पाकिस्तान का अगला आर्मी चीफ कौन बनेगा? सेना ने सरकार को भेजे 6 नाम, जानें कौन है सबसे आगे?
पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने एक टीवी टॉक शो में भाग लेते हुए कहा कि, सेना और सरकार के बीच कोई मतभेद नहीं है और इस संबंध में अलग अलग तबकों की तरफ से जो चिंताएं व्यक्त की जा रही हैं, वो निराधार हैं।
Pakistan new Army chief: जनरल कमर जावेद बाजवा 29 नवंबर को अपने पद से रिटायर होने वाले हैं, लिहाजा शहबाज सरकार के लिए अब फैसला करने का वक्त आ गया है, कि देश का नया आर्मी चीफ कौन होगा। लिहाजा, प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के लिए ये फैसला काफी ज्यादा मुश्किल चुनौतियों में से एक होने वाला है, क्योंकि देश की सबसे ज्यादा ताकतवर कुर्सी पर जो शख्स बैठेगा, वही देश की राजनीति को आने वाले वक्त में अपने इशारे पर नचाएगा। हालांकि, कई राजनीतिक सूत्रों का कहना है, कि शहबाज शरीफ सरकार में शामिल गठबंधन दलों से बात करना चाह रहे हैं, लेकिन गठबंधन दलों की तरफ से प्रधानमंत्री पर ही फैसला छोड़ दिया गया है। पाकिस्तान की संविधान के अनुच्छेद 243(3) के तहत राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री की सिफारिश पर सेना प्रमुख की नियुक्ति करता है।
सेना ने सरकार को भेजे 6 नाम
पाकिस्तानी सेना ने एक ट्वीट के जरिए कहा है, कि उसने पाकिस्तान की सरकार को नये सैन्य प्रमुख की नियुक्ति को लेकर 6 नाम भेज दिए हैं। हालांकि, सेना की तरफ से जो ट्वीट किया गया है, उसमें किसी का नाम नहीं लिखा है। वहीं, पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने भी रात करीब 11 बजे सेना की तरफ से 6 नाम मिलने की पुष्टि की। सेना ने अपने ट्वीट में कहा कि, 6 वरिष्ठ जनरलों का नाम सरकार को भेजा गया है। वहीं, पाकिस्तानी अखबार डॉन की रिपोर्ट के मुताबिक, लेफ्टिनेंट जनरल असीम मुनीर (वर्तमान में क्वार्टर मास्टर जनरल), लेफ्टिनेंट जनरल साहिर शमशाद मिर्जा (कमांडर 10 कॉर्प्स), लेफ्टिनेंट जनरल अजहर अब्बास (चीफ ऑफ जनरल स्टाफ), लेफ्टिनेंट जनरल नौमान महमूद (एनडीयू अध्यक्ष), लेफ्टिनेंट जनरल फैज हामिद (कमांडर बहावलपुर कॉर्प्स), और लेफ्टिनेंट जनरल मोहम्मद आमिर (कमांडर गुजरांवाला कॉर्प्स) के नाम सरकार को भेजे गये हैं।
सरकार बनाम सेना की स्थिति?
पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने एक टीवी टॉक शो में भाग लेते हुए कहा कि, सेना और सरकार के बीच कोई मतभेद नहीं है और इस संबंध में अलग अलग तबकों की तरफ से जो चिंताएं व्यक्त की जा रही हैं, वो निराधार हैं। लेकिन, डॉन की रिपोर्ट के मुताबिक, एक दिन पहले पूर्व प्रधान मंत्री शाहिद खाकान अब्बासी और आंतरिक मंत्री राणा सनाउल्लाह सहित कई पीएमएल-एन नेताओं ने संकेत दिया था, कि सेना आर्मी चीफ चुनने की प्रक्रिया को बाधित कर रही है। लेकिन रक्षा मंत्री ने कहा कि, उन्होंने अब्बासी को बता दिया है कि उनकी चिंता दूर कर दी जाएगी। पीएमएल-एन के एक वरिष्ठ नेता ने मंगलवार को डॉन को बताया कि, नाम भेजने की प्रक्रिया में देरी सरकार को कमजोर कर सकती है और अटकलों और कानूनी चुनौतियों के लिए प्रक्रिया को खुला छोड़ सकती है। हालांकि, देर रात करीब पौने एक बजे सेना की तरफ से नाम भेजने की पुष्टि कर दी गई।
कौन अधिकारी किसकी पसंद?
