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अमरीकी चुनाव: डोनाल्ड ट्रंप की हिमायत करते पाकिस्तानी अमरीकी

अमरीका में रहने वाले पाकिस्तानी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नीतियों को पसंद करते हैं. क्या है इसकी वजह?

By विनीत खरे
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डोनाल्ड ट्रंप
EPA
डोनाल्ड ट्रंप

"मेरी बात ध्यान से सुनिए, अगर डोनाल्ड ट्रंप राष्ट्रपति चुनाव नहीं जीत पाते तो अमरीका में ध्रुवीकरण बढ़ जाएगा." ये कहना है पाकिस्तानी मूल के अमरीकी नागरिक शहाब क़रनी का.

शहाब एक रिटायर्ड बैंकर हैं जिनसे मेरी मुलाक़ात वॉशिंगटन से क़रीब 40 मील दूर मेरीलैंड के बाल्टिमोर में हुई थी.

वो कहते हैं, "अगर आप एक अमरीकी नागरिक के तौर पर राष्ट्रपति ट्रंप की बातें सुनेंगे तो आप उन्हें पसंद करेंगे. लेकिन अगर आपके दिमाग में भारत या पाकिस्तान की बात चल रही है तो आपको उनकी बातें बुरी लगेंगी और आप उनसे नफ़रत करने लगेंगे."

शहाब रिपब्लिकन पार्टी से जुड़े हैं और मानते हैं कि ट्रंप एक बार फिर अमरीका को एक महान देश बनाएंगे.

साल 1988 में शहाब अमरीका की सरज़मीन पर उतरे थे. उन्होंने अपनी ज़िंदगी यहीं पर शुरू की थी.

माना जा रहा है कि अमरीका में क़रीब 10 लाख पाकिस्तानी अमरीकी बसते हैं. पर्यवेक्षकों का मानना है कि शिकागो, न्यूयॉर्क, ह्यूस्टन, ग्रेटर वॉशिंगटन और लॉस एंजेलिस में ये उतनी बड़ी संख्या में हैं कि चुनावों को प्रभावित कर सकते हैं.

माना जा रहा है कि नवंबर की तीन तारीख़ को होने वाले अमरीकी राष्ट्रपति चुनावों के लिए अधिकतर पाकिस्तानी अमरीकी डेमोक्रेटिक पार्टी के उम्मीदवार जो बाइडेन और कमला हैरिस का समर्थन कर सकते हैं. लेकिन इन बातों से ट्रंप समर्थक शहाब अधिक प्रभावित नहीं हैं.

वो कहते हैं, "मैं एक अमरीकी नागरिक की तरह सोचता हूं. लेकिन अगर हम भारत, पाकिस्तान, फ़लस्तीन, कश्मीर के बारे में सोचेंगे तो उससे अलग मुद्दे पैदा हो जाएंगे."

शहाब मानते हैं कि रिपब्लिकन पार्टी में ट्रंप ताज़ा हवा का झोंका लेकर आए हैं. वो कहते हैं, "वो रिपब्लिकन पार्टी के अन्य पारंपरिक नेताओं की तरह नहीं हैं. उनके पास अर्थव्यवस्था और अंतरराष्ट्रीय संबंधों को लेकर अच्छे विचार हैं."

स्थानीय लोगों का कहना है कि चुनावी माहौल में पाकिस्तानी अमरीकी समुदाय में ट्रंप समर्थक की तलाश करना मुश्किल काम है.

राष्ट्रपति ट्रंप के आलोचक उन्हें 'नस्लवादी', 'झूठा' और 'विभाजनकारी' कहते हैं जो स्पष्ट तौर पर गोरे लोगों को बेहतर समझने वाली मानसिकता (व्हाइट सुप्रीमेसिस्ट) का समर्थन करते हैं.

मुसलमान समुदाय में कई लोग उनके इसराइल के समर्थन, मुसलमान देशों से प्रवासियों के आने पर रोक लगाने और अप्रवासन से जुड़ी पाबंदियों के कारण उनका समर्थन नहीं करते.

कोरोना वायरस महामारी को रोकने में नाकाम होने का आरोप भी कई लोग ट्रंप पर लगाते हैं. अब तक अमरीका में कोरोना के कारण 1.89 लाख लोगों की मौतें हो चुकी हैं. उनका काम करने का तरीका और शब्दों के इस्तेमाल का उनका तरीका भी कई लोगों को पसंद नहीं है.

शहाब क़रनी
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शहाब क़रनी

तो फिर ट्रंप का समर्थन क्यों कर रहे हैं लोग?

इसका कारण ये है कि पाकिस्तानी अमरीकी समुदाय में जो लोग ट्रंप का समर्थन करते हैं उनका मानना है कि वो अमरीका और पाकिस्तान के लिए बेहतर साबित होंगे.

