जो बाइडेन ने पीएम मोदी को राजकीय यात्रा पर किया आमंत्रित, अमेरिकी संसद को कर सकते हैं संबोधित
अमेरिका और भारत आपस में रणनीतिक और सैन्य साझेदारी साझा करते हैं। इसके लिए अलावा इंडो-पैसिफिक को लेकर दोनों देश क्वाड में शामिल है, जिसका मुख्य मकसद अलिखित तौर पर चीन को काउंटर करना है।
Biden Invited PM Modi: सूत्रों के हवाले से ऐसी खबर है, कि अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को इस साल गर्मी के महीने में राजकीय यात्रा पर अमेरिका आमंत्रित किया है। पीटीआई ने अपनी रिपोर्ट में कहा है, कि पीएम मोदी को अमेरिका आने का आमंत्रण मिलने की रिपोर्ट है। पीटीआई ने कहा है, कि बाइडेन के आमंत्रण को सैद्धांतिक तौर पर स्वीकार कर लिया गया है और अब देशों देशों के अधिकारी पारस्परिक तौर पर सुविधाजनक तारीखों पर काम कर रहे हैं और कई सूत्रों ने बताया है, कि पीएम मोदी की संभावित यात्रा को लेकर फिलहाल सारी प्लानिंग प्रारंभिक चरण में है।
पीएम मोदी जा सकते हैं अमेरिका
भारत इस साल कई अंतर्राष्ट्रीय कार्यक्रमों की मेजबानी कर रहा है, जिसमें सबसे अहम जी-20 शिखर सम्मेलन होने वाला है, जिसका आयोजन इस साल सितंबर में होगा, जिसमें कई वैश्विक नेताओं के अलावा अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन भी शामिल होंगे, लिहाजा पीटीआई ने अपनी रिपोर्ट में कहा है, कि दोनों देशों के अधिकारी जून या जुलाई महीने में किसी उपयुक्त तारीखों की तलाश कर रहे हैं, जो अमेरिका के दोनों सदन, हाउस ऑफ रिप्रजेंटेटिव और सीनेट, दोनों का सत्र चलता है। माना जा रहा है, कि उस वक्त प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी अंतर्राष्ट्रीय कार्यक्रमों या घरेलू कार्यक्रमों की वजह से व्यस्त नहीं हैं, लिहाजा पीएम मोदी का अमेरिका जाने का कार्यक्रम जून या जुलाई महीने में बन सकता है।
कैसा हो सकता है कार्यक्रम?
राजकीय यात्रा के लिए कम से कम कुछ दिनों की जरूरत होती है और किसी देश की राजकीय यात्रा काफी खास होती है, जिसमें कई कार्यक्रमों को शामिल किया जाता है। राजकीय यात्रा, किसी अन्य अंतर्राष्ट्रीय कार्यक्रम के लिए किसी देश की यात्रा करने से बिल्कुल अलग होती है, लिहाजा अगर पीएम मोदी का कार्यक्रम बनता है, तो उसमें कई स्पेशल कार्यक्रम होंगे। रिपोर्ट के मुताबिक, पीएम मोदी इस दौरान पीएम मोदी के कार्यक्रम में अमेरिकी संसद के संयुक्त सत्र को संबोधित करने के अलावा व्हाइट हाउस में रात्रिभोज का कार्यक्रम भी शामिल हो सकता है। रिपोर्ट के मुताबिक, अगस्त महीने के बाद पीएम मोदी जी-20 शिखर सम्मेलन के अलावा कई घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय कार्यक्रमों में व्यस्त रहने वाले हैं, लिहाजा सबसे उपयुक्त समय जून और जुलाई महीना ही है।
Recommended Video
संबंधों में मजबूती का प्रतीक