पाकिस्तानी संविधान के मुताबिक, आर्मी चीफ चुनने का विशेषाधिकार सिर्फ प्रधानमंत्री को होता है, लिहाजा फैसला शहबाज शरीफ के हाथ में है। लेकिन, इमरान खान अपने मनपसंद शख्स को नया आर्मी चीफ बनवाने के लिए आखिरी दम तक कोशिश कर रहे हैं। इमरान खान की पसंद पूर्व आईएसआई चीफ फैज हमीद हैं, जिन्हें पिछले साल सितंबर में अफगानिस्तान जाकर तालिबानी अधिकारियों से मुलाकात करने के बाद उठे विवाद के बीच पद से हटा दिया गया था। फैज हमीद इमरान खान के बेहद करीबी माने जाते हैं, लेकिन पाकिस्तानी सेना नहीं चाहती है, कि उसका कोई अधिकारी किसी नेता के इशारे पर काम करे, बल्कि पाकिस्तानी सेना नेताओं से अपने इशारे पर काम करवाती है। वहीं, प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की पहली पसंद आसिम मुनीर बताए जा रहे हैं और ज्यादा उम्मीद है, कि आसिम मुनीर ही पाकिस्तान के नये आर्मी चीफ बन सकते हैं।
कौन हैं जनरल आसीम मुनीर?
इन्फैंट्रीमैन लेफ्टिनेंट जनरल असीम मुनीर वरिष्ठता की लिस्ट में जनरल बाजवा के बाद शीर्ष पर हैं। हालांकि, वह पाकिस्तान सैन्य अकादमी के ग्रेजुएट नहीं है, लेकिन वह सेना के एक फीडर स्कूल से "स्वॉर्ड ऑफ ऑनर" श्रेणी के टॉपर हैं, जिनकी पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी में अच्छी खासी पकड़ है। इसके अलावा कहा जाता है, कि पूरा कुरान उन्हें याद है। पाकिस्तान के अलावा उन्होंने सऊदी अरब में भी काम किया है। लेकिन, मुनीर के सामने सबसे बड़ी दिक्कत ये है, कि वो जनरल बाजवा से भी दो दिन पहले रिटायर्ट हो रहे हैं, लिहाजा उन्हें सेना प्रमुख बनाने के लिए पहले उनके कार्यकाल को बढ़ाना होगा और इसके लिए शहबाज शरीफ को राजनीतिक पैंतरेबाजी करनी होगी और सैन्य अधिनियमों में संशोधन करना होगा। हालांकि, कुछ सैन्य अंदरूनी सूत्रों ने चेतावनी दी है, कि उन्हें नामित करने से पाकिस्तान की राजनीति में भयावह राजनीति ध्रुवीकरण होगा। वहीं, सेना पर दो किताबें लिखने वाले नवाज शरीफ ने अपनी किताब में लिखा है, कि सैन्य प्रमुख के लिए उस उम्मीदवार का नाम सबसे पहले हटा देना चाहिए, जो 'खुफिया एजेंसी आईएसआई' का डार्क हाउस हो। ऐसे में देखना दिलचस्प होगा, कि क्या आसीम मुनीर पर पीएम शहबाज शरीफ दांव खेलते हैं या नहीं?
शरीफ भाईयों में विमर्श जारी
पाकिस्तान के एक्सपर्ट्स का कहना है, नये सेना प्रमुख की नियुक्ति पर फैसला उस शख्स को लेना है, जिसके पास नियुक्ति पत्र पर हस्ताक्षर करने का अधिकार नहीं है और वो पाकिस्तान में भी नहीं रहता है और वो नाम है पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ, जो वर्तमान प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के बड़े भाई और पाकिस्तान मुस्लिम लीग के गॉडफादर (नवाज), जिसका नाम उन्होंने अपने नाम पर रखा है। नवाज शरीफ वो शख्स हैं, जिन्होंने परवेज मुशर्रफ को सेना प्रमुख चुना था, मगर नवाज शरीफ का ही तख्तापलट कर दिया था। लिहाजा, नवाज शरीफ अपने प्रधानमंत्री भाई की सलाहकार की भूमिका मे हैं। खास बात यह है कि, नवाज शरीफ के नाम एक और रिकॉर्ड है। देश के 15 आर्मी कमांडरों में से उन्होंने पांच को खुद नॉमिनेट किया है। फिर भी, या सैन्य जनरलों के साथ उनके संबंध खराब हो गये और उन्हें अपना पद बार बार गंवाना पड़ा। पिछले हफ्ते, बड़े शरीफ ने अपने छोटे भाई प्रधानमंत्री शरीफ को लंदन बुलाया था और प्रधान मंत्री कार्यालय के सूत्रों ने कहा कि, प्रमुख उम्मीदवारों के प्रोफाइल के साथ-साथ देश में राजनीतिक अराजकता पर चर्चा की गई है।