कमला हैरिस के भारत के साथ संबंध होने की बात ने भी कई लोगों को बाइडेन का समर्थन न करने का फ़ैसला लेने के लिए प्रेरित किया है.

फ्रेडेरिक एस पार्दी स्कूल ऑफ़ ग्लोबल स्टडीज़ के डीन प्रोफ़ेसर आदिल नजाम का कहना है कि पारंपरिक तौर पर पाकिस्तानी अमरीकी समुदाय के लोग रिपब्लिकन पार्टी का समर्थन करते रहे हैं क्योंकि उन्हें लगता था कि पाकिस्तान के लिए रिपब्लिकन ही ठीक हैं.

वो करों में सुधार, पारिवरिक मूल्यों को बढ़ावा देने और राजकोष में सुधार और सामाजिक रूढ़िवाद में बदलाव के उनके मूल्यों को पसंद करते थे.

प्रोफ़ेसर नजाम कहते हैं कि 9/11 के हमलों के बाद इस समुदाय के अधिकतर लोगों ने रिपब्लिकन पार्टी का समर्थन करना छोड़ दिया और डेमोक्रेटिक पार्टी के खेमे में आ गए.

वो कहते हैं, "इसके बाद मुसलमान होने की उनकी पहचान उनके लिए अहम हो गई थी."

प्रोफ़ेसर आदिल नजाम
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प्रोफ़ेसर आदिल नजाम

'ट्रंप मुसलमान विरोधी नहीं'

साल 2015 में राष्ट्रपति पद से उम्मीदवार के तौर पर ट्रंप ने मुसलमानों के अमरीका आने पर पूरी तरह रोक लगाने की बात की थी.

दो साल बाद बतौर राष्ट्रपति उन्होंने छह मुस्लिम देशों से अमरीका आने वाले लोगों पर रोक लगा दी.

ट्रंप का कहना था कि आतंकवाद के ख़तरे को कम करने के लिए इस तरह के कड़े कदम उठाना ज़रूरी था.

लेकिन उनके इस कदम के कई परिवार अलग हो गए और उन्हें 'मुसलमान विरोधी' कहा जाने लगा.

लेकिन केन्टुकी के डैनविल में इंटर्नल मेडिसिन डॉक्टर के तौर पर काम करने वाले डॉक्टर फ़तेह शहज़ाद ट्रंप समर्थक हैं और इस बात से बिल्कुल इत्तेफ़ाक नहीं रखते.

शहज़ाद साल 1994 में पाकिस्तान से आकर अमरीका में बसे थे. वो कहते हैं, "ट्रंप का ये मानना था कि सीरिया जैसे कुछ मुसलमान देशों से अमरीका आने वाले लोग यहां मुश्किलें पैदा कर सकते हैं. ये पहले भी हो चुका है जब मुसलमान प्रवासियों ने यहां के लिए मुश्किलें बढ़ाई हैं."

वो कहते हैं, "वो बैन इसलिए था ताकि बाहर से आने वाले शरणार्थियों को पूरी जांच के बाद अमरीका में प्रवेश की इजाज़त दी जाए. लेकिन इससे उनकी ऐसी छवि बनी जैसे कि वो मुसलमान विरोधी हैं, लेकिन असल में ऐसा नहीं था."

शहाब क़रनी संयुक्त अरब अमीरात और इसराइल के बीच रिश्ते सामान्य करने में ट्रंप की भूमिका का ज़िक्र करते हैं.

वो कहते हैं, "संयुक्त अरब अमीरात भी तो एक मुसलमान देश है. ये वही मुसलमान देश है जिसने कुछ महीनों पहले मोदी जी का भी स्वागत किया था. दुनिया बदल रही है और आपको समझना होगा कि राष्ट्रपति ट्रंप भी बदल रहे हैं."

'पाकिस्तान के लिए बेहतर हैं ट्रंप'

डॉक्टर फ़तेह शहज़ाद मानते हैं कि पाकिस्तान के लिए ट्रंप की नीतियां अब तक बेहतर रही हैं. वो कहते हैं, "ट्रंप की नतियों के कारण पाकिस्तान में सुरक्षा की स्थिति काफी बेहतर हुई है."

"बीते तीन साल में पाकिस्तान में क़ानून व्यवस्था की स्थिति में बड़ा सुधार हुआ है. बम हमलों को रोका गया है. अफ़ग़ानिस्तान में पाकिस्तान की भूमिका अब बेहतर हो गई है और इस कारण अफ़ग़ानिस्तान की ज़मीन से हो रहे चरमपंथी गतिविधियों में भी कमी आई है."

