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चांद की इस मिट्टी पर किसका हक़ है?

एक छोटी सी कांच की शीशी में थोड़ी सी धूल रखी है. इसे आम नज़रों से देखें तो यह मामूली सी जान पड़ती है लेकिन उसके मालिक के लिए किसी बेशकीमती खज़ाने से कम नहीं.

लॉरा मरे नाम की एक महिला का कहना है कि यह मामूली धूल नहीं बल्की चांद की ज़मीन से लायी गई मिट्टी है, जिसे चांद पर पहला कदम रखने वाले अंतरिक्षयात्री नील आर्मस्ट्रॉन्ग ने खुद उन्हें दिया था.

लॉरा जब 11 साल की थीं तब नील आर्मस्ट्रोन्ग ने उन्हें चांद की यह मिट्टी उपहार के तौर पर दी थी,

By BBC News हिन्दी
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एक छोटी सी कांच की शीशी में थोड़ी सी धूल रखी है. इसे आम नज़रों से देखें तो यह मामूली सी जान पड़ती है लेकिन उसके मालिक के लिए किसी बेशकीमती खज़ाने से कम नहीं.

लॉरा मरे नाम की एक महिला का कहना है कि यह मामूली धूल नहीं बल्की चांद की ज़मीन से लायी गई मिट्टी है, जिसे चांद पर पहला कदम रखने वाले अंतरिक्षयात्री नील आर्मस्ट्रॉन्ग ने खुद उन्हें दिया था.

लॉरा जब 11 साल की थीं तब नील आर्मस्ट्रोन्ग ने उन्हें चांद की यह मिट्टी उपहार के तौर पर दी थी, हालांकि वो सालों तक इसे कहीं रखकर भूल गई थीं.

वे बताती हैं कि आर्मस्ट्रॉन्ग ने उन्हें यह देते हुए एक नोट लिखा था, ''यह लॉरा एन्न मरे के लिए के लिए है, बेस्ट ऑफ़ लक, नील आर्मस्ट्रॉन्ग, अपोलो XI.''

दरअसल लॉरा के पिता टॉम मरे एयर फोर्स में पायलट थे और आर्मस्ट्रॉन्ग के दोस्त भी थे.

पांच साल पहले अपने माता-पिता के निधन के बाद, जब लॉरा सामान समेट रहीं थी तो उन्हें चांद की मिट्टी रखी वह शीशी मिल गई.

नासा से पहले किया कोर्ट केस

लॉरा अब अमरीका के टेनेसी राज्य में रहती हैं और उस विशेष अमानत को वे अपने पास ही रखना चाहती हैं. यही वजह है कि उन्होंने एक वकील भी नियुक्त किया है. उन्होंने कोर्ट में एक मामला भी दर्ज़ कर दिया है जिससे नासा उनसे चांद की वह मिट्टी ना ले सके.

हालांकि अभी तक नासा ने चांद की यह मिट्टी लेने का कोई कोशिश नहीं की है लेकिन लॉरा के वकील क्रिस्टोफर मैकह्यूज के मुताबिक नासा का इतिहास रहा है कि वह चांद से जुड़ी चीजों को अपने पास रख लेती है.

मैकह्यूज कहते हैं कि लॉरा ही उस चांद की मिट्टी की असल मालकिन हैं. इसके सबूत के तौर पर वे आर्मस्ट्रॉन्ग का ऑटोग्राफ भी पेश करते हैं और बताते हैं कि उन्होंने इसे विशेषज्ञों से प्रमाणित करवाया है.

नील आर्मस्ट्रॉन्ग चांद पर कदम रखने वाले वाले मनुष्य थे, उन्होंने 20 जुलाई 1969 को चांद पर कदम रखा था.
Getty Images
नील आर्मस्ट्रॉन्ग चांद पर कदम रखने वाले वाले मनुष्य थे, उन्होंने 20 जुलाई 1969 को चांद पर कदम रखा था.

क्या है नासा का नियम?

वहीं दूसरी तरफ अगर चांद के सैम्पल से जुड़ी नासा की नियमावली देखें तो उसमें बताया गया है कि चांद के सभी सैम्पल अमरीकी सरकार के अधिकार क्षेत्र में आते हैं.

नासा की पॉलिसी के अनुसार चांद से जुड़े सामान का इस्तेमाल सिर्फ़ आधिकारिक उद्देश्यों के लिए ही किया जा सकता है.

हालांकि सवाल यह भी हैं कि क्या यह मिट्टी सचमुच चांद से ही लायी गई थी. कोर्ट में पेश दस्तावेज़ों के अनुसार एक विशेषज्ञ ने इसकी जांच की है और पाया कि यह पाउडर या सैम्पल चांद की सतह का हो सकता है.

इसके साथ ही विशेषज्ञ ने यह भी कहा कि ऐसा भी हो सकता है कि इस मिट्टी के साथ पृथ्वी की धूल भी मिल गई हो.

चांद
Getty Images
चांद

फिलहाल तो यह देखना होगा कि मरे कानून के रास्ते अपनी इस कीमती मिट्टी को अपनी पास रख पाती हैं या नहीं. या यह भी हो सकता है कि इस कानूनी केस के चलते उन्होंने नासा को उस मिट्टी की भनक लगा दी है जिसका उसे अभी तक पता भी नहीं था.

BBC Hindi
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English summary
Who has the right over this soil of the moon
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