कौन हैं भारतीय मूल के अमेरिकी अधिकारी रशद हुसैन, जो बार बार भारत को ‘बदनाम’ कर रहे हैं?
गुरुवार को वॉशिंगटन में अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता (आईआरएफ) शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए हुसैन ने कहा कि उनके पिता 1969 में भारत से अमेरिका आए थे।
वॉशिंगटन, जून 02: भारतीय मूल का एक अमेरिकी अधिकारी रशद हुसैन बार बार भारत की मुश्किलें बढ़ा रहे हैं और अल्पसंख्यकों के मामले पर भारत को कटघरे में खड़ा कर रहे हैं। अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता के मुद्दे पर अमेरिकी राजदूत रशद हुसैन ने भारत में कई धार्मिक समुदायों के साथ हो रहे सलूक पर गहरी चिंता जताई है और कहा है कि, इन चुनौतियों को दूर करने के लिए वॉशिंगटन लगातार भारतीय अधिकारियों के साथ बातचीत कर रहा था। रशद हुसैन ही वो अधिकारी हैं, जिन्होंने भारत में अल्पसंख्यकों के मुद्दे पर रिपोर्ट तैयार की थी और भारत में अल्पसंख्यकों से अत्याचार होने की बात कही थी। आईये जानते हैं, कि अमेरिकी अधिकारी रशद हुसैन कौन हैं, उनका भारत से क्या रिश्ता है और क्या वो भारत के खिलाफ राजनीतिक उद्येश्य से पूर्वाग्रह भरा रिपोर्ट तैयार कर रहे हैं।
भारतीय मूल के हैं रशद हुसैन
गुरुवार को वॉशिंगटन में अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता (आईआरएफ) शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए हुसैन ने कहा कि उनके पिता 1969 में भारत से अमेरिका आए थे। रशद हुसैन ने एक सम्मेलन में बोलते हुए कहा, कि 'इस देश ने (अमेरिका) मेरे पिता को सबकुछ दिया, लेकिन वो भारत से प्यार करते हैं और भारत में जो कुछ हो रहा होता है, उसे फॉलो करते हैं। मेरे पिता के साथ भारत के मुद्दों पर और भारत की स्थिति पर चर्चा होती रहती है, जैसा आम तौर पर लोग करते हैं, जो रिपोर्ट्स हमारे पास पहुंचती हैं, उस आधार पर, और हम देखते हैं, कि भारत में क्या हो रहा है और हम भारत से प्यार करते हैं और हम चाहते हैं, कि भारत एक ऐसा देश बने, जो अपने वैल्यू के आधार पर आगे बढ़े।' रशद हुसैन ने कहा कि, अमेरिका भारत में कई धार्मिक समुदायों के बारे में "चिंतित" था और चुनौतियों का समाधान करने के लिए भारतीय अधिकारियों के साथ "सीधे डील" कर रहा था।
भारत पर क्या बोले रशद हुसैन?
भारतीय-अमेरिकी राजनयिक रशद हुसैन ने कहा कि, 'भारत में अब एक नागरिकता कानून है जो बन चुका है। हमारे पास रिपोर्ट है, कि भारत में नरसंहार के लिए आह्वान किया गया। हमने चर्चों पर हमले किए हैं। हमने हिजाब पर प्रतिबंध लगा दिया है। हमने घरों को तोड़ा है'। रशद हुसैन ने स्पष्ट रूप से केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की टिप्पणियों का जिक्र करते हुए कहा कि, 'हमारे पास बयानबाजी है, जिसका खुले तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा है जो लोगों के प्रति अमानवीय है, इस हद तक कि एक मंत्री ने मुसलमानों को दीमक के रूप में संदर्भित किया है।" अपने एक भाषण में, उन्होंने बांग्लादेशी प्रवासियों को "दीमक" कहा था।
अमेरिका की है जिम्मेदारी
रशद हुसैन ने कहा कि, 'तो आपके पास ये सब कुछ सामग्रियां हैं, लिहाजा, ये काफी महत्वपूर्ण हो जाता है, कि हम इसे नोट करें, और समस्याओं और चुनौतियों की दिशा में काम करें।' उन्होंने कहा कि, 'ये संयुक्त राज्य अमेरिका की जिम्मेदारी है, कि वो मानवाधिकार के बारे में बात करे, धार्मिक स्वतंत्रता की बात करे और सिर्फ भारत के बार में ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के बारे में बात करे।'
भारत बार बार कर रहा रिपोर्ट खारिज
भारत ने धार्मिक स्वतंत्रता पर अमेरिकी विदेश विभाग की रिपोर्ट और वरिष्ठ अधिकारियों के बयानों में इसके खिलाफ आलोचना को बार-बार खारिज करते हुए कहा कि, यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि अंतरराष्ट्रीय संबंधों में "वोट बैंक की राजनीति" का अभ्यास किया जा रहा है। भारत ने अपनी प्रतिक्रिया में नस्लीय और जातीय रूप से प्रेरित हमलों, घृणा अपराधों और अमेरिका में बंदूक हिंसा पर चिंता व्यक्त की है। वहीं, अपनी टिप्पणी में, रशद हुसैन ने यह भी कहा कि वह भारतीय ईसाइयों, सिखों, दलितों और स्वदेशी लोगों से मिले थे।
‘भारत जोखिम भरे लिस्ट में नंबर-दो’
रशद हुसैन ने कहा कि, यूएस होलोकॉस्ट म्यूजियम की प्रारंभिक चेतावनी परियोजना ने "भारत को सामूहिक हत्याओं के जोखिम में दुनिया में नंबर दो देश के रूप में नामित किया था।" उन्होंने कहा कि, "किसी भी समाज को अपनी क्षमता तक जीने के लिए, हमें सभी लोगों के अधिकारों को सुरक्षित करना होगा। हमारा काम दुनिया में हर जगह सभी लोगों की धार्मिक स्वतंत्रता की रक्षा करना है।" वहीं, उदयपुर में एक दर्जी की हत्या का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि, 'यह महत्वपूर्ण है कि हम एक साथ काम करें और सभी लोगों के अधिकारों के लिए लड़ें। अगर किसी पर हमला हुआ है, जैसे कल हमला हुआ था, तो यह निंदनीय है, हमें उसकी भी निंदा करनी होगी।
आईआरएफ शिखर सम्मेलन 2022
अमेरिकी अधिकारी रशद हुसैन आईरएफ शिखर सम्मेलन 2022 में बोल रहे थे, जो गुरुवार को समाप्त हुआ है। दुनिया भर के अंतर्राष्ट्रीय स्वतंत्रता अधिवक्ताओं और कार्यकर्ताओं की दूसरी वार्षिक सभा थी। शिखर सम्मेलन से पहले आयोजकों ने कहा कि 3 दिवसीय बैठक धर्म, अंतरात्मा और विश्वास की स्वतंत्रता के लिए बढ़ते खतरों को उजागर करेगी, और यह एक बार फिर आईआरएफ दुनियाभर में विभिन्न समुदाय को लोगों को इन मौलिक स्वतंत्रताओं को विस्तारित करने के लिए साझा लक्ष्यों को आगे बढ़ाने के लिए एक साथ आने का मौका देगी।
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