेता थे, जो भारत की आजादी के सख्त विरोधी थे। लेकिन, संयोग ऐसा रहा कि 1940 में जब नेविल चेम्बरलेन की सरकार गिरी तो सर्वदलीय सरकार में चर्चिल को ही प्रधानमंत्री बनने का मौका मिल गया।

भारतीय नेताओं के लिए चर्चिल का नजरिया भी संकीर्ण था

भारतीय नेताओं के लिए चर्चिल का नजरिया भी संकीर्ण था

विंस्टन चर्चिल भारत की आजादी के विरोधी ही नहीं थे, उनके बयानों में भारतीयों नेताओं के खिलाफ संकुचित नजरिया भी देखने को मिलता था। अब जब भारतीय मूल के ऋषि सुनक उसी ब्रिटेन के 57वें प्रधानमंत्री बन रहे हैं तो भारतीय बिजनेसमैन आनंद महिंद्रा ने बताया है कि चर्चिल की सोच कितनी गलत थी। उन्होंने ट्विटर पर लिखा है, '1947 में भारतीय स्वतंत्रता के चरम पर, विंस्टन चर्चिल ने कथित तौर पर कहा था', '......सारे भारतीय नेता कम क्षमता वाले..... होंगे।' लेकिन, 75 साल बाद ब्रिटेन के इतिहास ने लगातार इतनी करवटें ली हैं कि खुद ब्रिटेन को अपने अतीत के नेताओं के बयानों पर शर्म आती होगी। आज भारत ना सिर्फ विश्व की सबसे बड़ी अर्थव्यस्थाओं के मामले में उसे पीछे छोड़ चुका है, बल्कि एक ब्रिटिश मूलनिवासी प्रधानमंत्री लिज ट्रस अपना पद नहीं संभाल पाईं तो एक सफल और सक्षम भारतवंशी का ही उसको सहारा लेना पड़ गया।

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ब्रिटिश पीएम रहते चर्चिल को मिला था नोबेल पुरस्कार

ब्रिटिश पीएम रहते चर्चिल को मिला था नोबेल पुरस्कार

वैसे विंस्टन चर्चिल को साहित्य के लिए 1953 में प्रधानमंत्री रहते ही नोबेल पुरस्कार भी दिया गया था। यह पुरस्कार उनके द्वारा लिखी गई कई किताबों के लिए मिला था। कुल मिलाकर चर्चिल की ब्रिटेन में बड़ी लोकप्रियता की वजह दूसरे विश्व युद्ध में अपने देश को जीत दिलाना था। वह अपने भाषणों की वजह से अक्सर आलोचनाओं के शिकार बनते थे, लेकिन नाजी जर्मनी के खिलाफ उन्होंने शुरू से जो रुख अख्तियार कर रखा था, वह एक समय के बाद पूरी तरह से सत्य साबित हुआ और जिसके चलते उन्हें दूसरी बार भी सत्ता में लौटने का मौका मिला। पीएम की कुर्सी से हटने के बाद वह पूरे 10 साल जिंदा रहे और 1965 में उनका निधन हो गया। (विंस्टन चर्चिल की तस्वीरें सौजन्य: 10 Downing Street यूट्यूब वीडियो और इनपुट- www.gov.uk)

English summary
Winston Churchill:former British PM was a strong opponent of India's independence and narrow-minded towards Indian leaders.There is a discussion on Indian origin Rishi Sunak becoming British PM
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