जानिए यूएन में पी5, जी4 का मतलब और पी5 देशों की ताकत
न्यूयॉर्क। सोमवार को जब संयुक्त राष्ट्रसंघ ने सुरक्षा परिषद में रिफॉर्म के ड्राफ्ट को मंजूरी दी तो इसके स्थायी सदस्यों को कहीं न कहीं बड़ा धक्का लगा। लेकिन यह फैसला भारत के लिए बड़ी कामयाबी की तरह है क्योंकि इस फैसले के साथ भारत के स्थायी सदस्य बनने का एक रास्ता खुल गया है।
यूएनएससी
में
क्या
है
पी5
यूनाइटेड
नेशंस
सिक्योरिटी
काउंसिल,
यूएनएससी,
इसके
पांच
स्थायी
सदस्यों
को
पी5
के
नाम
से
जानते
हैं।
पी5
यानी
कि
परमानेंट5
और
इस
पी5
में
अमेरिका,
रूस,
चीन,
फ्रांस
और
यूके
का
नाम
शामिल
है।
क्या है जी4
जी4 यानी वे चार देश जो स्थायी सदस्यता के मकसद से एक दूसरे का समर्थन करते हैं। जी4 देशों को नियमित तौर पर संयुक्त राष्ट्रसंघ की सुरक्षा परिषद में अस्थायी सदस्यता के लिए चुना जाता है।
ब्राजील- ब्राजील को अभी तक 10 बार सिक्योरिटी काउंसिल के लिए चुना जा चुका है।
जर्मनी-जर्मनी को अभी तक तीन बार सुरक्षा परिषद की अस्थायी सदस्यता के लिए चुना जा चुका है।
भारत-भारत को अभी तक सात बार सुरक्षा परिषद की अस्थायी सदस्यता के लिए चुना गया है।
जापान-जापान को भी 10 बार सुरक्षा परिषद की अस्थायी सदस्यता मिल चुकी है।
आगे की स्लाइड्स में जानिए पी5 देशों की ताकत के बारे में।
द्वितीय विश्व युद्ध के ताकतवर देश
पी5 देशों का प्रतिनिधित्व ऐसे देश करते हैं जिन्हें द्वितीय विश्व युद्ध के बाद काफी ताकतवर देश माना गया। हर स्थ्ाायी सदस्य के पास वीटो पावर होती है। इस ताकत की वजह से किसी भी तरह के बदलाव या फिर रिफॉर्म के लिए इन देशों की मंजूरी जरूरी होती है। इनकी मंजूरी के बिना किसी भी तरह का कोई बदलाव नहीं हो सकता है।
अमेरिका को मिली 1946 में जगह
यूएनएससी में अमेरिका को वर्ष 1946 में जगह मिल गई थी।
यूके भी 1946 में बना हिस्सा
यूनाइटेड किंगडम यानी यूके को भी अमेरिका के साथ वर्ष 1946 में सिक्योरिटी काउंसिल की स्थायी सदस्यता मिली।
1991 में रूस बना स्थायी सदस्य
रूस को वर्ष 1991 में यूएनएससी की स्थायी सदस्यता मिली। वर्ष 1946 से 1991 तक रूस यूनियन ऑफ सोवियत सोशलिस्ट रिपब्लिक के तहत ही आता था।
1958 में मिली सदस्यता
फ्रांस को वर्ष 1958 में यूएनएससी की स्थायी सदस्यता मिल गई थी।
1971 से अब तक स्थायी सदस्य
चीन को यूएनएससी की स्थायी सदस्यता वर्ष 1971 में ही मिल गई थी।