साउथ चायना सी में महायुद्ध का खतरा गहराया, अमेरिकी एयरक्राफ्ट को खदेड़ने चीन ने भेजा वारक्राफ्ट
दक्षिण चीन सागर में अमेरिकी एयरक्राफ्ट के जाते ही चीन तिलमिला गया और उसने अपने वारक्राफ्ट को अमेरिकी एयरक्राफ्ट को रोकने भेज दिया।
नई दिल्ली, सितंबर 08: अफगानिस्तान से अमेरिका निकल चुका है और अब अमेरिका साउथ चायना सी में पूरा ध्यान चीन के वर्चस्व को तोड़ने में लगा रहा है, लेकिन इसके साथ ही साउथ चायना सी युद्ध का मैदान बनता नजर आ रहा है। ऐसी आशंका जताई जा रही है कि बहुत जल्द साउथ चायना सी में अमेरिका और चीन के जहाजों के बीच कड़ी टक्कर हो सकती है। ताजा खबर ये है कि अमेरिकी एयरक्राफ्ट को साउथ चायना सी भगाने के लिए चीन ने अपना वारक्राफ्ट भेज दिया है और दोनों देश साउथ चायना सी में आमने-सामने की लड़ाई की स्थिति में आ रहे हैं।
साउथ चायना सी में भारी तनाव
चीन की सरकारी मीडिया के मुताबिक, साउथ चायना सी में अमेरिकी एयरक्राफ्ट के आने के बाद चीन ने अमेरिका पर जोरदार हमला बोला है और कहा है कि वैश्विक समुदाय की शांति के लिए अमेरिका सबसे ज्यादा विध्वंसक है। और इसके साथ ही चीन ने फाइटर जेट्स को साउथ चायना सी में तैयान कर दिया है। रिपोर्ट के मुताबिक, दक्षिण चीन सागर में अमेरिका ने फ्रंटलाइन अमेरिकी युद्धपोत विवादित स्प्रैटली द्वीप समूह में भेजा है। जिसके बाद चीन काफी ज्यादा गुस्से में है और उसने अमेरिकी जहाज को फौरन निकलने के लिए चेतावनी जारी की है। आपको बता दें कि जिस इलाके में अमेरिकी एयरक्राफ्ट करियर गया है, उस इलाके के अलग अलग हिस्से को इंडोनेशिया, मलेशिया, ब्रूनेई और ताइवान अपना दावा करता है, जबकि चीन का कहना है कि साउथ चायना सी में एक इंच हिस्सा भी किसी का नहीं है, पूरा साउथ चायना सी चीन का है।
अमेरिका कर रहा है विरोध
अमेरिकी नौसेना के विध्वंसक यूएसएस बेनफोल्ड ने बुधवार को चीन में नानशा के रूप में जाने जाने वाले स्प्रैटली द्वीप समूह के करीब स्थित मिसचीफ रीफ को यह कहते हुए पार किया कि यह FONOP (नेविगेशन ऑपरेशन की स्वतंत्रता) का हिस्सा था। जबकि,स्प्रैटली द्वीप समूह सहित लगभग पूरे एससीएस पर चीन अपना हिस्सा होने का दावा करता है, लेकिन फिलीपींस, वियतनाम, मलेशिया और ब्रुनेई सहित इसके कई समुद्री पड़ोसी देश चीन के दावे का विरोध करते हैं। आपको बता दें कि रिंग के आकार की मिसचीफ रीफ फिलीपींस तट से लगभग 250 किमी दूर स्थित है। 2017 में यह बताया गया था कि चीन ने अपने दावे को प्रभावी ढंग से मजबूत करने के लिए मिसचीफ रीफ सहित स्प्रैटली द्वीप समूह पर कई सैन्य प्रतिष्ठान बनाए हैं और छोटे देशों को धमकाना शुरू कर दिया है।
चीन बनाम अमेरिका
अमेरिकी नौसेना के युद्धपोत अक्सर विवादित द्वीपों के पास जाते हैं, जिसपर चीन सख्त एतराज जताता है। यूएस 7 वें फ्लीट के उप सार्वजनिक मामलों के अधिकारी लेफ्टिनेंट मार्क लैंगफोर्ड ने एक बयान में कहा कि, ''8 सितंबर को यूएसएस बेनफोल्ड (डीडीजी 65) ने अंतरराष्ट्रीय कानून के मुताबिक, स्प्रैटली द्वीप समूह में नौवहन अधिकारों और स्वतंत्रता पर जोर दिया। इस FONOP ने समुद्र के अधिकारों, स्वतंत्रताओं और वैध उपयोगों को बरकरार रखा है। अमेरिका ने कहा है कि वो समुद्र स्वतंत्रता कानून का पालन करता है और उसे साउथ चायना सी में जाने का पूरा अधिकार है। अमेरिका ने कहा है कि उसका मिशन समुद्री कानूनों के हिसाब से है, जिसका पालन सभी देश करते हैं और अमेरिका किसी भी हाल में समुद्री कानून और समुद्री अधिकार को बनाए रखने का पक्षधर है।
अमेरिकी ऑपरेशन से आगबबूला चीन
चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) की दक्षिणी थिएटर कमांड (एसटीसी) ने एससीएस में अमेरिकी युद्धपोत की गतिविधियों के खिलाफ कड़ा बयान जारी किया है। कमांड के प्रवक्ता तियान जुनली ने कहा कि ऑपरेशन चीनी सरकार की मंजूरी के बिना किया गया था। उन्होंने कहा कि पीएलए वायु सेना ने अमेरिकी युद्धपोत को कड़ी चेतावनी जारी की। तियान जुनली ने कहा कि, "अमेरिका द्वारा चीन की संप्रभुता और सुरक्षा का गंभीर उल्लंघन उसके आक्रामक नेविगेशन आधिपत्य और दक्षिण चीन सागर के सैन्यीकरण का एक और सबूत है।" उन्होंने कहा कि अमेरिका द्वारा साउथ चायना सी में बार बार अपने एयरक्राफ्ट तो भेजना बताता है कि दक्षिण चीन सागर में अमेरिका शांति और स्थिरका का सबसे बड़ा विध्वंसक है। आपको बता दें कि इसी महीने चीन ने उस विवादित कानून को लागू कर दिया है, जिसमें चीन की तरफ से कहा गया है कि बगैर उसकी इजाजत के उसके समुद्री क्षेत्र में आने वाले जहाजों को उड़ा दिया जाएगा।