बहन की जिद तो नहीं बन गई दुनिया की सबसे वजनी महिला की मौत का कारण!
नई दिल्ली। दुनिया की सबसे वजनी महिला इमान अहमद का सोमवार सुबह अबू धाबी के बुर्जील अस्पताल में निधन हो गया। उनकी की मौत के पीछे दिल की बीमारी और किडनी का काम न करना बताया जा रहा है। इमान भारत से इलाज करवा कर अबू धाबी के अस्पताल में भर्ती हुईं थीं। भारत में इमान के इलाज के दौरान कई कॉन्ट्रोवर्सी भी हुईं। जानिए इमान की मिस्त्र से भारत आने तक की पूरी कहानी।
मुंबई के डॉक्टर तुरंत हुए थे इलाज को राजी
मिस्त्र की रहने वाली इमान अपनी लाइलाज बीमारी लेकर सभी के पास गईं, लेकिन किसी ने उनकी मदद नहीं की। जब इमान की बहन शायमा ने भारत में मदद की मांग की तो सैफी अस्पताल के बैरिएट्रिक सर्जन डॉक्टर मुफ्फजल लकड़ावाला आगे आए। इमान को अपनी निगरानी में रखने के लिए मुफ्फजल फौरन तैयार हो गए।
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भारत आने को जब नहीं मिला वीजा
शायमा और मुफ्फजल इमान को भारत लाने की पुरजोर कोशिश कर रहे थे लेकिन उन्हें कोई सफलता हात नहीं लगी। इमान का वीजा बार-बार खारिज हो रहा था क्योंकि वो औपचारिकता पूरी करने के लिए घर से बाहर नहीं जा पा रहीं थीं। लाख कोशिशों के बाद भी जब उन्हें वीजा नहीं मिला तो मुफ्फजल ने विदेश मंत्री सुषमा स्वराज से गुहार लगाई।
सुषणा स्वराज ने फौरन की मदद
हमेशा की तरह सुषमा स्वराज यहां भी मदद को सामने आईं और उन्होंने इमान को भारत लाने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी। इमान के लिए प्लेन में खास इंतजाम किया गया और फिर उन्हें एयरलिफ्ट कर मुंबई के सैफी अस्पताल लाया गया। इमान को अस्पताल लाने में 73 लाख का खर्च आया था जो सैफी अस्पताल ने उठाया।
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फरवरी में मुंबई में शुरू हुआ इलाज
यहां डॉक्टर मुफ्फजल की अगुवाई में एक टीम तैयार हुई जो 24 घंटे इमान की देखभाल कर रही थी। डॉक्टरों की देखरेख में फरवरी में इमान का इलाज शुरू हुआ और मार्च तक आते-आते उनका वजन 150 किलो कम हो चुका था। इमान की हालत में सुधार दिखने लगा था।
तीन महीने में दिख गया रिजल्ट
अप्रैल तक इमान का वजन तकरीबन 250 किलो हो चुका था। डॉक्टर्स ने शायमा से इमान की छुट्टी को लेकर बात की और बताया कि उन्हें कुछ दिनों में रिलीव किया जा सकता है। इसके बाद शुरू हुआ पूरा विवाद। शायमा ने इसके बाद अस्पताल पर इमान की सही से इलाज न करने का आरोप लगाया। बतौर शायमा, 'मैं उन्हें घर कैसे ले जा सकती हूं। उनका वजन अभी भी काफी ज्यादा है और वो अपने पैरों पर खड़ी भी नहीं हो पा रही हैं।'
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शायमा ने लगाए डॉक्टर्स पर आरोप
इमान ने कहा कि डॉक्टर्स ने उनसे वजन कम होने के झूठे वादे किए। शायमा चाहती थीं कि जब तक इमान अपने पैरों पर खड़ी नहीं हो जाती हैं, तब तक इमान को अस्पताल में ही रखा जाए। डॉक्टर्स ने इमान को अस्पताल में आगे रखने से मना कर दिया जिसके बाद शायमा ने दूसरे अस्पतालों से संपर्क साधा। अबू धाबी के बुर्जील अस्पताल ने शायमा को भरोसा दिलाया कि वो न केवल इमान को उनके पैरों पर खड़ा कर देंगे, बल्कि शायमा और उनकी मां का भी एक साल तक ध्यान रखेंगे।
अस्पताल ने किया पलटवार
सैफी अस्पताल के डॉक्टरों का कहना था कि इमान की हड्डियां काफी कमजोर हैं जिसके कारण उनकी और सर्जरी नहीं हो सकती। अस्पताल के सीओओ हुजैफा शहाबी ने इस विवाद पर कहा था, 'हमने इमान को सबसे बेहतर ट्रीटमेंट दी। हमने बाकियों की तरह चीजें बढ़ा-चढ़ा कर नहीं बताईं और हमें इसी बात की सजा मिल रही है।' इमान का इलाज कर रहे डॉक्टर मुफ्फजल ने भी शायमा पर पलटवार करते हुए कहा था कि शायमा सही बातें नहीं बता रही हैं और दुनिया से झूठ बोल रही हैं।
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क्या है आखिर मौत का कारण?
सैफी अस्पताल से छुट्टी मिलते ही इमान को बुर्जील अस्पताल में भर्ती कराया गया जहां उनका इलाज चल रहा था। लेकिन 25 सितंबर को सुबह 4 बजकर 35 मिनट पर इमान ने दुनिया को अलविदा कह दिया। इमान की मौत पर कई सवाल खड़े हो गए हैं। भारत में सही इलाज होने के बाद क्या उन्हें दूसरे अस्पताल में भर्ती कराने के कारण उनकी मौत हुई?