अमेरिका और भारत में पाकिस्तान पर जमकर बहसबाजी, क्या जियोपॉलिटिक्स में कोई नहीं है सच्चा साथी?
पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने अमेरिका पर पाकिस्तान की राजनीति में उथल-पुथल मचाने के साथ साथ अपनी सरकार को गिराने का भी आरोप लगाया, तो क्या उनके आरोपों में दम था?पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने अमेरिका पर पाकिस्तान की र
नई दिल्ली, सितंबर 27: रविवार को वाशिंगटन में अनिवासी भारतीय समुदाय (NRI) के साथ एक बैठक में बोलते हुए भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने पाकिस्तान को एफ-16 फाइटर जेट को अत्याधुनिक बनाने के लिए 45 करोड़ डॉलर का पैकेज देने के अपने फैसले के लिए अमेरिका को फटकार लगा और भारतीय विदेश मंत्री ने साफ शब्दों में कहा कि, 'किसे मूर्ख समझा जा रहा है?' जयशंकर ने अमेरिका-पाकिस्तान साझेदारी की खूबियों पर सवाल उठाते हुए कहा कि, इसने किसी भी देश की "सेवा नहीं" की। जब उनसे अमेरिकी औचित्य के बारे में पूछा गया, कि लड़ाकू विमान पाकिस्तान के आतंकवाद विरोधी प्रयासों में मदद करने के लिए हैं, तो जयशंकर ने जवाब दिया: "आप ये बातें कहकर किसी को बेवकूफ नहीं बना रहे हैं"। यह पहली बार है, जब भारत ने बाइडेन प्रशासन के इस कदम पर सार्वजनिक रूप से अपनी निराशा व्यक्त की है। पिछले हफ्ते, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने ट्विटर पर कहा था, कि उन्होंने अपने अमेरिकी समकक्ष लॉयड ऑस्टिन को भारत की "चिंताओं से अवगत कराया" है।
भारत की सार्वजनिक सख्त प्रतिक्रिया
भारत की खुलेआम सख्त प्रतिक्रिया अमेरिका के लिए चौंकाने वाला है और बाइडेन प्रशासन ने इस बात की उम्मीद नहीं की थी। भारतीय विदेश मंत्रालय अब तक चुप था, लेकिन, जयशंकर ने अमेरिका में जाकर जिन तरह के शब्दों का इस्तेमाल किया है, वो अमेरिका को सरप्राइज करने वाला है। हालांकि, विदेश मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा था कि, 7 सितंबर को भारतीय विदेश विभाग ने 2+2 इंटर-सेशनल और मैरीटाइम सिक्योरिटी डायलॉग्स के लिए और उस समय क्वाड सीनियर ऑफिसर्स मीटिंग के लिए नई दिल्ली में मौजूद अमेरिकी अधिकारियों को भारत की आपत्तियों से अवगत कराया था। बाइडेन प्रशासन में ये पहली बार हो रहा है, जब अमेरिका पाकिस्तान को बड़ा मिलिट्री पैकज दे रहा है। इससे पहले डोनाल्ड ट्रंप ने साल 2018 में पाकिस्तान के साथ रक्षा और सुरक्षा सहयोग को खत्म कर दिया था और पाकिस्तान को दी जाने वाली तमाम सैन्य सहायता पैकेज को सस्पेंड कर दिया था। ट्रंप प्रशासन ने पाकिस्तान पर अरबों डॉलर के लिए सिर्फ और सिर्फ "झूठ और छल" करने का आरोप लगाया गया था और कहा था, कि अमेरिका ने अरबों डॉलर पाकिस्तान को देकर "मूर्खतापूर्ण" काम किया है।
जयशंकर के बयान पर यूएस की प्रतिक्रिया
भारतीय विदेश मंत्री का बयान अमेरिका के लिए चौंकाने वाला था, लेकिन अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने उनके बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि, 'भारत और पाकिस्तान दोनों ही देश अमेरिका के पार्टनर हैं।' अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता नेड प्राइस ने कहा कि, "हम पाकिस्तान के साथ अपने संबंधों को नहीं देखते हैं, और दूसरी तरफ, हम भारत के साथ भी अपने संबंधों को नहीं देखते हैं, एक दूसरे के संबंधों के साथ।" उन्होंने कहा कि, "ये दोनों हमारे साझेदार हैं, जिनमें से प्रत्येक में अलग-अलग बिंदुओं पर जोर दिया गया है"। अमेरिका ने साफ कर दिया, दोनों ही देशों के साथ हमारी अलग अलग हित हैं, लिहाजा दोनों ही देश हमारे पार्टनर हैं और भारत और पाकिस्तान के बीच सकारात्मक संबंध बने, इसके लिए अमेरिका कोशिश करता आया है। लेकिन, क्या अमेरिका का बस इतना ही कहना है। अगर अमेरिका के अलग अलग बयानों को एक साथ रखें, तो पता चलता है, कि "अमेरिका अभी भी पाकिस्तान को अपना गैर-नाटो सहयोगी मानता है।" तो फिर भारत को लेकर उसका नजरिया क्या है?
