रूस और अमेरिका की लड़ाई में 'बलि का बकरा' बना सीरिया, जानिए क्या है मामला
नई दिल्ली। सीरिया में 7 अप्रैल को हुए केमिकल अटैक के बाद अमेरिका ने दो बार बशर अल-असद के मिलिट्री बेस पर अटैक कर, ना सिर्फ सीरियाई गृह युद्ध को नया मोड़ दिया है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए भी खतरा खड़ा हो गया है। रूस और अमेरिका की जुबानी जंग अब हथियारों की लड़ाई में बदल चुकी है। रूस और अमेरिका ने सीरिया को बलि का बकरा बनाकर दुनिया में अपना सुपरपॉवर शो शुरू किया है। 1991 में शीत युद्ध के खत्म होने के बाद एक बार फिर दुनिया युद्ध के मुहाने पर आकर खड़ी है। आइए जानते हैं, क्या सीरिया वॉर की पूरी कहानी।
सीरिया में युद्ध कैसे शुरू हुआ?
दिसंबर 2010 की सर्दियों में मिडिल ईस्ट और उत्तरी अफ्रीका के कई देशों में सरकार के खिलाफ एक साथ प्रदर्शन हुए, लाखों की संख्या में लोग गवर्नमेंट और सिस्टम रिफॉर्म के लिए सड़कों पर उतरे, जिसे अरब स्प्रिंग कहा गया। उसमें एक देश सीरिया भी था, जहां लाखों लोगों ने 10 साल से राज कर रहे असद सरकार के खिलाफ शांतिपूर्ण प्रदर्शन किया। मार्च 2011 में कई संस्थाओं ने असद सरकार के खिलाफ लोकतांत्रिक सुधारों के लिए प्रदर्शन किया और असद ने इस शांतिपूर्ण प्रदर्शन का जवाब अपनी मिलिट्री से दिया। हिंसा का शिकार हुए कुछ आंदोलनकारियों ने सीरिया में एंटी मिलिट्री के साथ मिलकर फ्री सीरियन आर्मी (FSA) का गठन कर दिया, जिनका एक ही मकसद था, असद को सत्ता से बेदखल करना। 2012 तक सीरिया एक सिविल वॉर में तब्दील हो गया।
सीरिया में रूस क्या कर रहा है?
रूस ने लंबे समय से असद सरकार का समर्थन किया है। रूस ने सीरिया की मिलिट्री को मजबूत करने और उसे आधुनिक बनाने में बहुत मदद की है। यहां तक कि बशर अल-असद मिडिल ईस्ट में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन के सबसे खास है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में जब भी असद सरकार के खिलाफ आवाज उठी, रूस ने आगे आकर बचाव किया। यूएन में रूस और उसके सहयोगी देशों ने कई बार वोटिंग करके सीरिया के खिलाफ इंटरनेशनल एक्शन को रोकने का काम किया है। उसके बाद 2015 में रूस ने असद सरकार की मदद के लिए अपनी सेना को सीरिया में तैनात कर दिया।
सीरिया युद्ध में अमेरिका क्यों कूदा?
सीरिया के गृह युद्ध में अमेरिका की एंट्री होने के बाद तनाव और ज्यादा बढ़ गया। सीरिया में अमेरिका की दखलंदाजी के दो मुख्य वजह हैं- एक, सीरिया में इस्लामिक स्टेट (IS) के वर्चस्व को खत्म करना और दूसरी, 2013 में सीरियाई लोगों पर हुए केमिकल अटैक के बाद असद की सेना के खिलाफ सीधी लड़ाई लड़ना। 2014 में अमेरिका ने आतंकवादी समूह के खिलाफ हवाई हमलों की शुरुआत कर, बराक ओबामा ने जमीनी लड़ाई के लिए अमेरिकी सेनाएं तैनात कर दी। फिलहाल सीरिया में करीब 2,000 अमेरिकी सेना के जवान तैनात हैं।
सीरीया का गृह युद्ध कैसे खिचड़ी बन गया?
असद के प्रमुख सहयोगियों में से एक ईरान है और ईरान को मीडिल ईस्ट में अपने हथियारों और प्रॉक्सी लड़ाकू को स्थानांतरित करने के लिए सीरिया की जरूरत है। जब कभी भी किसी देश ने असद को धमकी दी, तब असद को ईरान का समर्थन मिला। लेबनान में इस्लामिक पार्टी हिजबुल्ला ईरान के नजदीकी है और ये असद को भी सपोर्ट करते हैं। हिजबुल्ला को अमेरिका, यूरोपियन यूनियन, अरब लीग और गल्फ कोऑपरेशन काउंसिल ने आतंकी संगठन के रूप में घोषित किया है।
ईरान के दुश्मन सऊदी अरब और तुर्की ने असद के खिलाफ वाले ग्रुप और चरमपंथी संगठनों को हथियार व पैसा भेजना शुरू कर दिया। उधर इजरायल का आरोप है कि ईरान की वजह से उन्हें नुकसान हो रहा है, इसलिए इजरायल ने भी असद मिलिट्री पर अटैक करना शुरू कर दिया।
आज के वक्त में सीरिया में कई युद्ध लड़े जा रहे हैं। सीरिया सरकार कह रही है कि वे विद्रोहियों से लड़ रहे हैं। इजरायल कह रहा है कि वे सीरिया में ईरान समर्थित लड़ाकों से लड़ रहा है। वहीं, अमेरिका का कहना है कि वे सीरिया में आतंकी संगठन आईएसआईएस को खात्मा कर रहे हैं।
सीरिया की जिंदगी कैसी है?
बहुत ही भयानक! सीरिया की गलियों और सड़कों पर मौत कभी भी और कहीं से भी आकर गिर सकती है। सीरिया में लाखों परिवार रोटी, साफ पानी और मेडिकल जैसी बुनियादी जरूरतों से जूझ रहे हैं। लाखों बच्चें स्कूल से वंचित है। सीरिया में युद्ध शुरू होने के बाद अब तक 4,65,000 से अधिक सीरियाई नागरिक मारे जा चुके हैं। 1 लाख से अधिक घायल हैं, 1 करोड़ से अधिक लोग अपना घर छोड़कर भागने को मजबूर हो चुके हैं और 50 लाख से ज्यादा सीरियाई दुनिया के अलग-अलग देशों में शरणार्थियों के रूप में रहे हैं।