पाकिस्तानी आतंकियों को बार बार बचाता चीन, क्या UNSC में रूस और ब्रिटेन भी जाएंगे भारत के खिलाफ?
पाकिस्तानी आतंकियों को बचाकर चीन अपने एक विकल्प का इस्तेमाल जरूर कर रहा है, लेकिन भारत की नरेंद्र मोदी सरकार आतंकवाद को बहुत गंभीरता से लेती है, और चीन के साथ भारत के संबंध और खराब हो सकते हैं।
नई दिल्ली, सितंबर 18: भारत की आर्थिक राजधानी मुंबई में 26/11 को हुए हमले के एक मास्टरमाइंड आतंकी और हत्यारे साजिद मीर को भी चीन ने संयुक्त राष्ट्र में अपने वीटो का इस्तेमाल करते हुए बचा लिया है। चीन ने इस वैश्विक आतंकवादी को यूएनएससी की ब्लैक लिस्ट में डालने को लेकर भारत समर्थित अमेरिकी प्रस्ताव को अपना वीटो इस्तेमाल करते हुए ब्लॉक कर दिया है। यानि, जब जब भारत अपने गुनहागर को दुनिया की 'संसद' के सामने उसके गुनाहों का कच्चा-चिट्ठा खोलना चाहता है और जब पाकिस्तानी आतंकियों की बात आती है, तो चीन उस प्रस्ताव के सामने खड़ा हो जाता है और पाकिस्तानी आतंकी बच जाते हैं।
पाकिस्तानी आतंकियों को बचाता चीन
पाकिस्तानी आतंकवादियों को लेकर जो भी प्रस्ताव यूनाइटेड नेशंस में पेश किया जाता है, चीन उन प्रस्तावों पर बिना नजर डाले उन्हें ब्लॉक कर देता है। साजिद मीर भी पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के कराची परियोजना का हिस्सा था, जिसके शैतानी औलादों के संगठन इंडियन मुजाहिदीन आतंकवादी समूह ने आईईडी विस्फोटों के माध्यम से 2005 से 2011 तक लगभग 1,000 निर्दोष भारतीयों को मार डाला था। आतंकी साजिद मीर के अलावा भी बीजिंग के निर्देश पर संयुक्त राष्ट्र में चीनी प्रतिनिधि ने दो और पाकिस्तानी आतंकवादियों- लश्कर-ए-तैयबा के फाइनेंसर अब्दुल रहमान मक्की और जैश-ए-मोहम्मद के ऑपरेशनल कमांडर मुफ्ती रऊफ अजहर के खिलाफ पेश किए गये प्रस्ताव को ब्लॉक कर चुका है। यानि, शी जिनपिंग का शासन बार बार आतंकवादियों का बड़ा भाई बन रहा है और भारत पर किए गये हमलों को दरकिनार कर यूएनएससी में आतंकियों का बचाव कर रहा है, जो निश्चित तौर पर एक जिम्मेदार राष्ट्र की पहचान नहीं है।
आगे किन आतंकियों को बचाएगा चीन?
इसका मतलब यह है कि संयुक्त राष्ट्र के 1267 समिति द्वारा पाकिस्तान स्थित जैश-ए-मोहम्मद के हत्यारों मोहिउद्दीन आलमगीर और अली काशिफ जान को भी वैश्विक आतंकवादी के रूप में नामित करने के फ्रांस-भारत के संयुक्त प्रस्ताव को चीन ब्लॉक करने वाला है। एक के बाद एक पाकिस्तानी आतंकियों को बचाकर शी जिनपिंग शासन भारत को यह संदेश दे रहा है, कि आतंकवाद आपकी समस्या है और इसलिए आप इसे सुलझा लें। यह चीन के लिए कोई मुद्दा नहीं है और चीन हर हाल में इस्लामाबाद के साथ खड़ा है, चाहे कुख्यात आतंकियों को प्रोटेक्शन देने की ही बात क्यों ना हो।
आतंकियों को क्यों बचा रहा है चीन?
एक्सपर्ट्स के मुताबिक, चीन ऐसा इसलिए भी कर रहा है, ताकि वो अपने ग्राहक राज्य पाकिस्तान को चीनी कंपनियों के साथ निगोसिएशन का मौका ना दे, जो पाकिस्तान में बिजली परियोजनाओं को संचालित करने वाली हैं और चीन के लिए कम लागत वाला विकल्प भी है। लेकिन, पाकिस्तान के लिए ये प्रोजेक्ट काफी महंगा पड़ रहा है और पाकिस्तान चाहता है, कि चीन उसकी लागत को कम करे, लेकिन चीन ने ऐसा करने से इनकार कर दिया। पाकिस्तानी मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, उच्च ब्याज ऋण और बिजली की उच्च लागत पर चीनी कंपनियों की मदद से स्थापित गोल्ड प्लेटेड बिजली परियोजनाओं के कारण पाकिस्तान पर कर्ज का बोझ और भी ज्यादा हो गया है।
और खराब होंगे भारत-चीन संबंध?
हालांकि, पाकिस्तानी आतंकियों को बचाकर चीन अपने एक विकल्प का इस्तेमाल जरूर कर रहा है, लेकिन भारत की नरेंद्र मोदी सरकार आतंकवाद को बहुत गंभीरता से लेती है और बीजिंग की इस तरह की कार्रवाइयां पहले से ही खराब द्विपक्षीय संबंधों में कड़वाहट को और बढ़ा देंगी। मक्की, अजहर और मीर पर पकड़ से अमेरिका और फ्रांस के साथ चीन के संबंध भी जटिल हो जाएंगे, क्योंकि साजिद मीर 2000 की शुरुआत में फ्रांसीसी जिहादियों को प्रशिक्षण दे रहा था और 26/11 के हमले में अमेरिकी नागरिकों की हत्या के लिए जिम्मेदार था।
UN में रूस और ब्रिटेन भी होंगे भारत के खिलाफ?
वहीं, अब यह भी माना जाने लगा है, कि चीन को 'छोटा भाई' बन चुका रूस भी भारत के लिए एक सुरक्षित साथी नहीं रहा और अब यूनाइटेड नेशंस में किसी भारतीय प्रस्ताव पर रूस का रूख भारत के खिलाफ भी हो सकता है। इसके साथ ही ब्रिटेन, जो अभी भी पाकिस्तान के साथ पुरानी नीतियों को बरकरार रखते हुए आगे बढ़ रहा है, वो पाकिस्तानी सेना के साथ अपने घनिष्ठ संबंधों के चलते आने वाले वक्त में पाकिस्तानी आतंकियों पर भारत के प्रस्ताव के खिलाफ जा सकता है।
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