भारत को संदेश दे रहा अमेरिका?
वहीं, कुछ एक्सपर्ट्स का मानना है कि, अमेरिका ने पाकिस्तान को 450 मिलियन डॉलर का एफ-16 पैकेज देकर भारत को संदेश देने की कोशिश की है, क्योंकि भारत एक तरफ क्वाड की हैठक में अमेरिका के साथ शामिल होता है, तो दूसरी तरफ भारत एससीओ की बैठक में चीन और रूस के साथ शामिल होता और भारत अपनी संप्रभुता और स्वतंत्र विदेश नीति का हवाला देकर रूस से तेल और हथियार खरीदता है और भारत हर कैंप में अपने दोस्त रखता है, तो फिर भारत को भी ये समझने की जरूरत है, कि दूसरे देशों को भी ऐसा करने का पूरा अधिकार है।
पाकिस्तान को अमेरिका का F-16 पैकेज क्या है?
7 सितंबर की अमेरिकी रक्षा सुरक्षा सहयोग एजेंसी ने प्रेस रिलीज जारी करते हुए पाकिस्तान को 45 करोड़ डॉलर का एफ-16 पैकेज देने की घोषणा की है। अमेरिका ये पैकेज पाकिस्तान को ये कहकर दे रहा है, कि वो इन पैसों से पहले बेचे गये एफ-16 विमानों के रखरखाव, उनकी मरम्मत और उन्हें अपग्रेड करने पर खर्च कर सके, ताकि एफ-16 विमान उड़ान भरने की स्थिति में रहे। एफ-16 फाइटर जेट को अमेरिकी हथियार कंपनी लॉकहीड मार्टिन ने बनाया है। अमेरिका ने कहा कि, पाकिस्तान ने इस पैकेज के लिए अनुरोध किया था। वहीं, इस पैकेज से अब पाकिस्तान इन विमानों के इंजन, हार्डवेयर, सॉफ्टवेयर को अपग्रेड करेगा। वहीं, इंजनों की मरम्मत करने के साथ ही नये पार्ट्स भी विमान में लगाए जाएंगे। वहीं, फाइटर जेट्स में सपोर्ट इक्विपमेंन्ट्स भी लगाए जाएंगे। कुल मिलाकर 45 करोड़ डॉलर में पाकिस्तान एफ-16 विमानों को अपग्रेड करेगा, जो सीधे तौर पर भारतीय रफाल को टक्कर देगा और भारते सख्त एतराज की वजह भी यही है, क्योंकि अमेरिका के इस पैकेज ने सीधे तौर पर भारत की सुरक्षा को प्रभावित किया है।
बाइडेन प्रशासन ने ये फैसला क्यों लिया?
अमेरिकी समझौते के प्रेस रिलीज में कहा गया है, कि अमेरिका जो 45 करोड़ डॉलर पाकिस्तान को दे रहा है, उसमें पाकिस्तान को कोई नया हथियार नहीं बेचा जा रहा है या फिर कोई नई युद्ध सामग्री ही दी जाएगी। यह डील संयुक्त राज्य अमेरिका की विदेश नीति और राष्ट्रीय सुरक्षा उद्देश्यों का समर्थन करेगा, जिसके तहत पाकिस्तान को आतंकवाद के खिलाफ चल रहे प्रयासों में और भविष्य के आकस्मिक अभियानों की तैयारी में अमेरिका और साझेदार बलों के साथ अंतःक्रियाशीलता बनाए रखने की अनुमति देगा"। इसके अलावा, अमेरिका ने कहा है, कि जो प्रस्तावित उपकरण और मरम्मत एफ-16 विमान को दी जाएगी, उससे क्षेत्र में बुनियादी सैन्य संतुलन में कोई बदलाव नहीं आएगा। लेकिन, भारतीय विदेश मंत्री ने सीधा सवाल पूछा, कि "आतंकवाद का मुकाबला करने में एफ-16 कैसे मदद करते हैं, यह स्पष्ट नहीं है"। अभी तक पाकिस्तान ने एक बार फिर आतंकियों के खिलाफ एफ-16 विमान का इस्तेमाल नहीं किया है, तो फिर आगे पाकिस्तान इसका कैसे इस्तेमाल करेगा?
