भारत और रूस की दोस्ती ऐसी नहीं, कि लाइट स्विच बदलने की तरह बदल जाए... अमेरिका का बड़ा बयान
24 फरवरी को यूक्रेन पर रूसी आक्रमण के बाद अब तक भारत ने रूस की आलोचना नहीं की है, जबकि अमेरिका समेत दर्जनों पश्चिमी देशों ने रूस पर भारी प्रतिबंध लगाए हैं।
वॉशिंगटन, अगस्त 18: भारत की रूस और अमेरिका को लेकर विदेश नीति पर व्हाइट हाउस का बड़ा बयान आया है और व्हाइट हाउस के प्रवक्ता ने भारत के रूस के साथ संबंधों को लेकर कहा है, कि मॉस्को के साथ दिल्ली का दशकों पुराना संबंध रहा है और भारत की विदेश नीति अमेरिका उन्मुख होना लाइट का स्विच बदलने जैसा नहीं है, बल्कि ये एक दीर्घकालिक प्रस्ताव होने जा रहा है।
भारत-रूस रिश्ते पर बोला अमेरिका
भारत के रूसी तेल और उर्वरकों के आयात में वृद्धि और संभावित रूप से रूसी वायु रक्षा प्रणालियों को खरीदने के बारे में पूछे जाने पर अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता नेड प्राइस ने कहा कि, "यह मेरे लिए किसी अन्य देश की विदेश नीति के बारे में बात करने के लिए नहीं है।" नेड प्राइस ने आगे कहा कि, "लेकिन मैं जो कर सकता हूं, वह यह है कि हमने भारत से क्या सुना है। हमने दुनिया भर के देशों को स्पष्ट रूप से बोलते देखा है, जिसमें यूक्रेन में रूस की आक्रामकता के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र महासभा में उनके वोट भी शामिल हैं। लेकिन, जैसा कि मैंने अभी कहा है, कि हमारा ये भी मानना है और हम इस बात को पहचानते हैं, कि यह एक लाइट के स्विच को दबाने जैसा नहीं है।' उन्होंने बुधवार को संवाददाता सम्मेलन में कहा कि, "यह कुछ ऐसा है, खासकर उन देशों के लिए जिनके रूस के साथ ऐतिहासिक संबंध रहे हैं, जैसा कि भारत के साथ मामला है, कि उनका रूस के साथ दशकों पुराना संबंध रहा है, लिहाजा भारत की अमेरिका उन्मुख विदेश नीति होना एक दीर्घकालिक प्रस्ताव होने जा रहा है।'
भारत ने नहीं की है रूस की आलोचना
आपको बता दें कि, 24 फरवरी को यूक्रेन पर रूसी आक्रमण के बाद अब तक भारत ने रूस की आलोचना नहीं की है, जबकि अमेरिका समेत दर्जनों पश्चिमी देशों ने रूस पर भारी प्रतिबंध लगाए हैं। भारत ने पश्चिम की आलोचना के बावजूद यूक्रेन युद्ध के बाद रूस से तेल आयात बढ़ाया है और व्यापार के लिए मास्को के साथ जुड़ना जारी रखा है। मई में रूस ने इराक के बाद भारत का दूसरा सबसे बड़ा तेल आपूर्तिकर्ता बनने के लिए सऊदी अरब को पछाड़ दिया और रूस ने भारतीय कंपनियों के लिए अपने दरवाजे भी खोल दिए हैं। वहीं, भारतीय रिफाइनर ने मई में करीब 2.5 करोड़ बैरल रूसी तेल खरीदा है। वहीं, मंगलवार को भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि, नई दिल्ली रूसी तेल खरीदने पर अपने रुख के बारे में रक्षात्मक मुद्रा में नहीं रही है, लेकिन अमेरिका और अन्य लोगों को यह एहसास कराया है, कि हर सरकार का यह "नैतिक कर्तव्य" है, कि वो यह सुनिश्चित करे कि वो अपने लोगों के लिए "सर्वश्रेष्ठ सौदा" करे।
ट्रंप प्रशासन की चेतावनी की भी अनदेखी
आपको बता दें कि, अक्टूबर 2018 में भारत ने तत्कालीन ट्रम्प प्रशासन की चेतावनी के बावजूद कि, कि अगर भारत ने एस-400 मिसाइल सिस्टम खरीदने के लिए रूस के साथ करार किया, तो भारत पर प्रतिबंध लगा दिया जाएगा, उसके बाद भी भारत ने रूस के साथ एस -400 वायु रक्षा मिसाइल प्रणालियों की पांच इकाइयों को खरीदने के लिए रूस के साथ 5 अरब अमरीकी डालर के समझौते पर हस्ताक्षर किया था और बाइडेन प्रशासन की चेतावनी के बाद भी भारत ने एस-400 मिसाइल सिस्टम की डिलीवरी रूस से ली थी। S-400 को रूस की सबसे उन्नत लंबी दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल रक्षा प्रणाली के रूप में जाना जाता है। रूस से एस-400 मिसाइल रक्षा प्रणालियों के एक बैच की खरीद के लिए अमेरिका पहले ही काउंटरिंग अमेरिकाज एडवर्सरीज थ्रू सेंक्शंस एक्ट (सीएएटीएसए) के तहत तुर्की पर प्रतिबंध लगा चुका है। हालांकि, पिछले दिनों अमेरिकी हाउस ऑफ रिप्रजेंटेटिव में एक बिल पास किया गया, जिसमें कहा गया कि भारत पर प्रतिबंध नहीं लगाया जाएगा।
|
रूस में भारतीय सैनिक करेंगे युद्धाभ्यास
वहीं, अमेरिका ने यूक्रेन युद्ध के बीच रूस में भारतीय सैनिकों के युद्धाभ्यास को लेकर भी बयान दिया है। आपको बता दें कि, भारतीय सेना के साथ साथ चीन की सेना भी रूसी सैनिकों के साथ युद्धाभ्यास करने वाली है। जिसको लेकर अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि, 'ये पूरी तरह से उनका अधिकार है, कि वो इस संबंध में क्या फैसला लेते हैं। लेकिन, मैं आपका ध्यान इस तरफ भी दिलाना चाहूंगा, कि वहां सैन्य अभ्यास करने वाले ज्यादातर देश संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ एक विस्तृत श्रृंखला में भाग लेते हैं।' आपको बता दें कि, सबसे ज्यादा युद्धाभ्यास भारत और अमेरिकी सैनिकों के बीच ही होता है और अगले कुछ दिनों में पूर्वी लद्दाख में भी भारत और अमेरिकी सैनिकों के बीच युद्धाभ्यास होने वाला है। वहीं, नेड प्राइस ने कहा कि, भारतीय सैनिकों के युद्धाभ्यास में अमेरिका कुछ ऐसा नहीं देख रहा है। हालांकि, अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने इस मौके पर चीन का भी जिक्र किया और कहा कि, महत्वपूर्ण प्वाइंट ये है, कि हमने पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना और रूस के बीच सुरक्षा क्षेत्र में भी संबंधों को बनते देखा है, जैसे उदाहरण के तौर पर हमने रूस और ईरान के बीच बढ़ते संबंधों को देखा है और हमने इसे सार्वजनिक किया है।
Pentagon: जानिए क्या है पेंटागन, जहां भारत को मिली बेरोकटोक एंट्री का अधिकार, क्या हैं इसके मायने?