"ट्रंप और रिपब्लिकन पार्टी की नीति वहां सैनिकों की मौजूदगी कम करने और स्थानीय लोगों को सत्ता सौंपने की रही है. इसमें ट्रंप की भूमिका सकारात्मक रही है."

एक भावना यह भी है कि कश्मीर के ट्रंप जो कर सकते थे वो उन्होंने किया.

डॉक्टर शहज़ाद कहते हैं, "इस मुद्दे पर ट्रंप ने मध्यस्थता करने की इच्छा जताई, लेकिन यह तभी हो सकता था जब इसके लिए भारत और पाकिस्तान दोनों सहमत हों. पर भारत ने इसके लिए मना कर दिया. ऐसे में उनके लिए बहुत कुछ करने को नहीं था."

डॉक्टर फ़तेह शहज़ाद
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डॉक्टर फ़तेह शहज़ाद

प्रोफ़ेसर आदल नजाम कहते हैं कि ट्रंप पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान ख़ान और भारतीय प्रधानमंत्री मोदी के भी क़रीबी माने जाते हैं. हालांकि वो कहते हैं, "हाउडी मोदी कार्यक्रम और उनकी भारत यात्रा ने ये संदेश दिया है कि मोदी और ट्रंप के समीकरण एक अलग ही स्तर पर हैं."

ट्रंप के समर्थक समझते हैं कि चीन पर दबाव बनाने के लिए अमरीका को भारत की ज़रूरत हमेशा रहेगी.

'अप्रवासन को लेकर ट्रंप की आलोचना बेमानी'

आप्रवासन को लेकर ट्रंप की नीतियों की कड़ी आलोचना होती रही है.

कोरोना महामारी के दौरान आप्रवासन को लेकर उनकी नीतियों की जमकर आलोचना की गई लेकिन जो लोग इस मुश्किल दौर में आप्रवासन बंद करने के पक्ष में थे उन्होंने उनका समर्थन किया.

ट्रंप समर्थक क़रनी कहते हैं कि "आप्रवासन का मतलब अपनी सीमाओं को पूरी तरह खोलना नहीं है."

वो कहते हैं, "जब हम दीवार की बात की तो ये दीवार भारत और पाकिस्तान के मुसलमानों के लिए नहीं थी. क्या भारत और पाकिस्तान के बीच सीमाएं खुली हैं और क्या कोई भी प्रवेश कर सकता है? लोगों की जांच करने के लिए एक प्रोटोकॉल होना चाहिए. इसी बारे में वो बात कर रहे थे."

'कोरोना के मामले में ट्रंप के हाथ बंधे थे'

कोरोना वायरस संक्रमण के मामेल में दुनिया में सबसे अधिक प्रभावित देश अमरीका है और यहां स्थिति सुधने के आसार फिलहाल नहीं दिखते. लेकिन ट्रंप समर्थक कहते हैं कि इस स्थिति के लिए अकेले ट्रंप को ज़िम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता.

रेटिना सर्जन डॉक्टर गौहर सलाम कहते हैं, "कोविड-19 जितना बड़ा ख़तरा था उस पर काबू लगाने का कोई तय तरीका नहीं था."

1992 में कराची से अमरीका आए गौहर इंडियाना में अपनी प्रैक्टिस करते हैं. वो कहते हैं, "हमें लॉकडाउन लगाने की ज़रूरत थी, सभी दफ़्तर और दुकानें बंद करनी थीं और लौगों से फेसमास्क पहनने के लिए कहना चाहिए था. ऐसा लगता है कि उन्होंने कोविड-19 की तरफ कोई ध्यान नहीं दिया, लेकिन उनके हाथ बंधे हुए थे."

वो कहते हैं, "सभी राज्यों के अपने नियम और क़ानून हैं और उनको लागू करने का अधिकार गवर्नर को होता है. चीन की तरह यहां लॉकडाउन लागू करने की शक्ति राष्ट्रपति के पास नहीं है. हर बात के लिए ट्रंप को दोष देना उचित नहीं है."

"लोगों ने कोरोना से जुड़े नियमों का पालन नहीं किया और ढील दी. कई लोग मास्क पहनना पसंद नहीं कर रहे हैं. मेरे पास आने कई लोगों का कहना है कि अगर इसका टीका आया भी तो वो नहीं लगाएंगे. अगर ट्रंप ने सार्वजनिक तौर पर मास्क पहना होता तो इसका सकारात्मक प्रभाव ज़रूर पड़ता. उन्हें सार्वजनिक रूप से फेसमास्क पहनना चाहिए."