अल-जवाहिरी की हत्या का कनेक्शन
बाइडेन प्रशासन ने पाकिस्तान पर ट्रम्प की नीति को उलटने के अनुमानित कारणों में से एक काबुल में अयमान अल-जवाहिरी की हत्या के इर्द-गिर्द घूमता है। अमेरिका ने अपने सटीक ड्रोन हमले में अलकायदा प्रमुख जवाहिरी को काबुल में उड़ा दिया था, जिसके बाद सवाल उठ रहे हैं, कि जवाहिरी की सटीक जानकारी देने के साथ साथ हमला करने के लिए अमेरिका को एयरस्पेस किसने दिया। तालिबान ने पाकिस्तान पर अमेरिका को एयरस्पेस देने का आरोप लगाया है, और माना जा रहा है, कि जवाहिरी की मुखबिरी करने का इनाम पाकिस्तान को मिला है। हालांकि, पिछले साल पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री इमरान खान ने साफ तौर पर कहा था, कि पाकिस्तान किसी भी हाल में अमेरिका को अपने एयरस्पेस का इस्तेमाल नहीं करने देगा।
पाकिस्तान में सत्ता बदलने से क्या बदला?
पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने अमेरिका पर पाकिस्तान की राजनीति में उथल-पुथल मचाने के साथ साथ अपनी सरकार को गिराने का भी आरोप लगाया। इमरान खान दर्जनों बार कह चुके हैं, कि अमेरिका ने ही उनकी सरकार को गिराने का काम किया। इसके साथ ही इमरान खान ने ये भी कहा, कि शहबाज शरीफ अमेरिका के हाथों की कठपुतली और इमरान ने प्रधानमंत्री रहने के दौरान ही आरोप लगाते हुए कहा था, कि अमेरिकी अधिकारी ने पाकिस्तानी दूत को बताया था, कि अगर इमरान खान सत्ता से बाहर चला जाता है, तो पाकिस्तान को माफ कर दिया जाएगा और उसे फिर से डॉलर दिए जाएंगे। इमरान के आरोपों को अमेरिका ने नकार दिया, लेकिन अब जबकि अमेरिका ने विशालकाय पैकेज पाकिस्तान को दिए हैं, तो फिर सवाल ये उठ रहे हैं, कि क्या वाकई अमेरिका ने पाकिस्तान को माफ कर दिया है। इसके साथ ही पाकिस्तान के सेना प्रमुख बाजवा ने भी पिछले दिनों अमेरिका से अपील की थी, कि वो पाकिस्तान को आईएमएफ से लोन दिलाने में मदद करे और बाजवा की बातचीत के दो हफ्ते बाद ही आईएमएफ ने पाकिस्तान को लोन देने पर सहमति जता दी।
क्या चीन को लेकर अमेरिका चल रहा चाल?
कुछ पर्यवेक्षकों का मानना है कि एक और कारण ये हो सकता है, कि रूस-यूक्रेन युद्ध से उत्पन्न भू-राजनीतिक मंथन में, अमेरिका पाकिस्तान पर चीन की पकड़ को ढीली करने के लिए कोशिश कर रहा हो। पाकिस्तान वायु सेना के पास अब F-16 की तुलना में ज्यादा चीनी JF-17 थंडर फाइटर जेट हैं, लेकिन यह पुराने अमेरिकी विमानों पर निर्भर है, जैसा कि भारत-पाकिस्तान 2019 की झड़प ने प्रदर्शित किया। JF-17s अब चीन के चेंगदू एयरक्राफ्ट कॉरपोरेशन के साथ संयुक्त रूप से कामरा में पाकिस्तान एयरोनॉटिकल कॉम्प्लेक्स में निर्मित किए जाते हैं, और इसके क्लिमोव इंजन रूस निर्मित हैं। गौरतलब है कि पाकिस्तान के राष्ट्रीय दिवस 23 मार्च को पीएएफ प्रमुख जहीर अहमद बाबर सिद्धू ने एफ-16 में फ्लाईपास्ट का नेतृत्व किया था।
भारत-पाकिस्तान संबंध पर क्या पड़ेगा प्रभाव?
भारत उस समय से एफ-16 फाइटर जेट के बारे में चिंतित है, जब से अमेरिका ने पहले अफगान युद्ध में अपनी सहायता के लिए पाकिस्तान को एफ -16 दिया था, जिसमें अमेरिका ने सोवियत के खिलाफ जिहादियों की सेना बनाने के लिए पाकिस्तान को हथियार और धन की आपूर्ति की थी। लेकिन,जब सोवियत संघ की सेना अफगानिस्तान से बाहर चली गई और अमेरिका ने अपने मकसद को हासिल कर लिया, तो अमेरिका ने भी पाकिस्तान के साथ अपने संबंधों का आकार बदल दिया। वहीं, जब पाकिस्तान ने परमाणु परीक्षण किया, तो फिर अमेरिका ने पाकिस्तान पर कई प्रतिबंध लगा दिए और उसे एफ-16 देने पर रोक लगा दी, लेकिन, बुश प्रशासन ने ना केवल पाकिस्तान को एफ-16 विमान देने का फैसला किया न केवल पहले से अवरुद्ध एफ -16 की रिहाई को मंजूरी दी, बल्कि एक नवीनीकरण पैकेज और नए एफ -16 की बिक्री भी प्रदान की।
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