मंगल ग्रह पर दिखते हैं 'Dust Devil of Mars', बिना हवा के कैसे आते हैं बवंडर ?
मंगल ग्रह को वैज्ञानिक जितना समझ रहे हैं उससे अधिक उलझते भी जा रहे हैं। उलझते सवालों को सुलझाते सुलझाते कई नए सवाल मंगल ग्रह को लेकर फिर उत्पन्न हो जाते हैं। ऐसा माना जाता है कि जेजेरो क्रेटर मंगल ग्रह का एक बड़ा सोर्स ह
न्यूयॉर्क, 2 जून : मंगल ग्रह पर हवा आने को लेकर रहस्य बना हुआ है। हालांकि, वहां धूल को छोटे-छोटे बवंडर उड़ते देखे गए हैं। धूल के ये बवंडर जेजेरो क्रेटर में दिखी है। यहां ऐसी कई सारी बवंडर देखे जा रहे हैं। इस तस्वीर को मंगल ग्रह पर मौजूद अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (NASA) के मार्स पर्सिवरेंस रोवर (Mars Perseverance Rover) ने ली है।
मंगल एक रहस्यमयी ग्रह
जानकारी के मुताबिक रोवर ने अब तक इस रहस्यमयी ग्रह से 100 से अधिक बवंडर की तस्वीर ली है जिनमें कई सारे धूल के बवंडर एक जगह से दूसरी जगह भागते दिख रहे हैं। नासा के वैज्ञानिक इन धूल के बवंडरों को डस्ट डेविल्स बुलाते हैं। वैज्ञानिकों को लगता है कि जब मंगल ग्रह पर हवा जैसी कोई चीज नहीं है, तो ये धूल के बवंडर बनते कैसे हैं। क्योंकि विज्ञान कहता है कि बवंडर बनने के लिए हवा की जरूरत होती है।
मंगल से मिल रही रहस्यों से भरी तस्वीरें
मंगल ग्रह को वैज्ञानिक जितना समझ रहे हैं उससे अधिक उलझते भी जा रहे हैं। उलझते सवालों को सुलझाते सुलझाते कई नए सवाल मंगल ग्रह को लेकर फिर उत्पन्न हो जाते हैं। ऐसा माना जाता है कि जेजेरो क्रेटर मंगल ग्रह का एक बड़ा सोर्स है, जहां से सबसे अधिक धूल निकलती है। यह तस्वीर पर्सिवरेंस रोवर पर लगे मार्स एनवायरमेंटल डायनेमिक्स एनालाइजर ने ली है।
क्रेटर में रेत के बवंडर ने रोवर के दो विंड सेंसर को क्षतिग्रस्त किया
क्रेटर में रेत के बवंडर ने रोवर के दो विंड सेंसर को क्षतिग्रस्त कर दिया। टीम को संदेह है कि रेत के दानों ने पवन सेंसर पर पतली तारों को नुकसान पहुंचाया है। लेखक क्लेयर न्यूमैन ने कहा, हर बार जब हम मंगल ग्रह पर एक नए स्थान पर उतरते हैं, तो यह ग्रह के मौसम को बेहतर ढंग से समझने का अवसर होता है। जनवरी में हमारे ऊपर एक क्षेत्रीय धूल भरी आंधी थी, लेकिन हम अभी भी धूल के मौसम के बीच में हैं, इसलिए हमें और अधिक धूल भरी आंधी देखने की संभावना है।
आने वाले समय में आंधी को लेकर की जा सकती है भविष्यवाणी
साइंस एडवांस में प्रकाशित अध्ययन से पता चलता है कि मंगल ग्रह के पहले 216 दिनों में रोवर द्वारा देखी गई मौसम की घटनाओं के बारे में नए इनपुट मिले हैं। इन बवंडरों को देखते हुए वैज्ञानिकों का मानना है कि, मंगल ग्रह पर धूल प्रक्रियाओं को बेहतर ढंग से समझने पर आने वाले समय में ग्रह पर धूल भरी आंधी की भविष्यवाणी करने में मदद मिल सकती है।
धूल भरी आंधियों को समझना आवश्यक
जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी के डिप्टी प्रिंसिपल इनवेस्टीगेटर मैनुएल डे ला टोरे जुआरेज ने कहा है कि, जेजेरो क्रेटर मंगल ग्रह पर धूल फैलाने वाले प्रमुख श्रोतों में से एक हो सकता है। हम जितना ज्यादा धूल भरी आंधियों और बवंडरों के बारे में समझेंगे, उतना ही हमें भविष्य के मिशनों में आसानी होगी।
तीन बार रोवर के कैमरे ने धूल के बादलों को उड़ते देखा
तीन बार रोवर के कैमरे ने धूल के बादलों को उड़ते देखा है। इन्हें वैज्ञानिक गस्ट लिफ्टिंग इवेंट्स कहते हैं। इसमें धूल का सबसे बड़ा बादल 4 वर्ग किलोमीटर आकार का था। वैज्ञानिक यह समझने का प्रयास कर रहे हैं कि बिना हवा वाले वायुमंडल में धूल बवंडर, आंधी या बादलों के रूप में कैसे उड़ती है। सच में !यह तो रहस्यों की दुनिया है, मंगल ग्रह, जिसे जितना समझोगे.. उतना ही उलझ कर रह जाओगे....
ये भी पढ़ें : मंगल के साथ क्या अमंगल हुआ था, लाल ग्रह के सूखने का मिल गया सुराग ?