डॉक्टर गौहर सलाम
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डॉक्टर गौहर सलाम

कमला हैरिस कितनों की पसंद

कमला हैरिस की मां का जन्म भारत में हुआ था और कई पाकिस्तानी अमरीकियों के लिए उनका समर्थन न करने की ये अहम वजह है.

डॉक्टर गौहर सलाम कहते हैं, "अगर बाइडन चुने गए तको 78 साल की उम्र में वो देश के सबसे बुज़र्ग राष्ट्रपति होंगे. ऐसे में कमला हैरिस युवा हैं और वो अधिक शक्तिशाली उप राष्ट्रपति बनेंगी."

ऐसा डर जताया जा रहा है कि कमला हैरिस के शक्तिशाली स्थिति में होने का असर कश्मीर और पाकिस्तान पर अमरीकी नीति पर पड़ेगा.

पाकिस्तानी अमरीकी पॉलिटिकल एक्शन कमिटी के डॉक्टर राव कामरान कमला हैरिस उप राष्ट्रपति पद की दावेदार जैसी लगतीं.

वो कहते हैं, "हम बाइडन के पक्ष में वोट करेंगे लेकिन इस बात से कोई इनकार नहीं कर सकता कि ट्रंप ने कई अच्छी चीज़ें की हैं."

ट्रंप समर्थक कहते हैं वो नस्लभेदी नहीं हैं और पाकिस्तानी अमरीकी समुदाय के लोगों को आंख बंद कर के डेमोक्रेटिक नेताओं का समर्थन नहीं करना चाहिए.

एक समर्थक का कहना है कि, "आपको अपने सभी मौक़े एक तरफ नहीं रखने चाहिए."

वो कहते हैं कि उन्हें कुछ शहरों में हुई दंगों और लूटपाट और उसे लेकर डेमोक्रेटिक पार्टी की प्रतिक्रिया पर आश्चर्य है. वो सवाल उठाते हैं कि इन प्रदर्शनकारियों को कौन आर्थिक मदद दे रहा है.

डॉक्टर राव कामरान
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डॉक्टर राव कामरान

क़रनी कहते हैं, "ऐसी कई ताक़तें हैं जो लोगों का ध्रुवीकरण करना चाहती हैं."

डॉक्टर सलाम कहते हैं, "समाजवाद की बात करना अच्छी बात है लेकिन हमारे सामने ऐसे समाजवादी देशों के उदाहरण हैं जो अब लड़खड़ा रहे हैं. सभी के लिए मेडिकेयर की बात करना और स्टाइपेंड देने की बात करना अच्छी बात है लेकिन लोग ये नहीं सोच रहे कि इसके लिए संसाधन कहां से आएंगे? और संसाधन तभी आएगा जब अर्थव्यवस्था अच्छा परफॉर्म करेगी."

डॉक्टर क़रनी कहते हैं, "जहां शहरों में डेमोक्रेटिक पार्टी की सरकारें हैं वहां स्थिति बदहाल है और सरकारों की ज़िम्मेदारी नहीं है."

ट्रंप समर्थक अक्सर अपनी राजनीतिक पसंद को लेकर अपने ही समुदाय में आलोचना का सामना करते हैं.

डॉक्टर शहज़ाद कहते हैं कि उन्हें भी इसके लिए कई बार ताने सुनाए जाते हैं. वो कहते हैं, "लोग कहते हैं आपका दिमाग़ ख़राब हो गया है, तुम बदल गए हो, तुम पाकिस्तान के बारे में नहीं सोच रहे."

प्रोफ़ेसर आदिल नजाम कहते हैं, "ट्रंप को वोट देने वाले पाकिस्तानियों की संख्या ट्रंप के लिए वोट देने की बात करने वाले पाकिस्तानियों की संख्या से अधिक है."

डॉक्टर शहज़ाद कहते हैं, "मैं आलोचकों से कहता हूं कि मुझे चुनने के लिए बेहतर विकल्प दें. ट्रंप की नीतियां पाकिस्तान के लिए अच्छी हैं. वहां शांति है. उन्होंने पाकिस्तान पर किसी तरह का प्रतिबंध नहीं लगाया है. वहां वित्तीय और सैन्य समन्वय है. अमरीकी दूतावास यूएसएड के ज़रिए आर्थिक और तकनीकी सहयोग दे कर पाकिस्तान के किसानों की मदद कर रहा है."

"छात्रों को आगे की पढ़ाई के लिए छात्रवृत्ति दी जा रही है. अमरीकी यूनिवर्सिटी में पाकिस्तान से हज़ारों छात्र आ कर पढ़ाई कर रहे हैं. अमरीका में रहने वाले पाकिस्तानियों के लिए उनकी नीतियां वाकई अच्छी है."

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English summary
US Election: Pakistani Americans Supporting Donald Trump
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