पीटीआई ने अपनी रिपोर्ट में कहा है, कि भारत सरकार के सूत्र ने अपने नाम का खुलासा नहीं करने का अनुरोध किया है, क्योंकि ऐसे मामले काफी संवेदनशील होते हैं और ज्यादातर अधिकारियों को ऐसे मुद्दों पर बात करने की इजाजत भी नहीं होती है। लिहाजा, अधिकारी ने इस बात का भी खुलासा नहीं किया, कि पीएम मोदी को यह निमंत्रण कब दिया गया था और किसने बाइडेन के व्यक्तिगत आमंत्रण को प्रधानमंत्री कार्यालय तक पहुंचाया। आपको बता दें, कि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने पिछले साल दिसंबर में अपने पहले राजकीय रात्रिभोज के लिए फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रॉन की मेजबानी की थी। इस बीच, एक वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी ने संवाददाताओं से कहा, कि बाइडेन का मानना है, कि भारत और अमेरिका के बीच साझेदारी, जो दुनिया की प्रमुख ज्ञान अर्थव्यवस्थाएं भी हैं, प्रमुख वैश्विक चुनौतियों का समाधान करने के लिए आवश्यक है।
भारत को काफी अहम मानता है अमेरिका
अमेरिका के वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी ने बताया, कि "राष्ट्रपति बाइडेन का मानना है, कि दुनिया की दो प्रमुख ज्ञान अर्थव्यवस्थाओं के रूप में, भारत और अमेरिका के बीच यह साझेदारी काफी आवश्यक है। उनका (बाइडेन) मानना है, कि आज दुनिया जिन बड़ी चुनौतियों का सामना कर रही है, उनमें से किसी भी बड़ी चुनौती से निपटने के लिए कोई भी सफल और स्थायी प्रयास नहीं किया जा रहा है, चाहे हम खाद्य या ऊर्जा या स्वास्थ्य सुरक्षा, जलवायु संकट, या एक मुक्त और खुले इंडो- पैसिफिक को बनाए रखने की बात कर रहे हों"। एक वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी ने वाशिंगटन में भारतीय पत्रकारों के एक समूह को बताया, कि इन सभी मुद्दो पर "अमेरिका-भारत साझेदारी के बिना काम हो, ये संभव नहीं है।" वहीं, प्रधानमंत्री मोदी ने पिछले साल टोक्यो में अमेरिका-भारत संबंध को विश्वास की साझेदारी और अच्छी वैश्विक शांति और स्थिरता के लिए एक ताकत के रूप में वर्णित किया था। वहीं, अमेरिकी अधिकारी ने कहा, कि "अमेरिका वास्तव में मानता है, कि वैश्विक शक्ति के रूप में भारत के उदय का समर्थन करना हमारे रणनीतिक हित में है। हम इसे क्वाड और जी-20 में भारत की अध्यक्षता दोनों में इसे देखते हैं। यह इस सुसंगत यूएस-इंडो पैसिफिक रणनीति की एक बड़ी दृष्टि का वर्णन करता है, जिसके लिए आवश्यक है कि अमेरिका और भारत दोनों एक साथ आएं और ऐसा करने के लिए लंबे समय से चली आ रही बाधाओं को दूर करें।
दोनों देशों के NSA की मुलाकात
इससे पहले मंगलवार को, भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत के डोभाल ने अपने अमेरिकी समकक्ष जेक सुलिवन के साथ क्रिटिकल एंड इमर्जिंग टेक्नोलॉजीज (आईसीईटी) पर भारत-अमेरिका पहल की शुरुआत की, जिसे दोनों पक्षों के अधिकारियों ने भारत के अमेरिका से द्विपक्षीय संबंधों में "अगली बड़ी बात" के रूप में वर्णित किया। अमेरिकी अधिकारियों ने कहा, कि "यहां जो हो रहा है, उसमें जियो-पॉलिटिक्स जरूर एक आयाम है, लेकिन ये पहल उससे कहीं ज्यादा महत्वपूर्ण है और बड़ा है। अमेरिका का मानना है, कि भारत के साथ हमारे संबंध न सिर्फ इस वजह से जरूरी हैं, कि दुनिया आज किस तरह की दिख रही है, बल्कि यह कार्यक्रम हमारे संबंधों के बीच अगला तार्किक मील का पत्थर है"। अधिकारियों ने कहा, कि "हम देखते हैं कि यहां जो हो रहा है, वह वास्तव में 2006 (भारत-अमेरिका असैन्य परमाणु समझौते का वर्ष) से भी बड़ा है।"
भारत में कम नहीं हुआ करप्शन, जानिए मोदी सरकार के कार्यकाल में कैसा रहा हाल? पाकिस्तान भी नहीं बदला