पीएम मोदी के अमेरिकी दौरे के बाद भारत को मिला खतरनाक गार्जियन ड्रोन खरीदने का लाइसेंस
वॉशिंगटन। अमेरिकी विदेश विभाग ने भारत के लिए 22 गार्जियन ड्रोन की खरीदे के लिए जरूरी लाइसेंस को जारी कर दिया है। ट्रंप प्रशासन के सूत्रों की ओर से यह जानकारी दी गई है। पिछले हफ्ते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच मुलाकात हुई थी। इस मुलाकात के एक हफ्ते बाद ही ड्रोन के लिए लाइसेंस की मंजूरी मिलना एक अहम कदम माना जा रहा है। इन ड्रोन की खरीद को मंजूरी भी पीएम मोदी के अमेरिकी दौरे से ठीक पहले दी गई थी।
भारत खरीदेगा 22 ड्रोन
व्हाइट हाउस सूत्रों के हवाले से पीटीआई ने लिखा है कि विदेश विभाग की ओर से भारत के लिए डीसपी-5 गार्जियन ड्रोन के निर्यात को लाइसेंस मिल गया है। डीएसपी-5 कैटेगरी का लाइसेंस, मिलिट्री हार्डवेयर के लिए एक जरूरी अमेरिकी लाइसेंस होता है। भारत अब अमेरिका से नेवी के लिए तैयार इन ड्रोन को खरीदेगा।गार्डियन ड्रोन की डील पर अभी अमेरिकी कांग्रेस की मंजूरी बाकी है। कैलिफोर्निया की जनरल एटॉमिक्स गार्डियन ड्रोन को तैयार करती है। इस कंपनी ने इस जानकारी पर किसी भी तरह की टिप्पणी करने से साफ इनकार कर दिया है। भारत को अमेरिका से 22 ड्रोन चाहिए और इस डील को भारत और अमेरिका के रक्षा संबंधों के लिए काफी अहम माना जा रहा है। इंडियन नेवी को इन ड्रोन की जरूरत है क्योंकि वह हिंद महासागर पर सर्विलांस को बढ़ाना चाहती है। ये ड्रोन उसके लिए काफी मददगार साबित होंगे। भारत पहला ऐसा गैर-नाटो देश होगा जो इस तरह की किसी डील का हिस्सा बनेगा और उसे ये ड्रोन हासिल हो सकेंगे।
दो से तीन बिलियन डॉलर की डील
यह डील दो बिलियन से तीन बिलियन डॉलर के बीच मानी जा रही है। सूत्रों के मुताबिक अमेरिकी विदेश विभाग की ओर से इस डील को मंजूरी मिल गई है। भारत सरकार को भी ड्रोन तैयार करने वाली कंपनी और विदेश विभाग की ओर से बुधवार को डील को मंजूरी मिलने के बारे में जानकारी दे दी गई है। सूत्रों की मानें तो इस डील को मंजूरी मिलना एक इशारा है कि ट्रंप प्रशासन, भारत के साथ रिश्तों को ओबामा प्रशासन की तुलना में ज्यादा मजबूत और नतीजे देने वाला बना चाहता है। इन ड्रोन को भारत-अमेरिका के संबंधों में एक गेम चेंजर माना जा रहा है। आपको बता दें कि पिछले वर्ष जब पीएम मोदी, पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा से मिलने पहुंचे थे तो उस समय अमेरिका ने भारत को सबसे बड़े डिफेंस पार्टनर का दर्जा दिया था।