क्या हुआ जब चंद्रमा की सतह से टकराया 'चाइनीज रॉकेट' का मलबा? क्रैश के बारे में सबकुछ जानिए
वॉशिंगटन, 6 मार्च: चांद से जिस रॉकेट के मलबे के टकराने की आशंकाएं पिछले कई दिनों से चल रही थीं, आखिरकार क्रैश लैंडिंग की घटना हो चुकी है और अनुमानों के मुताबिक चांद की सतह पर इसका काफी प्रभाव भी पड़ा है। हालांकि, वैज्ञानिक अभी भी इस क्रैश लैंडिंग की पूरी तहकीकात करने में जुटे हुए हैं और उनके सामने एक नई चुनौती ये भी पैदा हुई है कि आखिर ये मानव-निर्मित मलबा था किसका। क्योंकि, चीन ने फिलहाल इसके अपने रॉकेट का हिस्सा होने से इनकार किया है। इसलिए जबतक चांद से टकराए कचरे की विस्तृत जांच नहीं होती, कुछ रहस्य गहराया ही रहेगा।
चांद की सतह पर गिरा रॉकेट का कचरा
सात वर्षों तक अंतरिक्ष में चक्कर काटने के बाद मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक आखिरकार कथित 'चाइनीज रॉकेट' का तीन टन वाला मलबा शुक्रवार को चांद की सतह से टकरा गया। स्पेस डॉट कॉम ने विशेषज्ञों के हवाले से बताया है कि यह घटना चांद की दूर वाली सतह पर शुक्रवार को सुबह 7 बजकर 25 मिनट (ईस्टर्न स्टैंडर्ड टाइम) पर घटी। इसके चलते अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा का लूनर टोही ऑर्बिटर क्रैश करने की घटना को अपने कैमरे में कैद नहीं कर पाया।
क्रैश से पहले और बाद की तस्वीरों की स्टडी ही आधार
लूनर टोही ऑर्बिटर मिशन के डिप्टी प्रोजेक्ट साइंटिस्ट ने एक ईमेल बयान में कहा इस क्रैश के बारे में पहले कहा था कि 'हमें निश्चित रूप से इसके प्रभाव से हुए गड्ढे खोजने में रुचि है और आने वाले हफ्तों और महीनों में ऐसा करने की कोशिश करेंगे।' उनके मुताबिक, 'जब यह होगा तब हम उस जगह के पास नहीं होंगे, और इसलिए हम इसे सीधे नहीं देख पाएंगे। ऑर्बिटर में नैरो एंगल कैमरों में गड्ढों का पता लगाने के लिए पर्याप्त रिजॉल्यूशन होता है, लेकिन चांद की सतह नए प्रभाव वाले गड्ढों से भरा है। इसलिए सकारात्मक पहचान (गड्ढों की) समान प्रकाश व्यवस्था की स्थिति में पहले और बाद की तस्वीरों (जिससे नए गड्ढों की पहचान की जा सकती है)पर आधारित होती है।'
एक खगोल वैज्ञानिक का दावा था कि मलबा चीनी रॉकेट का है
चांद की सतह की ओर तेजी से गिर रहे रॉकेट के मलबे की सूचना सबसे पहले प्लूटो प्रोजेक्ट से जुड़े खगोल वैज्ञानिक बिल ग्रे ने दी थी। अपने ब्लॉगपोस्ट में उन्होंने पहले दावा किया था कि यह मलबा अरबपति कारोबारी एलन मस्क के स्पेसएक्स के फाल्कन-9 रॉकेट का है। लेकिन, बाद में उन्होंने अनुमान जताया कि यह एक चाइनीज रॉकेट का बचा हुआ हिस्सा है। इसके बारे में बताया गया कि यह चीन के चंद्रमा मिशन के चांग-ई 5-टी1 से जुड़ा है। हालांकि, चीन के विदेश मंत्रालय ने इन दावों का खंडन किया था और इसे अपने रॉकेट का कचरा होने के दावों से इनकार दिया था।
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रॉकेट का मलबा गिरने से चांद पर 65 फीट चौड़ा गड्ढा बना-रिपोर्ट
ताजा जानकारी के मुताबिक रिपोर्ट है कि रॉकेट का मलबा गिरने की वजह से चंद्रमा की सतह पर 65 फीट चौड़ा गड्ढा बन गया है। अमेरिकी वैज्ञानिकों ने पहले ही नए गड्ढे के चांद पर पहले से प्राकृतिक रूप से मौजूद 570 किलोमीटर चौड़े गड्ढे हर्ट्जस्प्रंग के पास ही निर्मित होने की बात कही थी। हालांकि, चांद की सतह पर इसका और क्या कुछ असर पड़ा है, इसके बारे में विस्तृत अध्ययन होना अभी बाकी है।
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क्या था चीन का वह चंद्रमा मिशन ?
गौरतलब है कि चीन का चांग-ई 5-टी1, इसके ज्यादा चर्चित चांग-ई 5 मिशन का एक प्रौद्योगिकी प्रदर्शक था, जो दिसंबर, 2020 में चंद्रमा की सतह से उसका सैंपल लेकर पृथ्वी तक आया था। अगर चांद से टकराया मानव-निर्मित कचरा चाइनीज मून मिशन का हिस्सा नहीं है तो अंतरिक्ष वैज्ञानिकों के लिए यह कहानी और भी जटिल हो जाती है। यानि, उनकी उत्सुकता सिर्फ इसके और ज्यादा प्रभाव जानने पर ही सीमित नहीं रहेंगी, बल्कि यह रहस्य उद्घाटन करने पर भी होगी कि आखिर चंद्रमा से टकराने वाली वस्तु था क्या? (तस्वीरें- सांकेतिक)