नॉर्थ कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन से मुलाकात करेंगे अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप लेकिन एक शर्त पर
अमेरिका की ओर से यह ऐलान होने के बाद कि मई में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और नॉर्थ कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन मई में मुलाकात करेंगे। ट्रंप ने कहा है कि वह तभी किम जोंग से मुलाकात करेंगे जब वह यह साबित करें कि नॉर्थ कोरिया ने परमाणु हथियारों को रोकने के लिए ठोस और प्रभावी कदम उठाए हैं।
वॉशिंगटन। अमेरिका की ओर से यह ऐलान होने के बाद कि मई में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और नॉर्थ कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन मई में मुलाकात करेंगे। लेकिन अब इस ऐलान में एक नया टर्न आ गया है और अब इस मुलाकात के लिए ट्रंप ने एक शर्त रख दी है। ट्रंप ने कहा है कि वह तभी किम जोंग से मुलाकात करेंगे जब वह यह साबित करें कि नॉर्थ कोरिया ने परमाणु हथियारों को रोकने के लिए ठोस और प्रभावी कदम उठाए हैं। शुक्रवार को खबर आई थी कि मई में ट्रंप ओर नॉर्थ कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन मई में मिल सकते हैं।
नॉर्थ
कोरिया
की
कार्रवाई
का
इंतजार
व्हाइट
हाउस
की
प्रेस
सेक्रेटरी
सारा
हुकाबे
सैंडर्स
ने
मीडिया
का
जानकारी
दी,
'मैं
आपको
यह
साफ
कर
देना
चाहती
हूं
कि
अमेरिका
ने
किसी
भी
तरह
की
कोई
ढील
नहीं
दी
है।
हमें
अभी
ठोस
और
प्रभावी
कार्रवाई
देखनी
है।'
साउथ
कोरिया
के
राष्ट्रीय
सुरक्षा
सलाहकार
चुंग
ईयूई
योंग
ने
गुरुवार
को
जानकारी
दी
थी
कि
नॉर्थ
कोरिया
के
नेता
किम
जोंग
उन
इस
बात
पर
सहमत
हो
गए
हैं
कि
नॉर्थ
कोरिया
किसी
भी
परमाणु
मिसाइल
का
परीक्षण
नहीं
करेगा।
इसके
साथ
ही
उन्होंने
दावा
किया
कि
राष्ट्रपति
ट्रंप
ने
किम
की
ओर
से
आए
आमंत्रण
को
स्वीकार
कर
लिया
है
और
दोनों
नेता
मई
में
मुलाकात
करेंगे।
ट्रंप
और
किम
जोंग
उन
की
मुलाकात
के
ऐलान
ने
व्हाइट
हाउस
को
भी
हैरान
कर
दिया
था।
व्हाइट
हाउस
की
मानें
तो
यह
बिल्कुल
ही
पूर्वनियोजित
नहीं
था
और
अचानक
हुए
इस
ऐलान
से
सब
सकते
में
थे।
साउथ
कोरिया
के
नेता
गए
थे
व्हाइट
हाउस
साउथ
कोरिया
के
डेलीगेशन
से
एक
सीनियर
ऑफिसर
ने
नॉर्थ
कोरिया
के
साथ
हुई
बातचीत
के
बारे
में
अमेरिकी
अधिकारियों
को
जानकारी
देने
के
लिए
व्हाइट
हाउस
का
दौरा
किया
था।
साउथ
कोरिया
के
नेशनल
सिक्योरिटी
एडवाइजर
चुंग
इयूई
योंग
ने
भी
बताया
है
कि
ट्रंप
ने
मई
में
उन
से
मुलाकात
पर
रजामंदी
जाहिर
की
है।
आपको
बता
दें
कि
अभी
तक
किसी
भी
अमेरिकी
राष्ट्रपति
ने
नॉर्थ
कोरिया
के
किसी
नेता
से
मुलाकात
नहीं
की
है
और
दोनों
देशों
के
बीच
किसी
तरह
के
कोई
राजनयिक
रिश्ते
नहीं
हैं।
साल
1950-1953
में
जब
कोरियन
वॉर
खत्म
हुआ
था
और
यही
युद्ध
अमेरिका
और
नॉर्थ
कोरिया
के
बीच
युद्ध
की
स्थिति
की
सबसे
बड़ी
वजह
बना।
चुंग
ने
बताया
कि
अमेरिकी
मांग
को
मानते
हुए
नॉर्थ
कोरिया
ने
फैसला
किया
है
कि
वह
परमाणु
और
मिसाइल
टेस्ट
नहीं
करेगा।